ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलते हुए मेरे करियर की सबसे बड़ी चुनौती टीम में फिट होना: ख्वाजा

लंदन: पाकिस्तान में जन्मे आॅस्ट्रेलिया के टेस्ट सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा का मानना है कि उनके करियर में सबसे बड़ी चुनौती खुद के प्रति ईमानदार रहकर टीम में जगह बनाना और मैदान पर अपने प्रदर्शन से टीम के साथियों का सम्मान अर्जित करना रहा है। इस्लामाबाद में जन्मे ख्वाजा 2011 में आॅस्ट्रेलिया के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले पाकिस्तान में जन्मे पहले क्रिकेटर बने थे।

ख्वाजा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद से कहा, ‘‘आॅस्ट्रेलिया के लिए खेलते हुए मेरे पूरे करियर की सबसे बड़ी चुनौती टीम में फिट होना रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसका एक हिस्सा रन बनाकर और मैदान पर प्रदर्शन करके अपने साथियों का सम्मान अर्जित करना है और दूसरी तरफ अपने व्यक्तित्व में सहज रहना है।’’ यह 36 वर्षीय खिलाड़ी बुधवार से यहां भारत के खिलाफ शुरू होने वाले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल के लिए आॅस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा है।

आॅस्ट्रेलिया के लिए 60 टेस्ट में 4495 रन बनाने वाले ख्वाजा राष्ट्रीय टीम का अभिन्न हिस्सा हैं लेकिन कुछ अच्छे स्कोर के बावजूद बाएं हाथ के इस बल्लेबाज को 2019 की एशेज श्रृंखला के बाद बाहर कर दिया गया था। शेफील्ड शील्ड में रन बनाने के बाद ख्वाजा ने 2021 एशेज के लिए टेस्ट टीम में वापसी की और सिडनी टेस्ट की दोनों पारियों में शतक बनाए।

उन्होंने कहा, ‘‘अब मैं निश्चित रूप से खुद को बेहतर तरीके से पेश कर पा रहा हूं। इसके पीछे दो चीजें हैं। एक तो उम्र बढ़ने के साथ मैं फालतू चीजों के बारे में नहीं सोचता और मैं अपने करियर के अंतिम चरण में हूं इसलिए मैं वह कर सकता हूं जो मैं चाहता हूं। दूसरा, जिन खिलाड़ियों के साथ मैं खेला रहा हूं उनके साथ खेलते हुए मैं बड़ा हुआ हूं। न्यू साउथ वेल्स की ओर से खेलते हुए मैं उनके साथ काफी खेला हूं।’’

ख्वाजा ने कहा, ‘‘स्टार्सी (मिशेल स्टार्क), (पैट) कंिमस, (जोश) हेजलवुड, (स्टीव) स्मिथ और (डेविड) वार्नर – इन सभी लोगों के साथ खेलते हुए मैं बड़ा हुआ हूं, इसलिए ये चीजों को मेरे लिए आसान बना देता है। यहां तक ??कि जब मैं आॅस्ट्रेलियाई क्रिकेट में आया मैं एक उपमहाद्वीप की पृष्ठभूमि का युवा खिलाड़ी था जो श्वेत खिलाड़ियों की मौजूदगी वाली आॅस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम में जगह बना रहा था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उस सांचे में फिट होना बहुत कठिन लगा और उस समय आॅस्ट्रेलियाई क्रिकेट के लिए एक सांचा था और वह सांचा अब नहीं है।’’

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