ज्ञानवापी मामला: सच्चाई पता लगाने के लिए समिति गठित करने की मांग को लेकर याचिका दायर

लखनऊ. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में मंगलवार को एक जनहित याचिका दायर कर वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में हाल में मिली एक विवादित ‘संरचना’ की सच्चाई का पता लगाने के वास्ते एक समिति गठित करने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया गया है. जनहित याचिका पर नौ जून को न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष सुनवाई होने की संभावना है.

यह जनहित याचिका छह लोगों सुधीर सिंह, रवि मिश्रा, महंत बालक दास, शिवेंद्र प्रताप सिंह, मार्कंडेय तिवारी, राजीव राय और अतुल कुमार ने दायर की है. याचिकाकर्ताओं ने मामले में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को पक्ष बनाया है. याचिकाकर्ताओं ने याचिका में कहा है कि हाल में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में एक ‘संरचना’ मिली है, जिसके बार में हिंदू दावा करते हैं कि यह ‘शिवलिंग’ है जबकि मुसलमान इस बात पर जोर देते हैं कि यह ‘फव्वारा’ है.

इसमें कहा गया है कि यह विवाद न केवल देश के भीतर बल्कि दुनिया भर में समुदायों के बीच विवाद पैदा कर रहा है. याचिका में कहा गया है कि यदि एएसआई और सरकारों ने ‘संरचना’ की सच्चाई का पता लगाने के लिए एक समिति नियुक्त करके अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया तो विवादों से बचा जा सकता है.

याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय से आग्रह किया कि वह एएसआई और राज्य व केंद्र सरकारों को ‘संरचना’ की सच्चाई का पता लगाने के लिए उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के मौजूदा या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त करने का निर्देश दे.

उल्लेखनीय है कि वाराणसी की एक अदालत ने ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी कर सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था और हिंदू पक्ष ने इस दौरान एक ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया था. हालांकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वह वस्तु वजू खाने में मौजूद फव्वारे का हिस्सा है.

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