अदालत ने कोयला घोटाले में निलंबित आईएएस रानू साहू और एक अन्य को हिरासत में भेजा

रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की एक अदालत ने राज्य में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान सामने आए कथित कोयला शुल्क घोटाले से जुड़े एक मामले में निलंबित भारतीय प्रशासनिक अधिकारी (आईएएस) अधिकारी रानू साहू और मुख्यमंत्री कार्यालय में पूर्व उप सचिव सौम्या चौरसिया को राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी)/आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) की चार दिन की हिरासत में भेज दिया है.

दोनों अधिकारियों को धन शोधन से जुड़े कथित कोयला शुल्क घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था.
वर्ष 2010 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी साहू को ईडी ने पिछले साल जुलाई में गिरफ्तार किया था, जबकि मुख्यमंत्री कार्यालय में तत्कालीन उप सचिव चौरसिया को दिसंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था. तभी से दोनों जेल में थे.

एसीबी/ईओडब्ल्यू के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने बताया कि साहू और चौरसिया को एसीबी/ईओडब्ल्यू ने बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किया और अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (चतुर्थ) अतुल कुमार श्रीवास्तव की अदालत में पेश किया. पांडेय ने बताया, ”एसीबी/ईओडब्ल्यू ने पांच जून तक उनकी हिरासत की मांग की थी, लेकिन अदालत ने 27 मई तक की हिरासत दी है.” उन्होंने कहा कि इस साल की शुरुआत में ईओडब्ल्यू ने ईडी द्वारा साझा की गई जानकारी के आधार पर कथित कोयला शुल्क घोटाले में मामला दर्ज किया था. ईडी पिछले दो वर्षों से इस मामले में धन शोधन के पहलू की जांच कर रही है.

पांडेय ने बताया कि एसीबी/ईओडब्ल्यू ने अपने मामले में अधिक जानकारी और सबूत इकट्ठा करने के लिए साहू और चौरसिया को गिरफ्तार किया और पूछताछ के लिए उनकी हिरासत मांगी. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी में, राज्य के एसीबी/ईओडब्ल्यू ने पूर्व मंत्री अमरजीत भगत, निवर्तमान कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव, पूर्व विधायक- यूडी मिंज, गुलाब कमरो, चंद्रदेव प्रसाद राय, शिशुपाल सोरी, बृहस्पत सिंह, निलंबित आईएएस अधिकारी समीर बिश्नोई और रानू साहू तथा सौम्या चौरसिया को आरोपी बनाया गया है.

प्राथमिकी में उल्लेख किया गया है कि वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, नेताओं और बिचौलियों से जुड़े एक कार्टेल द्वारा राज्य में परिवहन किए गए कोयले के लिए 25 रुपये प्रति टन के हिसाब से अवैध शुल्क की वसूली जा रही थी. प्राथमिकी के मुताबिक, व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी इस घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता था.

ईडी ने छत्तीसगढ़ में कोयला शुल्क घोटाले में धन शोधन की जांच शुरू की थी तथा तलाशी ली थी और 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. ईडी ने 222 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया था. इसमें कहा गया है कि एक गिरोह कुछ राजनीतिक व्यक्तियों के समर्थन से नीतिगत बदलाव कराने में कामयाब रहे. गिरोह में सूर्यकांत तिवारी जैसे निजी व्यक्ति और सौम्या चौरसिया, समीर विश्नोई जैसे राज्य सरकार के पदाधिकारी और राज्य खनन अधिकारी शामिल हैं. प्राथमिकी में कहा गया कि उगाही की गई राशि का उपयोग सूर्यकांत तिवारी और सौम्या चौरसिया के निर्देशानुसार किया गया था.

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