दिल्ली पुलिस सोनम वांगचुक को राजघाट लेकर गई

नयी दिल्ली. दिल्ली पुलिस हिरासत में लिए गए जलवायु कार्यकर्ता सोमन वांगचुक और लद्दाख के 170 अन्य लोगों को राजघाट लेकर गई. एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी. पुलिस ने निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में दो दिन पहले वांगचुक और अन्य को हिरासत में लिया था.

वांगचुक ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ का नेतृत्व कर रहे थे, जो एक महीने पहले लेह से शुरू हुई थी. उन्हें सोमवार रात हिरासत में लिया गया.
लेह से एक सितंबर को निकले पदयात्रियों ने चुनावी राज्य हरियाणा को छोड़कर पूरा रास्ता पैदल पूरा किया. हरियाणा में वे बसों में सवार हुए. उन्हें सोमवार रात दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में लिया गया और अलग-अलग थानों में ले जाया गया, जहां उन्होंने अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया.

‘लेह एपेक्स बॉडी’ (एलएबी) ने ‘करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ के साथ मिलकर इस पदयात्रा का आयोजन किया था, जो पिछले चार साल से लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने, लद्दाख के लिए लोक सेवा आयोग की स्थापना के साथ शीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरू करने तथा लेह एवं करगिल जिलों में अलग लोकसभा सीटों की मांग और अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा है.

रिहा किए जाने के बाद फिर से हिरासत में लिए गए सोनम वांगचुक, अनिश्चितकालीन अनशन जारी

पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और लद्दाख के 150 अन्य प्रदर्शनकारियों ने दोबारा हिरासत में लिए जाने के बाद अपना अनिश्चितकालीन अनशन बुधवार को भी जारी रखा कहा कि शांति और लोकतंत्र को प्रर्दिशत करने वाले दिवस गांधी जयंती पर उनके अधिकारों को ”कुचल दिया गया” है. वांगचुक ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ का नेतृत्व कर रहे थे, जो एक महीने पहले लेह से शुरू हुई थी.उन्हें सोमवार रात हिरासत में लिया गया.

‘लेह एपेक्स बॉडी’ के समन्वयक जिगमत पलजोर ने बुधवार सुबह जारी एक बयान में कहा कि 24 घंटे से अधिक समय से जारी उनकी हिरासत अवैध है. पलजोर ने कहा, ”हम पदयात्री खुद को एक खतरनाक स्थिति में पा रहे हैं. हमें 24 घंटे से ज्यादा समय से हिरासत में रखा गया है. यह हिरासत अवैध है, 24 घंटे की अवधि बीत चुकी है और हमें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए.”

उन्होंने कहा, ”कुछ समूहों को 24 घंटे के अंदर रिहा कर दिया गया और फिर थाने वापस बुला लिया गया. बीती रात को पुलिस ने हमें जबरन एक अज्ञात स्थान पर ले जाने का प्रयास किया, लेकिन हम विरोध में डटे रहे.” पलजोर ने बयान में कहा, ”बवाना थाने में हमारे फोन जब्त कर लिए गए हैं, जिससे हम बाहरी दुनिया से कट गए हैं.” दिल्ली पुलिस ने हालांकि कहा कि ‘पदयात्रियों’ को बीती रात रिहा कर उन्हें फिर से हिरासत में लिया गया था.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि वांगचुक और हिरासत में लिए गए लद्दाख के अन्य नागरिकों को मंगलवार रात रिहा कर दिया गया था लेकिन वे दिल्ली के मध्य भाग की ओर मार्च करने पर अड़े रहे, इसलिए उन्हें फिर से हिरासत में ले लिया गया. लेह से एक सितंबर को निकले पदयात्रियों ने चुनावी राज्य हरियाणा को छोड़कर पूरा रास्ता पैदल पूरा किया. हरियाणा में वे बसों में सवार हुए. उन्हें सोमवार रात दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में लिया गया और अलग-अलग थानों में ले जाया गया, जहां उन्होंने अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया.

पलजोर ने कहा, ”सभी ‘पदयात्री’ 36 घंटे से ‘अनशन’ पर हैं. आज दो अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर हम श्रद्धांजलि देने के लिए गांधी समाधि जाना चाहते थे. लेकिन इसके बजाय शांति और लोकतंत्र के प्रतीक के दिन पर हमारे अधिकारों का हनन किया जा रहा है.” उन्होंने कहा, ”ये परिस्थितियां हमारे लोकतंत्र की स्थिति के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करती हैं. हम सभी से इस महत्वपूर्ण समय में हमारे साथ एकजुटता दिखाने का आह्वान करते हैं.”

‘लेह एपेक्स बॉडी’ (एलएबी) ने ‘करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ के साथ मिलकर इस पदयात्रा का आयोजन किया था, जो पिछले चार साल से लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने, लद्दाख के लिए लोक सेवा आयोग की स्थापना के साथ शीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरू करने तथा लेह एवं करगिल जिलों में अलग लोकसभा सीटों की मांग और अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा है. उन्होंने कहा कि वांगचुक को कुछ अन्य लोगों के साथ बवाना थाने में रखा गया है, जबकि अन्य को नरेला औद्योगिक क्षेत्र, अलीपुर और कंझावला के थानों में रखा गया है.

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