सरकार ‘अग्निपथ’ योजना पर फिर से विचार करे, व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत: शरद यादव

नयी दिल्ली. पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता शरद यादव ने शुक्रवार को कहा कि ‘अग्निपथ’ योजना कोई सुधार नहीं है, बल्कि सशस्त्र बलों में भर्ती की मौजूदा व्यवस्था को ‘‘नुकसान पहुंचाने का प्रयास’’ है. उन्होंने केंद्र से मांग की कि वह इस पहल पर ‘‘फिर से विचार’’ करे.’’ यादव ने यह भी ंिचता व्यक्त की कि एक सैनिक के रूप में चार साल के कार्यकाल के बाद सशस्त्र बलों से बाहर आने पर हासिल किए गए ‘‘कौशल के दुरुपयोग’’ की अधिक आशंका है. यादव की टिप्पणी इस योजना को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच आई है, जिसके तहत ट्रेनों में आग लगा दी गई, सार्वजनिक और पुलिस वाहनों पर हमला किया गया और र्किमयों को घायल कर दिया गया.

यादव ने एक बयान में कहा, ‘‘मेरी राय में यह सुधार नहीं है, बल्कि यह सशस्त्र बलों में भर्ती की मौजूदा व्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि सेना में चार साल तक सेवा करने वाले युवा को किसी निजी सुरक्षा एजेंसी में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करने के अलावा कोई सम्मानजनक नौकरी मिलेगी.’’ उन्होंने कहा कि सेना में उन्हें जो कौशल मिलेगा, उसका किसी भी निजी कंपनी में काम करने पर कोई फायदा नहीं होगा. यादव ने कहा, ‘‘सशस्त्र बलों से बाहर आने के बाद कौशल के उपयोग की तुलना में इसके दुरुपयोग की अधिक आशंका हैं.’’

यादव ने कहा, ‘‘जैसा कि मैंने कई पूर्व सैन्यर्किमयों से सुना है कि एक लड़ाकू सैनिक को चार साल में प्रशिक्षित नहीं किया जा सकता है और यह योजना राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करती है. मैं इस तर्क से पूरी तरह सहमत हूं.’’ यादव ने तर्क दिया कि चार साल बाद सशस्त्र बलों से युवाओं की छंटनी सुरक्षा समस्या पैदा करेगी. उन्होंने कहा, ‘‘मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि ये अग्निवीर सशस्त्र बलों से बाहर निकलने के बाद सम्मानजनक नौकरी नहीं मिलने पर अपराध गिरोह और अन्य अवैध गतिविधियों के लालच में नहीं आ सकते हैं.’’ उन्होंने कहा कि रक्षा खर्च में बचत के लिए देश की सुरक्षा से समझौता करना हमारे जैसे देश के लिए समझदारी भरा कदम नहीं है.

उन्होंने पूछा, ‘‘मैं सरकार का ध्यान दिलाना चाहता हूं और सुझाव देना चाहता हूं कि इस अग्निपथ योजना के लिए गहन परामर्श की आवश्यकता है और इसलिए इस योजना पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है, ताकि न केवल देश के युवाओं को आश्वस्त किया जा सके कि आज की सरकार उनके बारे में ंिचतित है बल्कि सुरक्षा भी देश की प्राथमिकता बनी हुई है.’’ थलसेना, नौसेना और वायुसेना में चार साल की अवधि के लिए जवानों की भर्ती और ज्यादातर को इसके बाद ग्रेच्युटी और पेंशन लाभ के बगैर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिये जाने से संबंधित अग्निपथ योजना के खिलाफ बुधवार से कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.

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