ज्ञानवापी विवाद : वाराणसी की अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख तय की

न्यायालय ने वाराणसी में दीवानी अदालत से 20 मई तक सुनवाई आगे नहीं बढ़ाने को कहा

वाराणसी. वाराणसी की अदालत में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले की अगली सुनवाई 23 मई को होगी. यहां की अदालत ने बृहस्पतिवार को यह नयी तारीख तय की. हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि आज दोनों पक्षों ने अपनी आपत्तियां और जवाबी आपत्तियां दायर की.

उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालतों को शुक्रवार तक इस मामले में आगे नहीं बढ़ने का निर्देश दिया है, जिसे देखते हुए अदालत ने सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख तय की है. ज्ञानवापी मामले में दाखिल दो याचिकाओं पर बुधवार 18 मई को सुनवाई होनी थी. विशेष सचिव की टिपण्णी से नाराज बनारस बार एसोसिएशन और सेंट्रल बार एसोसिएशन के आह्वान पर 18 मई को अधिवक्ताओं के हड़ताल के चलते सुनवाई नहीं की जा सकी, यह सुनवाई बृहस्पतिवार को की जानी थी.

मंगलवार को रेखा पाठक, मंजू व्यास और सीता साहू ने अदालत में अर्जी देकर कहा था कि जहां कथित शिवलिंग मिला है, उसके पूरब की ओर दीवार में तहखाना है, जिसे ईंट, पत्थर और सीमेंट से बंद कर दिया गया है. उन्होंने अर्जी में दावा किया कि नंदी जी के मुख के सामने वाले तहखाने को ईंट पत्थर बालू , बांस बल्ली मलबा से ढंक दिया गया है. साथ ही मलबे को हटाकर कमीशन सर्वे कराने का अनुरोध किया था.

अर्जी में अनुरोध किया गया था कि अदालत कमीशन से कथित शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई व ऊंचाई आदि का सर्वे कराकर रिपोर्ट देने का आदेश दे. अर्जी में अनुरोध किया गया कि अवरोधक के भीतर पश्चिम दीवार के दरवाजे को जिसे मलबे से ढक दिया गया है उसे खुलवाकर सर्वे की करवाई की जाय.

अदालत ने इस अर्जी को स्वीकार करते हुए बुधवार को सुनवाई करने की बात कही थी. वहीं, जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र पांडे की ओर से परिसर में स्थित मानव निर्मित तालाब के पानी में से मछलियों को हटाने की मांग करने के साथ ही वजुखाने की पाईप लाइन को स्थानांतरित करने के लिए याचिका मंगलवार को दाखिल की गई थी, जिस पर अदालत द्वारा सुनवाई होनी थी.

न्यायालय ने वाराणसी में दीवानी अदालत से 20 मई तक सुनवाई आगे नहीं बढ़ाने को कहा
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को वाराणसी की दीवानी अदालत से ज्ञानवापी मामले में आगे की सुनवाई तब तक नहीं करने को कहा, जब तक कि वह शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई नहीं कर लेता. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ को वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि दीवानी मामले में ंिहदू श्रद्धालुओं की ओर से पेश होने वाले मुख्य अधिवक्ता हरिशंकर जैन अस्वस्थ हैं. उन्हें बुधवार को एक अस्पताल से छुट्टी मिली थी.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, “हम तदनुसार निचली अदालत को उपरोक्त व्यवस्था के अनुरूप कार्य करने और पक्षकारों के बीच बनी सहमति के मद्देनजर मुकदमे में आगे की सुनवाई नहीं करने का निर्देश देते हैं.” न्यायालय ने मामले को 20 मई को अपराह्न तीन बजे उसके समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया और कहा कि रजिस्ट्री भारत के प्रधान न्यायाधीश से प्रशासनिक निर्देश ले सकती है ताकि पीठ गठित की जाए. सुनवाई की शुरुआत में वकील विष्णु शंकर जैन ने मामले का उल्लेख किया तथा अदालत से शुक्रवार को प्रकरण पर सुनवाई करने का अनुरोध किया.

अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि विभिन्न मस्जिदों को ‘‘सील’’ करने के लिए देशभर में कई अर्जियां दायर की गयी हैं और वाराणसी में ज्ञानवापी मामले में सुनवाई चल रही है. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में ‘वजूखाना’ के पास एक दीवार को ‘‘ध्वस्त’’ करने के लिए अर्जी दाखिल की गयी है.

अहमदी ने कहा कि वह किसी वकील के स्वास्थ्य के आधार पर सुनवाई स्थगित किए जाने का विरोध नहीं कर सकते, लेकिन एक हलफनामा दिया जाना चाहिए कि ंिहदू श्रद्धालु दीवानी अदालत में कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा कि अगर आवश्यक है तो मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत आज ऐसा करने से परहेज कर सकती है, जब तक कि न्यायालय शुक्रवार को सुनवाई नहीं कर ले.

वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वे पीठ को आश्वस्त कर रहे हैं कि ंिहदू पक्षकार वाराणसी में दीवानी अदालत के सामने सुनवाई आगे नहीं बढ़ाएंगे. पीठ ने दलीलों को दर्ज किया और दीवानी अदालत को मामले में शुक्रवार को तब तक आगे की सुनवाई नहीं करने को कहा, जब तक वह इस मामले में सुनवाई नहीं कर लेती. उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को मामले पर सुनवाई करेगा. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मूल वादी की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कार्यवाही का उल्लेख किया है.

शीर्ष अदालत ने 17 मई को वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के भीतर उस इलाके को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था, जहां एक सर्वेक्षण के दौरान एक ‘शिवंिलग’ मिलने का दावा किया गया है. साथ ही मुसलमानों को ‘नमाज’ पढ़ने की अनुमति देने का भी निर्देश दिया था.

शीर्ष न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का कामकाज देखने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद प्रबंधन समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए उपरोक्त आदेश दिया था और निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगाने से मना कर दिया था.

पीठ ने कहा था कि पक्षकारों के अधिकारों को संतुलित रखने की जरूरत है और अधिकारियों को निर्देश दिया था कि क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नमाज अदा करने एवं अन्य धार्मिक रस्म निभाने में मुस्लिमों के अधिकारों में बाधा नहीं पड़े. पीठ ने बुधवार को अपने आदेश में कहा था, ‘‘यह वादी के वकील के यहां रहने तक एक अंतरिम व्यवस्था है. हमें पक्षकारों के अधिकारों को संतुलित रखने की जरूरत है.

वाराणसी के जिलाधिकारी उस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करें जहां ‘शिवलिंग’ मिलने की बात कही गई और इससे मुस्लिमों के नमाज अदा करने एवं अन्य धार्मिक रस्म निभाने में बाधा नहीं आए.’’ शीर्ष न्यायालय का आदेश तब आया था जब उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया था कि वादी के वकील हरिशंकर जैन को दिल का दौरा पड़ा है और वह वाराणसी में अस्पताल में भर्ती हैं.

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सर्वेक्षण रिपोर्ट वाराणसी अदालत को सौंपी गयी
विशेष अधिवक्ता आयुक्त (स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर) ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में किये गए आयोग के सर्वेक्षण कार्य की रिपोर्ट अदालत को सौंप दी है. हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि जिले की एक अदालत द्वारा नियुक्त विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल ंिसह ने 14, 15 और 16 मई को किए गए सर्वेक्षण कार्य की रिपोर्ट जिला सिविल न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर की अदालत में पेश की.

यादव ने बताया कि अदालत द्वारा हटाए गए अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्र ने छह और सात मई को की गई ज्ञानवापी परिसर की सर्वेक्षण रिपोर्ट बुधवार देर शाम अदालत को सौंप दी थी. विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल ंिसह ने रिपोर्ट पेश करने के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘ मैंने 14, 15 और 16 मई की रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत कर दी है. रिपोर्ट में क्या है यह मुझे बताने का अधिकार नहीं है. अब रिपोर्ट पर आगे की कार्यवाही अदालत करेगी.’’ विशाल ंिसह ने कहा कि वीडियोग्राफी और ‘स्टिल फोटोग्राफी’ के साथ दस्तावेज भी जमा किए गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरी तरफ से अंतिम रिपोर्ट है. अगर अदालत को लगता है कि यह पर्याप्त है तो ठीक है, अन्यथा किसी और आवश्यकता के लिए अदालत के निर्देश पर कार्रवाई की जाएगी.’’ गौरतलब है कि अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के लिये नियुक्त किए गए अधिवक्ता आयुक्त मिश्र को मंगलवार को पद से हटा दिया था.

अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के लिये अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किये गये अजय मिश्र को उनके एक सहयोगी द्वारा मीडिया में खबरें लीक करने के आरोप में मंगलवार को पद से हटा दिया गया था. अदालत ने साथ ही कहा था कि विशाल ंिसह 12 मई के बाद की आयोग की पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट खुद दाखिल करेंगे. अदालत ने यह भी कहा था कि सहायक

अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप ंिसह, विशाल ंिसह के निर्देशन में काम करेंगे और स्वतंत्र रूप से कुछ भी नहीं कर सकेंगे.
अदालत ने सर्वेक्षण रिपोर्ट दाखिल करने के लिये दो और दिन का समय दिया था, क्योंकि इलाके के नक्शे बनाने में कुछ समय लग रहा था. पहले यह रिपोर्ट 17 मई को ही पेश की जानी थी. गौरतलब है कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वेक्षण कार्य सोमवार को पूरा किया गया था. सर्वेक्षण के अंतिम दिन हिन्दू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने में एक शिवंिलग मिला है, लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को गलत बताया था.

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