कई राज्यों में कांग्रेस में पीढ़ीगत बदलाव शुरू हुआ, पार्टी को खारिज नहीं किया जा सकता: रमेश

'इंडिया' गठबंधन की सरकार बनी तो चुनावी बॉण्ड मामले की जांच के लिए बनेगी एसआईटी: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने पार्टी में पीढ़ीगत बदलाव की जरूरत पर जोर देते हुए कहा है कि कई राज्यों में इस तरह के बदलाव की शुरुआत की गई है, जिससे नए नेताओं को नेतृत्व करने का मौका मिला है. रमेश ने ”पीटीआई मुख्यालय” में समाचार एजेंसी के संपादकों एवं पत्रकारों के साथ बातचीत में यह भी कहा कि कुछ लोगों ने भले ही कांग्रेस के खत्म होने की बात कही हो किंतु पार्टी को खारिज करना मुश्किल है.

उन्होंने कहा, ”मध्य प्रदेश में पीढ़ीगत बदलाव हुआ है. कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश में जो हुआ है वह एक बड़ा परिवर्तन है. आप 70 साल की पीढ़ी से 50 साल की पीढ़ी में चले गए हैं…कांग्रेस के लिए यह कदम उठाना बहुत बड़ा है.” रमेश का कहना था कि बदलाव का यह कदम राजस्थान में दोहराया गया है और वहां नया नेतृत्व सामने आ रहा है, जबकि छत्तीसगढ़ में पार्टी के पास अभी तक कई अनुभवी चेहरे हैं.

उन्होंने तेलंगाना का उल्लेख करते हुए कहा, ”आप नए लोगों को आते हुए देख रहे हैं. तेलंगाना में हमारी जीत का एक कारण यह है कि वास्तव में बहुत सारे नए लोगों को आगे बढ़ाया गया था. हमारे मुख्यमंत्री (रेवंत रेड्डी) कांग्रेस में नए व्यक्ति थे, वह दो-तीन साल पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए थे.ह्व रमेश ने कहा, ”पीढ़ीगत बदलाव होना चाहिए. इसमें कोई संदेह नहीं है…लेकिन कांग्रेस पार्टी में यह मुश्किल है क्योंकि कांग्रेस में लोग लंबे समय से हैं. भाजपा के लिए यह आसान है क्योंकि वह एक स्टार्ट-अप है.”

कांग्रेस नेता के अनुसार, एक ‘स्टार्टअप’ बहुत सारे लोगों को समाहित करने में सक्षम होता है, ऐसे में जिसे कांग्रेस में टिकट नहीं मिलता, वह भाजपा में शामिल हो जाता है इसलिए कई राज्यों में कांग्रेस का नुकसान यह है कि वह दशकों से वहां स्थापित है. उन्होंने कहा कि किसी स्थान पर जमे रहने का एक नुकसान यह है कि आप नए लोगों को आने का मौका नहीं दे पाते.

कांग्रेस महासचिव ने कहा, ”लेकिन, यह धीरे-धीरे हो रहा है, यह कुछ राज्यों में हो रहा है. यह निश्चित रूप से तेजी से होना चाहिए.” यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस में केंद्रीय नेतृत्व के स्तर पर बदलाव की जरूरत है और पीढ़ीगत बदलाव क्यों नहीं हो रहा है तो रमेश ने कहा कि कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसका निर्वाचित अध्यक्ष है. यह पूछे जाने पर कि क्या यह चुनाव कांग्रेस के लिए अस्तित्व की लड़ाई है, तो रमेश ने कहा कि कई लोगों ने कांग्रेस के खत्म होने की घोषणा कर दी है, लेकिन इसे खारिज करना मुश्किल है.

उन्होंने कहा, ”कई बार पार्टी के अंत के बारे में लिखना टिप्पणीकारों का पसंदीदा शगल रहा है. लेकिन कांग्रेस वापसी करेगी, मुझे इसका यकीन है.” कांग्रेस नेता ने कहा, ”मुझे लगता है कि पिछले महीने में जो कुछ भी हो रहा है, उसके बावजूद कांग्रेस अपना पूरा प्रयास कर रही है. आप कांग्रेस को खारिज नहीं कर सकते. मुझे लगता है कि यह बहुत गहराई तक व्याप्त है.”

