वित्त मंत्री ने पेश किया सरकार का ‘विदाई बजट’, गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए कुछ नहीं: विपक्ष

सरकार ने 10 वर्षों में हंसती-खेलती अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया: गौरव वल्लभ

नयी दिल्ली. विपक्षी दलों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश अंतरिम बजट को निराशाजनक और सरकार का ‘विदाई बजट’ करार देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इसमें गरीबों एवं मध्यम वर्ग के लिए कुछ भी नहीं है तथा महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों का कोई उल्लेख नहीं है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को अगले वित्त वर्ष के लिए सुधारों को आगे बढ़ाने वाला अंतरिम बजट पेश किया, जिसमें लोकलुभावन घोषणाओं से परहेज किया गया है.

उन्होंने वित्त वर्ष 2024-25 का लेखानुदान या अंतरिम बजट पेश करते हुए एक तरफ जहां आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये पूंजीगत व्यय 11 प्रतिशत बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है, वहीं चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को संशोधित कर इसे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.8 प्रतिशत कर दिया है. कुल 47.66 लाख करोड़ रुपये के व्यय का बजट पेश किया गया है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा पेश अंतरिम बजट सिर्फ रंग-बिरंगे शब्दों का मायाजाल है तथा इसमें गरीबों और मध्य वर्ग लिए कुछ नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को बताना चाहिए कि पिछले 10 वर्षों में सरकार ने जितने वादे किए गए, उनमें से कितने पूरे हुए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर ‘अमीरों की, अमीरों द्वारा और अमीरों के लिए सरकार होने’ का आरोप लगाया और कहा कि अंतरिम बजट में बेरोजगारी और कई महत्वपूर्ण मुद्दों का उल्लेख नहीं किया गया.

उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठगंधन (संप्रग) की सरकार में औसत विकास दर 7.5 फीसदी थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में औसत विकास दर 6 फीसदी से भी कम रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा, ”बजट भाषण बहुत छोटा और निराशाजनक था. बहुत अधिक बयानबाजी थी. कई मुद्दों को छुआ नहीं गया. बेरोजगारी जैसे मुद्दे का उल्लेख ही नहीं किया गया.”

उन्होंने कहा, ”यह सरकार अपनी विफलता को भी सफलता के रूप में पेश करेगी. आम भारतीय मतदाता से पूछिए कि सरकार की नीतियों से उसकी जेब को क्या मिला तो इसका जवाब मिल जाएगा कि देश का आम आदमी क्या सोचता है.” समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा पेश किए गए अंतरिम बजट को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का ‘विदाई बजट’ करार दिया.

यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर की गई टिप्पणी में कहा, “कोई भी बजट अगर विकास के लिए नहीं है और कोई भी विकास अगर जनता के लिए नहीं है तो वह व्यर्थ है.” बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्­यमंत्री मायावती ने अंतरिम बजट को जमीनी वास्तविकता से दूर चुनावी लुभावन वाला बजट करार दिया शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नरेन्द्र मोदी सरकार का ”आखिरी” बजट पेश किया है.

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अंतरिम बजट को लोकसभा चुनाव से पहले ”चुनावी शिगूफा” करार दिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से ”राजनीतिक नौटंकी बंद करने तथा मानव कल्याण को प्राथमिकता देने” का आग्रह किया. टीएमसी की वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने किसानों की आत्महत्याओं का जिक्र करते हुए केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की निंदा की.

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की नेता हरसिमरत कौर बादल ने दावा किया कि इस बजट में कुछ नहीं है. उन्होंने कहा, ”अगर 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देना पड़ रहा है तो करोड़ों लोग गरीबी रेखा से ऊपर कैसे आए? सरकार की बातों में कई अपवाद हैं. सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई है, लेकिन यह बजट जमीनी वास्तविकताओं से दूर है.”

सरकार ने 10 वर्षों में हंसती-खेलती अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया: गौरव वल्लभ

कांग्रेस नेता गौरव वल्लभ ने बृहस्पतिवार को पेश अंतरिम बजट को निराशाजनक करार दिया और आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार ने पिछले 10 वर्षों के दौरान देश की हंसती-खेलती अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया. उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”बजट भाषण में 42 बार प्रधानमंत्री शब्द का इस्तेमाल किया गया और एक बार भी बेरोजगारी का उल्लेख नहीं किया गया. ऐसा लगता है कि यह बजट युवाओं को नहीं, प्रधानमंत्री को सर्मिपत था.” कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि अंतरिम बजट निराशाजनक है तथा इसमें मध्य वर्ग के लिए कुछ ठोस नहीं है.

वल्लभ ने आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने हंसती-खेलती अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया. उन्होंने कहा, ”सबसे पहले नोटबंदी के जरिये असंगठित क्षेत्र को नष्ट किया गया. इसके बाद त्रुटिपूर्ण जीएसटी लागू करके संगठित क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया गया. फिर बिना योजना के लॉकडाउन लगाया गया जिससे अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई.” कांग्रेस नेता ने कहा कि बजट में दूरर्दिशता और नजरिये का अभाव है.

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