विज्ञापनों में नेहरू को शामिल नहीं किए जाने पर कांग्रेस ने बोम्मई को ‘संघ का गुलाम’ करार दिया

बेंगलुरु/नयी दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत कर्नाटक सरकार द्वारा रविवार को समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापन में स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को शामिल नहीं किए जाने पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई.
इस मामले में निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने रविवार को राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई पर ‘‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुलाम’’ होने का आरोप लगाया.

इस बीच, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव एवं पार्टी के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री के लिए भाजपा की नफरत चरम पर पहुंच गई है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘नेहरू को इस तरह की संकीर्णता से कोई फर्क नहीं पड़ता. कर्नाटक के मुख्यमंत्री अपना पद बचाने के लिए बेताब हैं, जबकि वह यह जानते हैं कि जो उन्होंने किया है, वो उनके पिता एस. आर. बोम्मई और उनके (मुख्यमंत्री) पिता के पहले राजनीतिक गुरु एम.एन. रॉय का अपमान है, क्योंकि दोनों ही नेहरू के प्रशंसक थे. यह निराशाजनक है.’’

सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘‘भारत के पहले प्रधानमंत्री और राष्ट्र निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू के लिए नफरत अपने चरम पर पहुंच गई है. बोम्मई सरकार उनके अस्तित्व को नकारकर सबसे निचले स्तर पर चली गई है.’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर, यह वर्तमान शासकों के चरित्र और पतित सोच को दर्शाता है.’’ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सिद्धरमैया ने सिलसिलेवार ट्वीट में वी.डी. सावरकर पर भी हमला बोला और उन पर अपने बचाव के लिए ब्रिटिश अधिकारियों से विनती करने और उनकी (ब्रिटिश) ‘‘कठपुतली’’ के तौर पर कार्य करने का आरोप लगाया. सावरकर को विज्ञापन में शामिल किया गया है.

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘जब हम सोचते हैं कि अंग्रेजों के जाने के साथ ही गुलामी का अंत हो गया, तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई ने यह दिखाकर सबको गलत साबित कर दिया कि वह अभी भी आरएसएस के गुलाम हैं. आज के सरकारी विज्ञापन में पंडित जवाहरलाल नेहरू को स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में शामिल नहीं करना, ये दिखाता है कि एक मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी बचाने के लिए कितना नीचे जा सकते हैं.’’ उन्होंने कहा कि बोम्मई को यह याद रखना चाहिए कि नेहरू ने लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित करने के वास्ते पत्र और किताबें लिखीं, जबकि अंग्रेजों ने उन्हें नौ साल के लिए जेल में डाल दिया था.

सिद्धरमैया ने आरोप लगाया, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि आरएसएस उदास है क्योंकि नेहरू ने सावरकर की तरह अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी और दया याचिका नहीं दी.’’ भाजपा के प्रदेश महासचिव एन. रवि कुमार ने कहा, ‘‘हमने जानबूझकर (नेहरू को) छोड़ दिया है. जब हम अपने प्रधानमंत्री के आ’’ान पर आज विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मना रहे हैं, तो उनकी (नेहरू) तस्वीर का उपयोग करने का क्या मतलब है?’’ कुमार ने आरोप लगाया कि नेहरू ने स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस को भंग करने के महात्मा गांधी के रुख पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘नेहरू एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने महात्मा गांधी की बात नहीं मानी, और वह (नेहरू) देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार थे, इसलिए हम उनकी तस्वीर नहीं लगाएंगे.’’

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