रमेश का कहना था कि उन्होंने देश के कई हिस्सों में देखा है जहां संसद या विधानसभा में कांग्रेस की मौजूदगी नहीं होने के बावजूद कांग्रेस का झंडा है. उन्होंने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान पार्टी को गुजरात, महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली.

रमेश ने इस लोकसभा में पार्टी को मिलने वाली सीट की संख्या के बारे में कोई अनुमान नहीं लगाया, लेकिन उम्मीद जताई कि पार्टी अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर लोकसभा में बहुमत हासिल कर लेगी. उन्होंने कहा, ”इसी तरह के सवाल 2004 में भी उठाए गए थे. इसलिए, मैं इस संभावना को खारिज नहीं करूंगा कि आपको कोई बड़ा आश्चर्य देखने को मिल सकता है.”

‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार बनी तो चुनावी बॉण्ड मामले की जांच के लिए बनेगी एसआईटी: कांग्रेस
कांग्रेस ने शनिवार को दावा किया कि चुनावी बॉण्ड ‘प्रीपेड रिश्वत और ‘पोस्टपेड रिश्वत’ का मामला है और इसकी उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच होनी चाहिए. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि ‘चंदादाताओं का सम्मान, अन्नदाताओं का अपमान’ मौजूदा सरकार की नीति है.

उन्होंने कहा कि केंद्र में ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार बनने पर इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाएगा. रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ”पिछले महीने से ही भारतीय स्टेट बैंक इसका भरपूर प्रयास कर रहा था कि किसी तरह ‘चुनावी बॉण्ड’ से संबंधित आंकड़े जारी करने का समय 30 जून, 2024 तक टल जाए यानी आगामी लोकसभा चुनाव के काफ.ी बाद तक. यह संभवत? मोदी सरकार के इशारे पर किया जा रहा था.”

उन्होंने दावा किया, ”उच्चतम न्यायालय के बार-बार हस्तक्षेप और तल्ख. टिप्पणी के बाद एसबीआई को अंतत? 21 मार्च, 2024 को बॉण्ड के आंकड़े जारी करने पड़े. राजनीतिक दलों के साथ चंदा देनेवालों का मिलान करने में ‘पायथन कोड’ की मदद से 15 सेकंड से भी कम का समय लगा. इससे एसबीआई का यह दावा बेहद हास्यास्पद साबित हुआ है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा मांगा गया डेटा उपलब्ध कराने में उसे कई महीने लगेंगे.”

रमेश ने आरोप लगाया, ”बॉण्ड में घोटाला चार तरीके से किया गया. पहला तरीका ‘चंदा दो, धंधा लो’ का था. यानी यह ‘प्रीपेड रिश्वत’ थी. दूसरा तरीका ‘ठेका लो, रिश्वत दो’ का था. यह ‘पोस्टपेड रिश्वत’ थी. तीसरा तरीका ‘हफ़्ता वसूली’ का था, यानी छापेमारी के बाद रिश्वत. चौथा तरीका फ.ज.र्ी कंपनियों का था.” उन्होंने दावा किया, ”38 ऐसे कॉरपोरेट समूहों ने ‘चुनावी बॉण्ड’ के माध्यम से चंदा दिया है, जिन्हें केंद्र या भाजपा की राज्य सरकारों से 179 प्रमुख परियोजनाएं मिली हैं. भाजपा को ‘चुनावी बॉण्ड’ के माध्यम से 2,004 करोड़ रुपए का चंदा देने के बदले इन कंपनियों को कुल मिलाकर 3.8 लाख करोड़ रुपये के ठेके और परियोजनाएं मिली हैं.” कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यह ‘चंदा-धंधा घोटाला’ है.

रमेश ने कटाक्ष करते हुए कहा, ”जो सरकार किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) नहीं दे रही है, उसने घूस को कानूनी दर्जा दे दिया.” उन्होंने आरोप लगाया, ”चंदादाताओं का सम्मान, अन्नदाताओं का अपमान. यही इस सरकार की नीति है.” कांग्रेस नेता ने कहा कि इस मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच होनी चाहिए. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि केंद्र में ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार बनने पर इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाएगा तथा ‘पीएम केयर्स’ और ‘मोदानी’ (अडाणी समूह से जुड़े) मामले की भी जांच कराई जाएगी.

Related Articles

Back to top button