कांग्रेस का 400 रुपये प्रति दिन की राष्ट्रीय न्यनूतम मजदूरी का वादा ही है असली 400 पार

कांग्रेस ने 'गुजरात मॉडल' को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से पूछे कई सवाल

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर अपनी ‘श्रमिक न्याय’ गारंटी दोहराते हुए कहा कि 400 रुपये प्रति दिन की राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी देने का उसका वादा ही असली ‘400 पार’ है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने श्रमिकों के लिए पार्टी की गारंटियां गिनायीं और आरोप लगाया कि पिछला 10 साल उनके लिए ‘अन्याय काल’ रहा है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के मौके पर 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के न्याय पत्र की ‘श्रमिक न्याय’ गारंटियों को याद करना बिल्कुल उपयुक्त है.

गारंटियों की विस्तार से चर्चा करते हुए रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने 400 रुपये प्रति दिन की राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी के साथ ‘श्रम का सम्मान’ करने का वादा किया है और उनमें मनरेगा के मजदूर भी शामिल हैं. रमेश ने यहां संवाददाता सम्मेलन में, भाजपा के ‘400 पार’ नारे पर कटाक्ष करते हुए कहा, ” यह असली 400 पार है.” भाजपा लोकसभा चुनाव में राजग के रास्ते 400 सीट हासिल करने के लिए ‘400 पार’ का नारा दे रही है. रमेश ने आरोप लगाया कि भाजपा के ‘400 पार’ के आह्वान का लक्ष्य संविधान को बदलना है.

हाथ में संविधान की प्रति लेकर रमेश ने दावा किया कि सन् 1949 (रिपीट) 1949 से यह कोई पहली बार नहीं है जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बाबासाहब आंबेडकर के संविधान को बदलने की बात की हो. अन्य ‘श्रमिक न्याय’ गारंटियां गिनाते हुए रमेश ने कहा कि पार्टी ने मुफ्त जांच, दवाइयां, उपचार एवं सर्जरी के साथ 25 लाख रुपये के सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज ”सबको स्वास्थ्य अधिकार” के तहत देने का वादा किया है.

कांग्रेस ने ‘गुजरात मॉडल’ को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से पूछे कई सवाल

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बुधवार को चुनाव प्रचार के लिए अपने गृह राज्य गुजरात की यात्रा पर आने के बीच उनसे कई सवाल पूछे. विपक्षी दल की ओर से पूछे गये सवालों में यह भी शामिल था कि गुजरात भारत की ”पेपर लीक राजधानी” क्यों बन गया है? कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह भी पूछा कि ‘गुजरात मॉडल’ राज्य के लोगों को ”न्याय दिलाने में विफल” क्यों रहा? उन्होंने दावा कि यह राज्य कई स्वास्थ्य और शिक्षा मानकों पर अन्य राज्यों से पिछड़ गया है.

रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”आज गुजरात जा रहे प्रधानमंत्री से हमारे सवाल: गुजरात भारत की पेपर लीक राजधानी क्यों बन गया है? ‘नल से जल’ योजना में भ्रष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई न करके प्रधानमंत्री किसे बचा रहे हैं? ‘गुजरात मॉडल’ गुजरात के लोगों को न्याय दिलाने में क्यों विफल रहा है?” उन्होंने आरोप लगाया कि गुजरात में पिछले 10 वर्ष में 14 पेपर लीक हुए हैं, जिनमें 2021 में सब ऑडिटर परीक्षा, 2022 में फॉरेस्ट गार्ड परीक्षा और 2023 में जूनियर क्लर्क परीक्षा शामिल हैं.

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ”गुजरात ”भारत में पेपर लीक के केंद्र” के रूप में जाना जाने लगा है. हाल में उत्तर प्रदेश के विशेष कार्य बल ने पुष्टि की है कि इस साल की उप्र पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर भी अहमदाबाद से लीक हुए थे. प्रधानमंत्री का गृह राज्य पेपर लीक का अड्डा क्यों बन गया है?” रमेश ने कहा, ”कांग्रेस के ‘न्याय पत्र’ ने ‘पेपर लीक से मुक्ति’ की गारंटी दी है. पेपर लीक को रोकने के लिए विश्वसनीय संस्थाएं और नीतियां बनाई जायेंगी. पेपर लीक मामलों के निपटारे के लिए त्वरित अदालतें होंगी और सभी पीड़ितों को मौद्रिक मुआवजा दिया जाएगा.”

प्रधानमंत्री बताएं कि क्या वह आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाएंगे? : कांग्रेस

कांग्रेस ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस संबंध में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा कि क्या वह अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाएंगे. पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस का घोषणा पत्र इस बात की गारंटी देता है कि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत बढ.ाने के उद्देश्य से एक संवैधानिक संशोधन पारित किया जायेगा, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी इसे ”सांप्रदायिक रंग” देने की कोशिश कर रहे हैं.

यहां अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस महासचिव रमेश ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ”संविधान बदलने के लिए ‘400 पार’ की बात कर रही है क्योंकि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के खिलाफ हैं.” उन्होंने कहा, ”कांग्रेस इस बात की गारंटी देती है कि वह एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा बढ.ाने के लिए एक संवैधानिक संशोधन पारित करेगी.”

रमेश ने कहा, ”प्रधानमंत्री हमारे ‘न्याय पत्र’ को सांप्रदायिक रंग देना चाहते हैं और लोगों को गुमराह करना चाहते हैं. मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं कि क्या वह एससी, एसटी और ओबीसी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा हटा देंगे?” उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जन सभाओं में संविधान की प्रति अपने हाथ में रखते हैं क्योंकि उस (संविधान) पर हमला किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि सबसे पहले प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार ने इस बारे में (संविधान बदलने) बात की, फिर भाजपा के कई उम्मीदवारों और सांसदों ने भी यह बात कही.

भयभीत कोई नहीं है, अमेठी व रायबरेली में उम्मीदवारों पर फैसला अगले 24-30 घंटे में होगा: कांग्रेस

अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को लेकर बढ.ते संशय के बीच पार्टी ने बुधवार को कहा कि ”भयभीत कोई नहीं है” और इस बारे में फैसले की घोषणा अगले 24-30 घंटों में की जाएगी. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अमेठी और रायबरेली संसदीय सीटों पर उम्मीदवारों के नाम को अंतिम रूप देने के लिए अधिकृत किया है.

यहां कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन के दौरान दोनों सीटों पर उम्मीदवारी से जुड़े एक सवाल के जवाब में रमेश ने कहा, ”मुझे उम्मीद है कि अगले 24-30 घंटों में कांग्रेस अध्यक्ष इसे अंतिम रूप देंगे और उनके निर्णय की घोषणा की जाएगी.” उन्होंने कहा, ”जब तक ऐसा नहीं हो जाता, सारी सूचनाएं व सभी तथाकथित कार्यालय आदेश फर्जी हैं.” उनसे पूछा गया कि निर्णय लेने में देरी क्यों हो रही है और क्या कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा को चुनाव मैदान में उतारने से डर रहे हैं ? इस पर रमेश ने कहा, ”कोई देरी नहीं हो रही है. क्या भाजपा ने रायबरेली में अपने उम्मीदवार की घोषणा की है? स्मृति ईरानी अमेठी से मौजूदा सांसद हैं. भयभीत कोई भी नहीं है. चर्चा चल रही है और फैसला लेने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष को अधिकृत किया गया है.” उन्होंने कहा, ”कोई देरी नहीं है, तीन मई तक का समय है.”

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