जीडीपी आंकड़ों पर कांग्रेस का कटाक्ष: ‘क्वार्टर से क्वार्टर तक’ फिल्म की तरह नहीं है अर्थव्यवस्था

अडाणी समूह के मामले पर कांग्रेस का आरोप: "दाल में कुछ तो काला है"

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत पर पहुंचने को लेकर बुधवार को कहा कि इन आंकड़ों में वाह-वाह करने लायक कुछ भी नहीं है क्योंकि निवेश एवं उपभोग से संबंधित ढांचागत समस्याएं रहने वाली हैं. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था ‘क्वार्टर से क्वार्टर तक’ जैसी किसी फिल्म की तरह नहीं है.

उल्लेखनीय है कि कृषि, विनिर्माण, खनन और निर्माण क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से देश की आर्थिक वृद्धि दर बीते वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में 6.1 प्रतिशत रही. इसके साथ, पूरे वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत पर पहुंच गई. बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली. इस वृद्धि के साथ देश की अर्थव्यवस्था 3,300 अरब डॉलर की हो गयी है और उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ साल में 5,000 अरब डॉलर के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा.

जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ”अर्थव्यवस्था ‘क्वार्टर से क्वार्टर तक’ (तिमाही से तिमाही तक) नाम की किसी फिल्म की तरह नहीं है. आज के जीडीपी आंकड़ों को लेकर कुछ भी वाह-वाह करने के लिए नहीं है. वे इसे अपने अपने हिसाब से पेश करेंगे, लेकिन निवेश और उपभोग से जुड़े डबल इंजन की गहरी ढांचागत समस्याएं रहने वाली हैं.” उन्होंने दावा किया, ”जीडीपी वृद्धि दर की सुर्खी का कोई मतलब नहीं है क्योंकि वास्तविक आंकड़े निजी उपभोग और वार्षिक विनिर्माण सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) वृद्धि से संबंधित हैं जो चिंता में डालने वाले हैं. चौथी तिमाही में निजी उपभोग 2.8 प्रतिशत रहा तथा वार्षिक जीवीए वृद्धि 11.1 प्रतिशत से गिरकर 1.3 प्रतिशत तक पहुंच गई.”

रमेश का कहना था, ”हम ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से यह कहते आ रहे हैं कि अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ रही है. यह बात आज के आंकड़ों से सही साबित हुई है.” उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की नीतियों के चलते भारत न तो पर्याप्त उपभोग कर रहा है और न ही उत्पादन कर रहा है.

अडाणी समूह के मामले पर कांग्रेस का आरोप: “दाल में कुछ तो काला है”

कांग्रेस ने एक अंतरराष्ट्रीय ऑडिटर की राय का हवाला देते हुए बुधवार को दावा किया कि अगर इस अडाणी समूह की नजर में सबकुछ ठीक है तो आरोपों की जांच में किसी स्वतंत्र इकाई को शामिल क्यों नहीं किया गया. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह कहने के साथ ही दावा भी किया कि दाल में कुछ तो काला है.

अमेरिकी संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की कुछ महीने पहले आई रिपोर्ट में अडाणी समूह पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए गए थे. इसके बाद से कांग्रेस लगातार इस मामले में उठाते हुए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से इसकी जांच कराने की मांग कर रही है. अडाणी समूह ने सभी आरोपों को खारिज किया है.

रमेश ने बुधवार को एक खबर का हवाला देते हुए ट्वीट किया, ”ऑडिटर ‘डेलॉइट हास्किन्स एंड सेल्स’ स्पष्ट रूप से अडाणी के खोखले “क्लीन चिट” के दावों को नहीं मान रहा है, यहां तक कि सेबी की भी जांच जारी है. इसने कहा है कि तीन संस्थाओं के साथ अडाणी पोर्ट्स के लेन-देन को असंबंधित पार्टियों के साथ नहीं दिखाया जा सकता है और इसीलिए इसने कंपनी के खातों पर “क्वालिफाइड ओपिनियन” (प्रमाणित राय) जारी की है. इसमें आगे कहा गया है कि अडाणी ने “एक स्वतंत्र बाहरी जांच करवाने से इंकार कर दिया है.” उनका कहना है, ”ऐसे में सवाल उठता है कि अडाणी पोर्ट्स क्या छुपा रहा है? दावे के अनुसार यदि सब कुछ ठीक है तो आपने ऑडिटर की चिंताओं को दूर करने के लिए एक स्वतंत्र इकाई को जांच में शामिल क्यों नहीं किया? दाल में कुछ तो काला है.”

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