पूर्वोत्तर में हमारे पक्ष में माहौल, लोग भाजपा को खारिज करेंगे: कांग्रेस

न्यायपालिका को डराने-धमकाने के लिए पूर्व न्यायाधीशों से पत्र लिखवाया गया: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि पूर्वोत्तर में उसके पक्ष में लहर है तथा लोग विविधता पर एकरूपता को थोपने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रयास को खारिज करेंगे. हाल ही में पूर्वोत्तर के कई राज्यों का दौरा करने वाले पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ”मैंने अभी उत्तर-पूर्वी राज्यों का दौरा किया है, जहां कांग्रेस की लहर नजर आ रही है. उत्तर-पूर्वी राज्यों का सबसे बड़ा मुद्दा है कि वहां के लोगों की विविधता को कौन सुरक्षित रख सकता है.” उन्होंने दावा किया कि उत्तर-पूर्वी राज्यों में जो धर्म, जाति, भाषा और प्रांत के आधार पर विविधताएं हैं, आज उन पर खतरा मंडरा रहा है तथा वहां की जनता समझ गई है कि भाजपा को हटाने का विकल्प सिर्फ कांग्रेस है.

रमेश ने कहा कि लोग विविधता पर एकरूपता को थोपने के प्रयास को खारिज करेंगे. मणिपुर की स्थिति को लेकर रमेश ने दावा किया, ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी बार-बार तमिलनाडु और केरल जाते हैं, लेकिन उन्हें मणिपुर जाने की हिम्मत नहीं हो रही. मणिपुर में 19 अप्रैल को चुनाव होने वाले हैं, लेकिन वे चुनाव प्रचार के लिए भी वहां नहीं गए. यह देश के लिए काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश का एक राज्य जल रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री खामोश हैं.”

न्यायपालिका को डराने-धमकाने के लिए पूर्व न्यायाधीशों से पत्र लिखवाया गया: कांग्रेस

कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के 21 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के एक समूह द्वारा प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा जाना न्यायपालिका को डराने-धमकाने की रणनीति का हिस्सा है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि न्यायपालिका को सबसे बड़ा खतरा कांग्रेस से नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से है.

उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के 21 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के एक समूह ने ”सोचे समझे दबाव, गलत सूचना और सार्वजनिक रूप से अपमान के जरिए न्यायपालिका को कमजोर करने के कुछ गुटों” के बढ.ते प्रयासों पर भारत के प्रधान न्यायाधीश को एक पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि ये आलोचक संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित हैं तथा न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को कम करने का प्रयास कर रहे हैं.

इस पत्र के बारे में पूछे जाने पर रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ”21 पूर्व न्यायाधीशों ने खत लिखा है जो इस बात की एक और मिसाल है कि किस प्रकार से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री उच्चतम न्यायालय को धमकी दे रहे हैं, डरा रहे हैं और दबाव बना रहे हैं.” उनका कहना था, ”उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि मणिपुर में संविधान नहीं बचा है. इसके बाद उसने कहा था कि चुनावी बॉण्ड असंवैधानिक है.

उच्चतम न्यायालय में एक न्यायाधीश ने नोटबंदी की आलोचना की थी. इसलिए एक निष्पक्ष न्यायपालिका को डराने और धमकी देने के लिए यह तरीका अपनाया गया है.” रमेश ने दावा किया कि पत्र लिखने वाले पूर्व न्यायाधीशों की सूची में चौथे नंबर का नाम देखने से ही पूरा राज खुल जाता है. पत्र लिखने वाले पूर्व न्यायाधीशों की सूची में चौथे स्थान पर न्यायमूर्ति(सेवानिवृत्त) एम आर शाह का नाम है. कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया, ”न्यायपालिका को सबसे बड़ा खतरा कांग्रेस से नहीं है, बल्कि भाजपा, प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह से है. इस खतरे से ध्यान हटाने के लिए ये खत लिखवाए जा रहे हैं. यह मोदी सरकार की रणनीति है.”

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