आबकारी नीति: धनशोधन मामले में उच्च न्यायालय ने सिसोदिया को जमानत देने से किया इनकार

नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति से जुड़े कथित घोटाले से संबंधित धन शोधन के एक मामले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी. उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नौ मार्च को गिरफ्तार किया था और अभी वह न्यायिक हिरासत में हैं.

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने सिसोदिया को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि वह जमानत के लिए ‘ट्रिपल टेस्ट’ का आदेश पारित नहीं कर सकते, जिसमें अदालत को यह विचार करना होता है कि क्या किसी आरोपी के न्याय की जद से भागने, सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने की आशंका है.

अदालत ने सिसोदिया के अलावा उद्योगपति अभिषेक बोइनपल्ली, बिनॉय बाबू और विजय नायर की याचिकाएं भी खारिज कर दीं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धन शोधन के मामले में ये सभी सह-आरोपी हैं. विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा की जा रही है.
उच्च न्यायालय ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर अपने फैसले में कहा कि उसने एक विशेष अदालत के आदेश का अध्ययन किया है, जिसने पहले उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उसे फैसले में कोई त्रुटि या अवैधता नहीं मिली.

फैसले में कहा गया है, ”याचिकाकर्ता (सिसोदिया) जमानत के हकदार नहीं है, लिहाजा याचिका खारिज की जाती है.” न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, विशेष अदालत ने रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री के आधार पर सोच-विचार कर तर्कसंगत आदेश पारित किया था. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे वापस ले लिया गया.

सिसोदिया को घोटाले में कथित भूमिका के लिए सबसे पहले 26 फरवरी को केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया था और वह तब से हिरासत में हैं. उच्च न्यायालय सीबीआई के मामले में 30 मई को उन्हें जमानत देने से इनकार कर चुका है.

Related Articles

Back to top button