न्यायालय ने स्वीकार नहीं किए रामदेव, बालकृष्ण के हलफनामे

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण द्वारा बिना शर्त माफी मांगने के लिए दायर किए गए हलफनामों को स्वीकार करने से बुधवार को इनकार कर दिया और कहा कि उन्होंने ऐसा तब किया जब ”उनकी गलती पकड़ ली गई.” न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, ”हम इस मामले में इतने उदार नहीं बनना चाहते.”

न्यायालय ने इस मामले पर नि्क्रिरयता बरतने के लिए राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण के प्रति भी कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि वह इसे हल्के में नहीं लेगा. पीठ ने कहा, ”हम आपकी बखिया उधेड़ देंगे.” शीर्ष अदालत ने कहा कि जब रामदेव और बालकृष्ण को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किए गए और उन्हें अदालत के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया, तो उन्होंने उस स्थिति से ”बचने का प्रयास किया” जहां व्यक्तिगत पेशी जरूरी थी. न्यायालय ने कहा कि यह ”बेहद अस्वीकार्य” है.

पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा, ”मामले के पूरे इतिहास और अवमाननाकर्ताओं के पिछले आचरण को ध्यान में रखते हुए हम उनके द्वारा दायर नवीनतम हलफनामे को स्वीकार करने के अनुरोध पर अपनी आपत्ति व्यक्त करते हैं.” न्यायालय ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 16 अप्रैल की तारीख तय की.

शीर्ष अदालत ने प्राधिकरण के प्रति अप्रसन्नता जताते हुए कहा, ”हम यह जानकर चकित हैं कि फाइलों को आगे बढ़ाने के अलावा राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने कुछ नहीं किया और वह चार-पांच साल से इस मुद्दे को लेकर ”गहरी नींद” में था.” न्यायालय ने प्राधिकरण की ओर से उपस्थित राज्य के अधिकारी से इस नि्क्रिरयता का कारण पूछा.

पीठ ने रामदेव और बालकृष्ण की माफी को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा, ”हम इस मामले में इतना उदार नहीं बनना चाहते.” उसने कहा, ”हमें लगता है कि गलती पकड़े जाने पर और खुद को अप्रिय स्थिति में पाने पर” यह माफीनामा दिया गया.
पीठ ने रामदेव और बालकृष्ण की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा, ”हम इसे स्वीकार करने या माफ करने से इनकार करते हैं. हम इसे आदेश का जानबूझकर किया गया उल्लंघन और वचनबद्धता का उल्लंघन मानते हैं….” रामदेव और बालकृष्ण ने अपने औषधीय उत्पादों के असर के बारे में बड़े-बड़े दावे करने वाले विज्ञापनों को लेकर उच्चतम न्यायालय में ”बिना शर्त माफी” मांगी थी.

उच्चतम न्यायालय में दाखिल दो अलग-अलग हलफनामों में रामदेव और बालकृष्ण ने शीर्ष अदालत के पिछले साल 21 नवंबर के आदेश में दर्ज ”बयान के उल्लंघन” के लिए बिना शर्त माफी मांगी. शीर्ष अदालत ने 21 नवंबर, 2023 के आदेश में कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने उसे आश्वासन दिया था कि ”अब से खासकर पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित और विपणन किए गए उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग के संबंध में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा. पतंजलि ने यह भी कहा था कि असर के संबंध में या चिकित्सा की किसी भी पद्धति के खिलाफ कोई भी बयान किसी भी रूप में मीडिया में जारी नहीं किया जाएगा.” शीर्ष अदालत ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ”इस तरह के आश्वासन का पालन करने के लिए बाध्य है.” आश्वासन का पालन नहीं करने और उसके बाद मीडिया में बयान जारी किए जाने पर शीर्ष अदालत ने अप्रसन्नता व्यक्त की थी. न्यायालय ने बाद में पतंजलि को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया कि क्यों न उसके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए.

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