यूक्रेन संकट से भारत, थाइलैंड जैसे कच्चे तेल के आयातक होंगे सबसे अधिक प्रभावित
नयी दिल्ली. रूस-यूक्रेन युद्ध से एशिया-प्रशांत के देशों में भारत और थाइलैंड जैसे कच्चे तेल के बड़े आयातक सबसे अधिक प्रभावित होंगे. एसएंडपी ग्लोबल रेंिटग्स ने बुधवार को यह बात कही. एसएसंडी का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2023-24 में छह प्रतिशत तथा 2024-25 में 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
एसएंडपी ने चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति के 5.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है. रेंिटग एजेंसी ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बैंकों का रूस में काफी कम निवेश है. उससे उनपर युद्ध का प्रभाव सीमित रहने की संभावना है. हालांकि, कई अन्य जोखिम इस स्थिति से जुड़े हैं.
एसएंडपी की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘यूक्रेन विवाद का सबसे बड़ा जोखिम बाजार के उतार-चढ़ाव और ंिजसों की ऊंची कीमतों का है. ऊर्जा की बड़Þी आयातक उभरती अर्थव्यवस्थाएं इससे सबसे अधिक प्रभावित होंगी.’’ भारत अपनी कच्चे तेल की 85 प्रतिशत जरूरत आयात से पूरा करता है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल का एशिया में भारत पर सबसे अधिक असर पड़ेगा. गत 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पिछले सप्ताह कच्चे तेल के दाम 140 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए हैं. हालांकि, उसके बाद दाम नीचे आए हैं और अब कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है.