महिलाओं के लिए गोबर बना आय का नया जरिया: छग में महिला समूहों ने बेचा 198 करोड़ रूपए का वर्मी कम्पोस्ट

रायपुर. छत्तीसगढ़ में गोबर से लोगों के जीवन में परिवर्तन आ रहा है. गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के साथ-साथ पेंट और बिजली भी तैयार किया जा रहा है. गांवों में महिला समूह की कोई सदस्य टू-व्हीलर खरीद रही है, तो कई ने गहने भी खरीदे. किसी ने अपने परिवार के सदस्य के लिए शादी के लिए कर्जा चुकाया है. ये सभी महिलाएं गरीब परिवारों से ताल्लुक रखती हैं. जिन्होंने कभी चार दीवारी से बाहर कदम नहीं रखा था. ऐसे समूहों में आत्मविश्वास और काम के प्रति ललक को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार गोबर से बने उत्पादों को प्रोत्साहित कर रही है.

मनेन्द्रगढ़ शहरी क्षेत्र की महिलाओं ने वर्ष 2020 में गौठानों से जुड़कर वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने का काम शुरू किया. इन महिलाओं के द्वारा बनाए गए स्वच्छ मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र स्तरीय संघ ने पिछले तीन साल में एक करोड़ रूपए का वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर बेचा है. ये आंकड़ा राज्य के बाहर के लोगों के लिए चौकाने वाला हो सकता है लेकिन छत्तीसगढ़ में कोई नई बात नहीं है. यहां बड़ी संख्या में महिलाएं गौठानों से जुड़कर गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रही हैं. महिलाओं द्वारा तैयार वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री सहकारी समितियों के माध्यम से की जा रही है.

स्वच्छ मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र स्तरीय संघ ने वर्ष 2020 में गोधन न्याय योजना के शुभारंभ के साथ ही शहरी गौठान में गोबर खरीदी का कार्य शुरू किया. अब तक यहां से 33 हजार 195 क्विंटल गोबर क्रय किया गया, जिससे 10 हजार 809 क्विंटल वर्मी खाद बनाया जा चुका है और 10 हजार 32 क्विंटल वर्मी बेचा गया है. इससे उन्हें 1 करोड़ रूपए से अधिक राशि प्राप्त हुई है. महिला संघ को पिछले तीन साल में अब तक 36 लाख रूपए से अधिक का लाभांश प्राप्त हुआ है. इन्हें पूर्व से डोर टू डोर कचरा एकत्र के लिए करीब 6 हजार रूपए महीना दिया जा रहा था. अब उन्हें वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय के लाभांश से अतिरिक्त आय भी हो रही हैं. अपनी आय में वृद्धि से महिला समूह की सदस्य उत्साहित है.

स्वच्छ मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र स्तरीय संघ की अध्यक्ष प्रीति टोप्पो बताती है कि उन्हें मिले लाभांश से उसने बहन की शादी में कुछ कर्ज लिया था, वो इस पैसे से छूट गया, बच्चों को स्कूल आने-जाने के लिए साईकल लेकर दी और घर के लिए टीवी भी ले लिया. संघ की सदस्य सविता दास कहती हैं कि जब गोधन न्याय योजना शुरू हुई तो शहर के गौठान में समूह के रूप में जुड़कर वर्मी कम्पोस्ट निर्माण का कार्य शुरू किया. जैसे-जैसे उत्पादन एवं विक्रय से लाभ मिला, लोगों का हमारे प्रति नजरिया बदलने लगा. इस योजना से हमें स्वरोजगार का जरिया मिला है और वर्मी खाद विक्रय से जो लाभांश मुझे मिला उससे मैंने टू व्हीलर गाड़ी खरीदी है.

27 लाख क्विंटल वर्मी खाद का उत्पादन

राज्य में गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने 11 हजार 477 महिला समूह की लगभग सवा लाख से अधिक महिलाएं जुड़ी है. इनके द्वारा 27 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया गया है. महिला समूहों द्वारा 198 करोड़ रूपए का वर्मी कम्पोस्ट बेचा जा चुका है. यही वजह है कि पिछले तीन सालों में छत्तीसगढ़ में खाद की कमी नहीं हुई. वर्मी कम्पोस्ट का किसानों द्वारा भरपूर इस्तेमाल किया. राज्य सरकार के प्रयासों की सफलता का सबूत है कि इस वर्ष छत्तीसगढ़ में धान का बम्पर उत्पादन हुआ है और राज्य में समर्थन मूल्य में 107 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई है.

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