चीन ने भारत के साथ हुए समझौतों का पालन नहीं किया, LAC पर ‘एकतरफा बदलाव’ की कोशिश की
जयशंकर ने कहा : यूरोप ने भारत के मुकाबले रूस से छह गुना अधिक तेल किया आयात
वियना. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन ने सीमा मुद्दों पर भारत के साथ हुए समझौतों का पालन नहीं किया और उसने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ‘‘एकतरफा बदलाव’’ की कोशिश की तथा इसी वजह से दोनों पड़ोसियों के बीच ‘‘तनावपूर्ण स्थिति’’ है.
आॅस्ट्रिया के राष्ट्रीय प्रसारक ओआरएफ को सोमवार को दिए साक्षात्कार में जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सुरक्षा बल नहीं रखने को लेकर समझौते हुए हैं. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि हालांकि चीन ने उन समझौतों का पालन नहीं किया, और ‘‘यही वजह है कि हमारे बीच वर्तमान में तनावपूर्ण स्थिति है’’.
जयशंकर ने कहा, “हमारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को एकतरफा ढंग से नहीं बदलने का समझौता था, जिसे उन्होंने (चीन) एकतरफा ढंग से बदलने की कोशिश की है.” अगर चीन भी यह कहे कि भारत ने समझौतों का पालन नहीं किया तो क्या होगा, इस सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि बींिजग के लिए यह कहना मुश्किल है क्योंकि “रिकॉर्ड बहुत स्पष्ट है”.
जयशंकर ने कहा, “आज, उपग्रह चित्र बहुत अधिक स्पष्ट हैं. यदि हम देखते हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना को सबसे पहले किसने भेजा, तो मुझे लगता है कि रिकॉर्ड बहुत स्पष्ट है. इसलिए, आपने जो कहा, वह चीन के लिए कहना बहुत मुश्किल है.” भारतीय सेना के अनुसार, नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक एलएसी पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी जिसमें “दोनों पक्षों के कुछ र्किमयों को मामूली चोटें आईं”.
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद से भारत और चीन की सेनाओं के बीच यह पहली बड़ी झड़प थी. दोनों देशों के बीच सीमा गतिरोध को सुलझाने के लिए 17 दौर की बातचीत हो चुकी है. जयशंकर दो देशों की यात्रा के दूसरे चरण में साइप्रस से आॅस्ट्रिया पहुंचे. यह पिछले 27 वर्षों में भारत से आॅस्ट्रिया की पहली विदेश मंत्री स्तर की यात्रा है, और यह 2023 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष होने की पृष्ठभूमि में हुई है.
जयशंकर ने कहा : यूरोप ने भारत के मुकाबले रूस से छह गुना अधिक तेल किया आयात
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिमी शक्तियों के असंतोष के बावजूद रूस से कच्चे तेल का आयात करने के भारत के कदम का बचाव करते हुए कहा कि यूरोप ने फरवरी 2022 से भारत की तुलना में रूस से जीवाश्म ईंधन का छह गुना अधिक आयात किया है.
दो देशों की अपनी यात्रा के दूसरे चरण में साइप्रस से यहां पहुंचे जयशंकर ने यह भी कहा कि यूरोपीय राजनीतिक नेतृत्व अपनी आबादी पर रूस-यूक्रेन संघर्ष के प्रभाव को कम करना चाहेगा, और यह एक विशेषाधिकार है जिसे उन्हें अन्य राजनीतिक नेतृत्व तक भी विस्तारित करना चाहिए.
जयशंकर ने सोमवार को आॅस्ट्रिया के राष्ट्रीय प्रसारक ओआरएफ को दिए एक साक्षात्कार के दौरान यह बात कही. उन्होंने कहा, “यूरोप अपने आयात को आरामदायक तरीके से कम करने में कामयाब रहा है. अगर 60,000 यूरो (प्रति व्यक्ति आय) पर, आप अपनी जनसंख्या के बारे में इतनी परवाह कर रहे हैं, तो मेरे यहां 2,000 अमेरिकी डॉलर की आय वाली आबादी है. मुझे भी ऊर्जा की आवश्यकता है, और मैं इस स्थिति में नहीं हूँ कि मैं तेल के लिए ऊँची कीमत चुका सकूँ.” जयशंकर ने यह भी कहा कि फरवरी 2022 से यूरोप ने भारत की तुलना में रूस से छह गुना अधिक ऊर्जा का आयात किया है.
