PM मोदी के खिलाफ टिप्पणी: खेड़ा के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से न्यायालय का इनकार

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की एक याचिका को खारिज कर दिया जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी.

खेड़ा ने फरवरी 2023 में मुंबई में संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री को ”नरेन्द्र गौतम दास मोदी” कहा था. भाजपा नेताओं एवं समर्थकों इस टिप्पणी की कड़ी निंदा की थी और इसे उद्योगपति गौतम अडाणी के संदर्भ के रूप में देखा गया था. प्रधानमंत्री मोदी अपना पूरा नाम ‘नरेन्द्र दामोदर दास मोदी’ लिखते हैं, दामोदर दास उनके पिता का नाम है. कई राज्यों में लोग अपने पिता के नाम को मध्य नाम के रूप में इस्तेमाल करते हैं.

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है. पीठ ने खेड़ा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद से कहा, ”आप माफी पर माफी मांगे जा रहे हैं. क्षमा करें, हम इच्छुक नहीं हैं.” सुनवाई के दौरान, उत्तर प्रदेश की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि मामले में दायर आरोप पत्र के आधार पर खेड़ा की याचिका पर जवाब दाखिल किया गया है.

सलमान खुर्शीद ने शीर्ष अदालत से प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया जिसे अस्वीकार कर दिया गया.
उच्च न्यायालय ने पिछले साल 17 अगस्त को खेड़ा की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि मामले के जांच अधिकारी ने जो सबूत जमा किए हैं, उनका मामले को रद्द करने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत दायर याचिका में आकलन नहीं किया जा सकता.

शीर्ष अदालत ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक बयान देने के लिए असम और उत्तर प्रदेश में खेड़ा के खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकियों को पिछले साल 20 मार्च को मिला दिया था और उनकी अंतरिम जमानत बढ़ाते हुए मामले को लखनऊ के हजरतगंज थाने में स्थानांतरित कर दिया था. लखनऊ की अदालत ने मामले में खेड़ा को जमानत दे दी थी. खेड़ा ने कथित बयानों के लिए अदालत में बिना शर्त माफीनामा दिया है.

कांग्रेस प्रवक्ता को पिछले साल 23 फरवरी को दिल्ली हवाई अड्डे से विमान से उतारकर गिरफ्तार कर लिया गया था. वह कांग्रेस महाधिवेशन में शामिल होने रायपुर जा रहे थे. उन्हें गिरफ्तारी वाले दिन शीर्ष अदालत ने अंतरिम जमानत दे दी थी, जिसे समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा.

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