न्यायालय ने महिला पहलवानों की यौन उत्पीड़न संबंधी याचिका पर कार्यवाही समाप्त की

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को महिला पहलवानों की याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी जिन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण ंिसह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये हैं. उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले इस बात का संज्ञान लिया कि मामले में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और सात शिकायतकर्ताओं को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की गयी है.

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने पहलवानों के वकील की इस मौखिक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद ंिसह के खिलाफ चल रही जांच की निगरानी उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश करें. हालांकि उच्चतम न्यायालय ने पहलवानों को आगे और राहत के लिए उच्च न्यायालय या संबंधित मजिस्ट्रेट के पास जाने की स्वतंत्रता दी.

पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला भी शामिल रहे. पीठ ने इस पर संज्ञान लिया कि उसके समक्ष मौजूद याचिका में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है और यह लक्ष्य पूरा हो चुका है. मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की मांग कर रही तीन महिला पहलवानों की याचिका पर सुनवाई करते हुए करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत के समक्ष शुरू की गई प्रक्रिया के अधिकार क्षेत्र का सम्मान करते हुए और प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अब हम इस स्तर पर कार्यवाही बंद कर रहे हैं.’’ वहीं, दिल्ली पुलिस की ओर से पक्ष रख रहे सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने शुरुआत में पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत के 28 अप्रैल के आदेश के अनुसार शिकायतकर्ता पहलवानों के खतरा के संबंध में पुलिस ने आकलन किया है.

उन्होंने पीठ से कहा कि नाबालिग शिकायतकर्ता और छह अन्य महिला पहलवानों के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किये गये हैं.
मेहता ने कहा कि नाबालिग शिकायतकर्ता समेत चार पहलवानों के बयान दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत दर्ज किये गये हैं.

अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में पदक जीतने वाले कई पहलवान यहां जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण ंिसह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए गठित समिति के निष्कर्षों को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं. दिल्ली पुलिस ने ंिसह के खिलाफ दो प्राथमिकियां दर्ज की हैं. वहीं, विभिन्न विपक्षी दलों का समर्थन पा रहे पहलवानों का कहना है कि जब तक ंिसह को गिरफ्तार नहीं किया जाता, वे प्रदर्शन स्थल छोड़कर नहीं जाएंगे.

सुनवाई के दौरान मेहता ने शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा के संबंध में उच्चतम न्यायालय के 28 अप्रैल के निर्देशों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि नाबालिग शिकायतकर्ता को सुरक्षा मुहैया करायी गई है और यह सुरक्षा दिल्ली पुलिस की इस रिपोर्ट के बावजूद दी गई है कि नाबालिग और छह अन्य पहलवानों को कोई खतरा नहीं है.

मेहता ने कहा, ‘‘ऐसी सिफारिश की गई है कि इस मामले और फिलहाल हो रहे प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए, कुछ वक्त तक और आवश्यकता अनुसार सुरक्षा मुहैया कराना उचित होगा….’’ वहीं, डब्ल्यूएफआई प्रमुख की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि ंिसह को पक्ष बनाए बगैर उनके खिलाफ निजी आरोप लगाए गए हैं. पीठ ने मेहता से सवाल किया कि क्या बयान धारा 161 (पुलिस के समक्ष) दर्ज किए गए हैं या सीआरपीसी की धारा 164 (मजिस्ट्रेट के समक्ष) के तहत.

मेहता ने बताया कि पुलिस सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करने के लिए मजिस्ट्रेट से वक्त मांग रही है. पीठ ने पूछा, ‘‘क्या आपने धारा 164 में बयान दर्ज कराने के लिए मजिस्ट्रेट से अनुरोध किया है.’’ सॉलीसिटर जनरल ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज करने की प्रक्रिया जल्दी शुरू की जाएगी.

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