ईडी ने धनशोधन के मामले में नेशनल हेराल्ड के कार्यालय, अन्य स्थानों पर छापेमारी की

नयी दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धनशोधन मामले की जांच के तहत मंगलवार को यहां कांग्रेस के स्वामित्व वाले ‘नेशनल हेराल्ड’ समाचार पत्र के मुख्यालय और 11 अन्य स्थानों पर छापेमारी की. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. यह छापेमारी कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से पूछताछ के एक सप्ताह बाद की गई है.

अधिकारियों ने बताया कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत छापे मारे जा रहे हैं, ताकि यह पता लगाने के लिए अतिरिक्त सबूत एकत्र किए जा सकें कि धन का लेन-देन किसके बीच हुआ. उन्होंने कहा कि इस मामले में विभिन्न लोगों से हालिया पूछताछ के बाद ईडी को मिले नए सबूतों के मद्देनजर कार्रवाई की जा रही है.

जांच एजेंसी ने यहां अपने मुख्यालय में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके सांसद बेटे राहुल से पूछताछ के बाद यह छापेमारी की है. सोनिया गांधी से जहां पिछले महीने तीन चरणों में 11 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई थी, वहीं जून में राहुल गांधी से ईडी ने पांच दिन तक, विभिन्न अंतराल पर, 50 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी. ईडी ने मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं से भी अप्रैल में पूछताछ की थी.

नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) द्वारा किया जाता है, और इसकी मूल कंपनी ‘यंग इंडियन’ है.
संघीय एजेंसी के अधिकारियों ने मध्य दिल्ली में आईटीओ पर बहादुर शाह जफर मार्ग पर ‘हेराल्ड हाउस’ में स्थित नेशनल हेराल्ड के कार्यालय पर छापा मारा. यह कार्यालय ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ के नाम पर पंजीकृत है.

अधिकारियों के अनुसार, इस मामले में शामिल कोलकाता स्थित एक मुखौटा कंपनी के परिसर पर भी छापेमारी की गई है.
कांग्रेस ने अपने नेताओं के खिलाफ ईडी की कार्रवाई को “राजनीतिक प्रतिशोध” करार देते हुए कहा था कि इस मामले में कोई धनशोधन नहीं हुआ है.

पार्टी ने कहा है कि उसने बीमार एजेएल को 2001-02 और 2010-11 के बीच 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया था और बाद में 2011 में, एजेएल के शेयर यंग इंडियन को आवंटित किए गए थे तथा इस ऋण को इक्विटी में बदल दिया गया था. ईडी का दावा है कि यह लेन-देन धनशोधन के आरोपों से जुड़ा है क्योंकि एजेएल की कई करोड़ रुपये की संपत्ति का अधिग्रहण करने के लिए पार्टी और इसके नेताओं ने लेन-देन के वास्ते एक जटिल तंत्र का सहारा लिया.

समझा जाता है कि गांधी परिवार ने अलग-अलग पूछताछ के दौरान ईडी को बताया था कि कांग्रेस-एजेएल-नेशनल हेराल्ड सौदे में कोई व्यक्तिगत संपत्ति नहीं बनाई गई थी क्योंकि यंग इंडियन, कंपनी अधिनियम की धारा 25 के तहत स्थापित एक “गैर-लाभकारी” कंपनी है. उन्होंने ईडी को यह भी बताया कि एजेएल के पास उसकी सभी संपत्तियों का कब्जा है और यंग इंडियन न तो इन संपत्तियों की मालिक है और न ही नियंत्रण रखती है.

सोनिया गांधी और राहुल गांधी यंग इंडियन के प्रवर्तकों और बहुलांश शेयरधारकों में से हैं. बेटे की तरह कांग्रेस अध्यक्ष के पास भी 38 फीसदी हिस्सेदारी है. यह मामला वर्ष 2012 में सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दर्ज कराई गई एक निजी आपराधिक शिकायत से जुड़ा है. स्वामी ने गांधी परिवार और अन्य लोगों पर धोखाधड़ी तथा धन का गबन करने की साजिश का आरोप लगाया था जिसमें यंग इंडियन ने 90.25 करोड़ रुपये वसूलने का अधिकार प्राप्त करने के वास्ते केवल 50 लाख रुपये का भुगतान किया था.

पिछले साल फरवरी में दिल्ली उच्च न्यायालय ने गांधी परिवार को नोटिस जारी कर स्वामी की याचिका पर जवाब मांगा था. ईडी के अनुसार, लगभग 800 करोड़ रुपये की संपत्ति एजेएल के पास है और एजेंसी गांधी परिवार से जानना चाहती है कि कैसे यंग इंडियन जैसी गैर-लाभकारी कंपनी अपनी जमीन और भवन संपत्तियों को किराए पर देने की व्यावसायिक गतिविधियां कर रही थी. कांग्रेस ने कहा है कि आयकर विभाग ने एजेएल की संपत्तियों का मूल्य करीब 350 करोड़ रुपये आंका है.

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