प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने तीन मुख्य न्यायाधीशों को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के तौर पर दिलाई शपथ

नयी दिल्ली. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने तीन उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति संदीप मेहता को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में बृहस्पतिवार को शपथ दिलाई. तीनों न्यायाधीशों ने उच्चतम न्यायालय परिसर में एक समारोह में अन्य न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं और अपने परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में शपथ ली. तीन न्यायाधीशों के शपथ लेने के साथ ही शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या पूर्ण यानी 34 हो गई है.

इससे पहले आज दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा, राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और गोहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संदीप मेहता को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर इन न्यायाधीशों की पदोन्नति की घोषणा की.

उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने छह नवंबर को उनके नामों की सिफारिश की थी. उच्चतम न्यायालय में पिछली बार न्यायाधीशों की संख्या इस साल फरवरी में पूर्ण हुई थी जब न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार को पदोन्नति प्रदान कर शीर्ष अदालत में नियुक्त किया गया था.

न्यायमूर्ति शर्मा को 18 जनवरी 2008 को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और 11 अक्टूबर 2021 को उन्हें तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था. इसके बाद उन्हें 28 जून 2022 को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था.

उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम के छह नवंबर के प्रस्ताव में कहा गया था कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले, वह संविधान, सेवा और अपराध से जुड़े मामलों में पेश होते थे. न्यायमूर्ति ए जी मसीह को 10 जुलाई 2008 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किया गया था और 30 मई 2023 को उन्हें राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था.

न्यायमूर्ति मेहता के बारे में प्रस्ताव में कहा गया था कि उन्हें 30 मई 2011 को राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और अपने मूल उच्च न्यायालय में वरिष्ठता प्राप्त करने के बाद उन्हें गोहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और वहां वह 15 फरवरी 2023 से सेवारत हैं.

इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति शर्मा के लिए विदाई समारोह आयोजित किया गया जहां उन्होंने शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में “इस महान राष्ट्र के लोगों की सेवा” करने का अवसर मिलने के लिए आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बार और पीठ को हमेशा आपसी सम्मान का बंधन साझा करना चाहिए क्योंकि यह न्याय प्रदान करने के अंतिम लक्ष्य के लिए अहम है.

उन्होंने कहा, “मैं विश्वास के साथ साझा कर सकता हूं कि न्यायाधीश के पद ने मुझे बहुत संतुष्टि की भावना दी है. न्यायाधीश का यही काम है कि वह एक वादी की पीड़ा को कम करने और उनके अधिकारों को बनाए रखने में सक्षम हो.ह्व वह एक साल से ज्यादा वक्त तक दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कई अहम मामलों को सुना. इस साल 27 फरवरी को उनकी पीठ ने सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए केंद्र की ‘अग्निपथ’ योजना को बरकरार रखा.

हाल ही में, उनकी अध्यक्षता वाली एक पीठ ने महरौली पुरातत्व पार्क के आसपास के क्षेत्र में कुछ अनधिकृत निर्माणों को तोड़ने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की ओर से दिसंबर 2022 में जारी विध्वंस नोटिस को रद्द कर दिया. इस साल की शुरुआत में, उन्होंने अधिकारियों से यौन अपराधों के शिकार बच्चों से जुड़े मामलों में अपनाने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने को कहा.

न्यायमूर्ति शर्मा की पीठ ने एक मध्यस्थ पंचाट के उस आदेश को रद्द दिया था जिसमें इसरो के एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन को 2011 में एक करार को समाप्त करने के लिए देवास को ब्याज के साथ 56.2 करोड़ अमेरिकी डॉलर (4,600 करोड़ रुपये से अधिक) का हर्जाना देने का निर्देश दिया गया था.

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