पाकिस्तान ‘आतंक का केंद्र’: और भी कड़े शब्दों का इस्तेमाल कर सकता था: जयशंकर
सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा देने में भूमिका के मद्देनजर पाकिस्तान को ‘आतंक का केंद्र’ करार देने संबंधी अपनी टिप्पणी पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि वह इससे भी कड़े शब्दों का इस्तेमाल कर सकते थे . उन्होंने साथ ही कहा कि दुनिया को आतंकवाद को लेकर ंिचतित होने की जरूरत है.
पाकिस्तान को अक्सर ‘आतंकवाद का केंद्र’ बताने वाले जयशंकर ने आस्ट्रिया के राष्ट्रीय प्रसारक ‘ओआरएफ’ को साक्षात्कार के दौरान इसकी (आतंकवाद) निंदा नहीं करने को लेकर यूरोपीय देशों की आलोचना की जो दशकों से जारी है. जयशंकर ने कहा कि आप एक राजनयिक हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि आप बातों को घुमा फिरा कर कहें . उन्होंने कहा,‘‘ मैं ‘केंद्र’ से अधिक कड़े शब्दों का उपयोग कर सकता था . इसलिये विश्वास करें कि जो कुछ हमारे साथ घट रहा है, उसको देखते हुए केंद्र अधिक राजनयिक शब्द है. ’’ विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के लिये ‘आतंकवाद का केंद्र’ शब्द के उपयोग पर पूछे गए सवाल के जवाब में यह बात कही .
उन्होंने पाकिस्तान के संदर्भ में कहा, ‘‘ यह एक ऐसा देश है जिसने कुछ वर्ष पहले भारत की संसद पर हमला किया, जिसने मुम्बई शहर पर हमला किया, जो होटलों और विदेशी पर्यटकों तक गया और जो प्रतिदिन सीमापार से आतंकवादियों को भेजता है.’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘ अगर दिन दहाड़े शहरों में आतंकी अड्डे चल रहे हों, र्भितयां एवं वित्त पोषण हो रहा हो…तब वास्तव में आप बतायें कि क्या पाकिस्तान की सरकार को इसकी जानकारी नहीं होगी कि क्या हो रहा है ? खासतौर पर तब जब सैन्य स्तर का प्रशिक्षण दिया जा रहा हो . ’’
स्थायी सदस्यता वाले देश स्पष्ट रूप से संरा में सुधार देखने की जल्दी में नहीं
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की धीमी गति की आलोचना करते हुए कहा कि जो देश स्थायी सदस्यता का लाभ उठा रहे हैं वे सुधारों को देखने की जल्दी में नहीं हैं. सुरक्षा परिषद में काफी समय से लंबित सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए भारत संयुक्त राष्ट्र में प्रयास करने में अग्रणी रहा है. भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि वह एक स्थायी सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र के महत्वपूर्ण निकाय में स्थान का हकदार है.
जयशंकर ने सोमवार को आॅस्ट्रिया के राष्ट्रीय प्रसारक ओआरएफ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘आपके सामने ऐसी स्थिति होगी जब दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों में नहीं होगा, यह संयुक्त राष्ट्र की स्थिति के बारे में क्या कहता है.’’ यह पूछे जाने पर कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के इस सुधार में कितना समय लगेगा, उन्होंने कहा, ‘‘…जो लोग आज स्थायी सदस्यता के लाभों का आनंद ले रहे हैं, वे स्पष्ट रूप से सुधार देखने की जल्दी में नहीं हैं. मुझे लगता है कि यह बहुत संकीर्ण नजरिया है … क्योंकि अंतत: संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता और उनके अपने हित और प्रभावशीलता दांव पर हैं.’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘तो मेरी समझ है, इसमें कुछ समय लगेगा, उम्मीद है कि बहुत अधिक समय नहीं लगेगा. सिर्फ हम ही नहीं, मैं संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के बीच बढ़ती भावना को देख सकता हूं, जो मानते हैं कि उन्हें बदला जाना चाहिए.’’ विश्व निकाय के पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका हैं और ये देश किसी भी मूल प्रस्ताव को वीटो कर सकते हैं.