पर्यावरण मंत्रालय की समिति में अडाणी समूह के सलाहकार की भूमिका पर विवाद

नयी दिल्ली. पर्यावरण मंत्रालय की एक समिति में अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) के एक सलाहकार को शामिल किए जाने के मुद्दे पर मंगलवार को राजनीतिक विवाद शुरू हो गया और विपक्षी दलों ने इसके लिए सरकार पर निशाना साधा. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सितंबर में जलविद्युत और नदी घाटी परियोजनाओं के लिए अपनी विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) का पुनर्गठन किया था और चौधरी को अपने सात गैर-संस्थागत सदस्यों में नामित किया था.

पुनर्गठित ईएसी की 17-18 अक्टूबर को हुई पहली बैठक का ब्योरा पर्यावरण मंत्रालय के ‘परिवेश’ पोर्टल पर उपलब्ध है जिसके अनुसार महाराष्ट्र के सातारा में एजीईएल की 1500 मेगावाट क्षमता वाली तराली पंपिंग स्टोरेज परियोजना पर बैठक में विचार-विमर्श किया गया था.

चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में स्पष्ट किया कि उन्होंने 17 अक्टूबर की बैठक में भाग लिया था, लेकिन एजीईएल की तराली परियोजना पर विचार वाले सत्र में वह शामिल नहीं हुए थे. उन्होंने कहा कि वह एजीईएल के सलाहकार के रूप में काम करते हैं और कंपनी के वैतनिक कर्मचारी नहीं हैं. वह एनएचपीसी में 36 वर्ष तक सेवाएं दे चुके हैं और मार्च 2020 में निदेशक (तकनीकी) के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे. उन्होंने अप्रैल 2022 में एजीईएल के सलाहकार के रूप में काम करना शुरू किया था.

चौधरी ने यह भी कहा कि उन्होंने ईएसी में अपनी नियुक्ति से पहले मंत्रालय को कंपनी के साथ अपने जुड़े होने की जानकारी दे दी थी.
ईएसी का प्रमुख काम परियोजनाओं के प्रभावों का मूल्यांकन करने के बाद उनके प्रस्ताव के संबंध में पर्यावरण मंत्रालय को सिफारिशें भेजना है. इन सिफारिशों के आधार पर मंत्रालय तय करता है कि प्रस्ताव को अस्वीकार करना है या कुछ शर्तों के साथ मंजूरी देनी है.
इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की आलोचना की और सवाल उठाया कि चौधरी को ईएसी में किसने और क्यों नियुक्त किया.

केरल कांग्रेस ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने आधिकारिक खाते पर लिखा, ”अडाणी प्रधान सेवक ने अडाणी के कर्मचारी जनार्दन चौधरी को पर्यावरण मंत्रालय के तहत ईएसी का सदस्य नियुक्त किया था. इस समिति को अडाणी की छह परियोजनाओं (10,300 मेगावाट क्षमता की) को मंजूरी देनी है.” शिवसेना (यूबीटी) नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने ‘एक्स’ पर कहा, ”कृपया हितों के टकराव की बात मत कीजिए. वह दूसरों पर लागू होता है, वहां नहीं जहां दोस्तों के फायदे की बात हो.”

चतुर्वेदी ने कहा, ”यदि एक आचार समिति एक निर्वाचित संसद सदस्य को एक ईमेल साझा करने के लिए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का और हितों के टकराव का मुद्दा बताकर दोषी ठहरा सकती है, तो एक निजी कंपनी के सलाहकार के रूप में कार्यरत व्यक्ति को पर्यावरण मंत्रालय की समिति में जगह कैसे दी जा सकती है, जहां कंपनी के प्रस्ताव इसी समिति के समक्ष मंजूरी के लिए लंबित हैं.” उन्होंने कहा, ”यहां हितों का टकराव नहीं होता क्या? क्या जांच करने का और यह पता लगाने का कोई कारण नजर नहीं आता कि वह समिति में कैसे पहुंचे और किसने उन्हें नामित किया?”

लोकसभा की आचार समिति की सिफारिश पर निचले सदन की सदस्यता समाप्त होने के खतरे का सामना कर रहीं तृणमूल कांग्रेस सदस्य महुआ मोइत्रा ने कहा, ”(नरेन्द्र) मोदी जी के पर्यावरण मंत्रालय ने अडाणी के कर्मचारी जनार्दन चौधरी को ईएसी का सदस्य नियुक्त किया है. अडाणी की 10,300 मेगावाट क्षमता की छह परियोजनाओं को इस समिति को मंजूरी देनी है.”

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