बारिश के बावजूद धरना स्थल पर डटे रहे पहलवान, सिद्धू भी प्रदर्शनकारी पहलवानों के समर्थन के लिए पहुंचे

नयी दिल्ली. तेज बारिश ने सोमवार को पहलवानों के धरने में व्यवधान डाला और थोड़ी अफरातफरी के बावजूद खिलाड़ियों को और समर्थन मिला जब पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कांग्रेस नेता नवजोत ंिसह सिद्धू ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण ंिसह से हिरासत में पूछताछ की मांग की.

समर्थकों में बड़ी संख्या में मौजूद किसान और खाप सदस्य दोपहर को बारिश से बचने के लिए जगह तलाशते दिखे. सड़क से गद्दों को हटाया गया और कामचलाऊ शेड में रखा गया. बड़े-बूढ़ों को शेड के अंदर ले जाया गया और इस अफरातफरी के बीच एक बड़ा पंखा उनमें से एक व्यक्ति के ऊपर गिर गया. प्रतिबद्ध पहलवानों ने कहा कि वे विरोध स्थल से नहीं हटेंगे और मौसम का सामना करेंगे.

बजरंग पूनिया ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘हम यहां से नहीं हटेंगे. हम यहीं सोएंगे, फिर चाहे इसके लिए हमें गीले गद्दों पर सोना पड़े. हम यहां से नहीं जाने वाले. अगले दो दिनों तक मौसम ऐसा ही रहने वाला है लेकिन हम इन बाधाओं का सामना करने के लिए तैयार हैं.’’ अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पीड़िताओं के बयान अभी तक दर्ज नहीं किए हैं.

प्राथमिकी को लेकर पुलिस बृजभूषण से पूछताछ कर सकती है, हालांकि अभी तक उन्हें कोई आधिकारिक नोटिस नहीं दिया गया है.
सिद्धू ने धरना स्थल पर दो घंटे से अधिक समय बिताया और उन्हें विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के साथ चर्चा करते देखा गया.
बाद में सिद्धू ने पूछा कि पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज होने के बावजूद बृजभूषण को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया. भाजपा सांसद बृजभूषण के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज हैं.

सिद्धू से पहले कांग्रेस से प्रियंका गांधी और भूंिपदर ंिसह हुड्डा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल, राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी, जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ंिसह और सौरभ भारद्वाज भी पिछले आठ दिन में धरना स्थल पर पहुंच चुके हैं . सिद्धू ने बृजभूषण के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में देरी को लेकर पुलिस पर सवाल उठाया.

सिद्धू ने कहा, ‘‘प्राथमिकी में देरी क्यों हुई? प्राथमिकी को सार्वजनिक नहीं करना दर्शाता है कि प्राथमिकी हल्की है और शिकायतकर्ता की शिकायत की पुष्टि नहीं करती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें पहले गिरफ्तार किया जाना चाहिए और हिरासत में पूछताछ होनी चाहिए. उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके.’’ उन्होंने बृजभूषण को बचाने के पीछे की मंशा पर भी सवाल उठाया. सिद्धू ने कहा, ‘‘इरादा संदिग्ध है और मकसद अभियुक्तों की रक्षा करना है. क्या चीजों को छिपाया जा रहा है. जिस अधिकारी ने प्राथमिकी में देरी की है, उस पर आईपीसी की धारा 166 के तहत मुकदमा क्यों नहीं चलाया जा रहा है क्योंकि वह एक प्राथमिकी दर्ज करने के लिए बाध्य था जो माननीय सर्वोच्च न्यायालय के ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के अनुसार एक संज्ञेय अपराध के मामले में अनिवार्य है.’’

बृजभूषण के खिलाफ पहली प्राथमिकी एक नाबालिग द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित है जो भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के साथ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज की गई है. दूसरी प्राथमिकी शीलभंग से संबंधित आईपीसी की प्रासंगिक धाराओं के तहत वयस्क शिकायतकर्ताओं द्वारा शिकायतों की व्यापक जांच करने के लिए दर्ज की गई है.

सिद्धू ने सवाल किया, ‘‘पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामले गैर-जमानती हैं … अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? क्या शक्तिशाली लोगों के लिए कानून अलग है?’’ सिद्धू ने कहा कि डब्ल्यूएफआई के शीर्ष पद पर बृजभूषण के होने से निष्पक्ष जांच का सवाल ही नहीं उठता.

उन्होंने कहा, ‘‘उनके नेतृत्व में निष्पक्ष जांच असंभव है. राष्ट्र समझता है कि समिति का गठन केवल देरी करने के लिए है. एक सार्थक जांच और सच्चाई को उजागर करने का एकमात्र तरीका ‘हिरासत में पूछताछ’ है, इसके बिना निष्पक्ष जांच अर्थहीन है.’’ सिद्धू ने कहा, ‘‘लड़ाई हर महिला के सम्मान, अखंडता और गरिमा के लिए है.’’ सिद्धू के जाने के बाद डीएमके के राज्यसभा सांसद एम मोहम्मद अब्दुल्ला ने पहलवानों से मुलाकात की. उन्होंने कहा, ‘‘तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मुझे यहां यह संदेश देकर भेजा है कि हम पहलवानों का समर्थन करते हैं.’’ अब्दुल्ला ने पहलवानों के साथ करीब 20 मिनट बिताए.

इस बीच यह सुगबुगाहट थी कि अगर अधिकारियों ने पहलवानों की मदद नहीं की और बृजभूषण को दंडित नहीं किया गया तो खाप नेताओं के साथ मिलकर किसान नेता दिल्ली की सीमाओं को जाम कर देंगे. बजरंग ने कहा, ‘‘पहलवानों ने अभी इस बारे में नहीं सोचा है लेकिन व्यक्तिगत रूप से अगर कोई और कह रहा है तो मुझे नहीं पता.’’ डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण ने इसके साथ ही कहा कि वह फांसी पर चढ़ने के लिए तैयार हैं लेकिन कुश्ती की गतिविधियां नहीं रुकनी चाहिए क्योंकि इससे कैडेट और जूनियर पहलवानों को नुकसान हो रहा है.

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा,‘‘ पिछले चार महीनों से कुश्ती की सभी गतिविधियां ठप पड़ी हैं. मैं कहता हूं कि मुझे फांसी दे दो लेकिन कुश्ती की गतिविधियों को मत रोको. बच्चों के भविष्य से मत खेलो. कैडेट की राष्ट्रीय चैंपियनशिप को होने दो चाहे कोई भी इसे आयोजित करें.. चाहे वह महाराष्ट्र हो, तमिलनाडु या त्रिपुरा लेकिन कुश्ती की गतिविधियों को मत रोको.’’

बृजभूषण ने कहा कि राष्ट्रीय कैडेट चैंपियनशिप का आयोजन जो चाहे कर सकता है और डब्ल्यूएफआई को इस पर कोई आपत्ति नहीं है. जहां तक टूर्नामेंट का सवाल है तो फिर विरोध कर रहे पहलवान, आईओए या सरकार जो भी चाहे इसका आयोजन कर सकते हैं. उन्होंने कहा,‘‘ मैं उनसे (प्रदर्शनकारी पहलवानों, आईओए, सरकार) अपील करता हूं कि आप राष्ट्रीय कैडेट चैंपियनशिप, राष्ट्रीय जूनियर चैंपियनशिप और अन्य टूर्नामेंट का आयोजन करो. यदि आप नहीं कर सकते तो फिर महासंघ इनका आयोजन कर सकता है.’’

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