मोदी पर ‘जेबकतरे’ वाली टिप्पणी पर राहुल गांधी को जारी नोटिस पर आठ हफ्ते में निर्णय ले आयोग:न्यायालय

नाबालिग बलात्कार पीड़िता की पहचान बताने वाली पोस्ट को हटाएं राहुल गांधी: दिल्ली उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग से कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए की गई कथित ”जेबकतरे” वाली टिप्पणी के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जारी किये गये नोटिस पर आठ सप्ताह के भीतर निर्णय ले. अदालत ने कहा कि पिछले महीने एक भाषण के दौरान कांग्रेस नेता द्वारा दिया गया कथित बयान ”उचित नहीं है.” अदालत उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें गांधी के खिलाफ कार्रवाई के साथ-साथ राजनीतिक नेताओं द्वारा इस तरह के ”कदाचार” को रोकने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का अनुरोध किया गया है.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग (ईसी) इस मामले की जांच कर रहा है और उसने 23 नवंबर को गांधी को नोटिस जारी कर उनका रुख भी पूछा था और इसलिए हमें प्रतीक्षा करनी चाहिए. अदालत ने कहा, ”(ईसी) नोटिस में कहा गया है कि कार्रवाई की जाएगी. तो आइए हम इसे उन पर छोड़ दें.” न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने आदेश दिया, ”यह मानते हुए कि जवाब दाखिल करने की समय सीमा समाप्त हो गई है और कोई जवाब नहीं मिला है, अदालत ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह इस मामले पर यथासंभव शीघ्रता से आठ सप्ताह के भीतर निर्णय ले.”

याचिकाकर्ता भरत नागर ने उच्च न्यायालय को बताया कि गांधी ने 22 नवंबर को एक भाषण दिया था जिसमें प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सहित ”उच्चतम सरकारी पदों” पर बैठे व्यक्तियों के खिलाफ ”गंभीर आरोप” लगाए गए थे. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने एक चुनावी भाषण के दौरान मोदी पर कथित तौर पर ”जेबकतरे” वाली टिप्पणी की थी और आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री लोगों का ध्यान भटकाते हैं जबकि उद्योगपति गौतम अडाणी उनकी जेब काटते हैं और जेबकतरे इसी तरह काम करते हैं.” याचिकाकर्ता ने गांधी के कुछ अन्य बयानों पर भी आपत्ति जताई, जिसमें प्रधानमंत्री को ”पनौती” कहा गया था.

वरिष्ठ वकील कीर्ति उप्पल और आदिश सी अग्रवाल ने अदालत के समक्ष दलील दी कि ”चुनाव के दौरान इस तरह के अपमानजनक भाषणों” के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन निर्वाचन आयोग के पास कोई भी सख्त कदम उठाने का अधिकार नहीं है. अग्रवाल ने कहा, ”प्रधानमंत्री पर ‘जेबकतरे’ होने का आरोप लगाते हुए बयान दिया गया.. हम चाहते हैं कि इस संबंध में नियंत्रण के लिए एक तंत्र होना चाहिए. निर्वाचन आयोग के पास नोटिस जारी करने के अलावा कोई अधिकार नहीं है.” वकील ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने गांधी को नोटिस जारी किया था और उन्हें जवाब देने के लिए 25 नवंबर तक का समय दिया गया था.

निर्वाचन आयोग ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए उन पर की गईं ‘पनौती’, ‘जेबकतरे’ वाली टिप्पणियों के लिए गांधी को 23 नवंबर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि यह सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश बनाने की आवश्यकता है कि ”देश की छवि” को धूमिल करने की ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.

नाबालिग बलात्कार पीड़िता की पहचान बताने वाली पोस्ट को हटाएं राहुल गांधी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बृहस्पतिवार को आदेश दिया कि वह 2021 में बलात्कार का शिकार हुई नाबालिग दलित पीड़िता की पहचान का खुलासा करने वाली सोशल मीडिया पोस्ट को हटाएं ताकि बच्ची की पहचान दुनियाभर में उजागर न हो.

गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर नौ वर्षीय उस दलित बच्ची के माता-पिता के साथ एक तस्वीर साझा की थी जिसकी एक अगस्त, 2021 को संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हो गई थी. बच्ची के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि दक्षिण पश्चिम दिल्ली के ओल्ड नंगल गांव में एक श्मशान घाट के पुरोहित ने बच्ची के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी थी, और फिर उसका अंतिम संस्कार कर दिया था.

‘एक्स’ ने गांधी की इस पोस्ट को ‘ब्लॉक’ कर दिया है. इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया मंच ने गांधी का अकाउंट कुछ देर के लिए निलंबित कर दिया था लेकिन इसे बाद में बहाल कर दिया गया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा कि इस पोस्ट को ‘एक्स’ ने भले ही अपनी साइट से हटा दिया है, लेकिन यह भारत के बाहर अब भी उपलब्ध है और उसने गांधी के वकील से इसे हटाने को कहा.

अदालत ने कहा, ”यदि हमें पीड़िता की पहचान उजागर करने से रोकनी है जो यह आवश्यक है कि दुनिया भर में इसे हटाया जाए.” पीठ ने गांधी के वकील तरन्नुम चीमा से कहा, ”आप इसे हटाते क्यों नहीं? कृपया पोस्ट हटा लें क्योंकि दुनिया भर से इसे हटाया जाना चाहिए. कृपया निर्देश का पालन करें…अन्यथा इसे दुनिया भर में मीडिया सार्वजनिक कर देगा. ऐसा नहीं किया जा सकता. कृपया इसे हटाएं.” अदालत सामाजिक कार्यकर्ता मकरंद सुरेश म्हादलेकर की 2021 की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बच्ची के माता-पिता के साथ ‘एक्स’ पर एक तस्वीर साझा करके पीड़िता की पहचान उजागर करने को लेकर गांधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने का अनुरोध किया गया है.

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