गगनयान की पहली परीक्षण-उड़ान इस साल : केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह

नयी दिल्ली. भारत के पहले मानव अंतरिक्ष अभियान गगनयान के साल 2024 में लॉन्च होने की उम्मीद है. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को यह बात कही. दिल्ली में एक कार्यक्रम के इतर पत्रकारों से बातचीत में सिंह ने बताया कि सरकार ने साल 2022 में पहले मानव अंतरिक्ष अभियान को लॉन्च करने की योजना बनाई थी, जो भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ का वर्ष है, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते ऐसा नहीं हो सका.

उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी ने रूस के साथ-साथ भारत में भी अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण पर असर डाला.’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गगनयान मिशन की पहली परीक्षण उड़ान इस साल के अंत में होने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि पहली परीक्षण उड़ान के बाद संभवत: अगले साल ‘व्योम मित्र’ नाम के एक रोबोट अंतरिक्ष यात्री को बाहरी अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. भारतीय वायु सेना ने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए संभावित चालक दल के रूप में चार लड़ाकू पायलटों की पहचान की थी, जिन्होंने रूस में बुनियादी प्रशिक्षण हासिल किया था.

सिंह ने बताया कि अंतरिक्ष की कक्षा में दो परीक्षण उड़ानों के नतीजों का आकलन करने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2024 में कम से कम दो अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजेगा. अधिकारियों के मुताबिक, परीक्षण उड़ान के दौरान अंतरिक्ष यान को 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर भेजा जाएगा, जिसके बाद अंतरिक्ष वैज्ञानिक मिशन को खत्म करने वाली परिस्थियां पैदा करेंगे, ताकि पैराशूट के जरिये धरती पर चालक दल के सदस्यों की वापसी सुनिश्चत की जा सके.

अधिकारियों ने बताया कि दूसरी परीक्षण उड़ान के दौरान गगनयान के चालक दल को और अधिक ऊंचाई पर ले जाया जाएगा तथा मिशन की समाप्ति के लिए समान परिस्थितियां पैदा की जाएंगी, ताकि प्रणाली को यात्रियों की वापसी के लिहाज से उपयुक्त बनाया जा सके. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन के दौरान 10,000 करोड़ रुपये की लागत वाली गगनयान परियोजना की घोषणा की थी.

इसरो की अगले साल चंद्रमा पर चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च करने की भी योजना है. अधिकारियों के अनुसार, चंद्रयान के प्रक्षेपण के लिए साल 2023 में दो लॉन्च कार्यक्रम (फरवरी और जुलाई)तय हैं. चंद्रयान-3 से पहले भारत ने चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया था, जिसके लैंडर ‘विक्रम’ के चांद की सतह पर उतरने से कुछ देर पहले ही पृथ्वी से यान का संपर्क टूट गया था.

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