‘इंडिया’ गठबंधन : टीएमसी ने जल्द सीट बंटवारे और घोषणापत्र को अंतिम रूप देने पर दिया जोर

'इंडिया' गठबंधन को सीट बंटवारे सहित भविष्य की रणनीतियों पर तेजी से काम करना चाहिए: नीतीश

कोलकाता/पटना. विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में मतभेद के संकेतों के बीच तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भाजपा के खिलाफ एक विश्वसनीय चुनौती पेश करने के लिए सीट-बंटवारे पर शीघ्र बातचीत, एक सामूहिक विमर्श तय करने और घोषणापत्र को अंतिम रूप देने के महत्व को रेखांकित किया है.

विपक्षी गठबंधन के शीर्ष नेताओं की एक बैठक दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक के लिए टाल दी गई है, क्योंकि उनमें से कुछ ने अपनी व्यस्तताओं के कारण इसमें भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की है. हालांकि, गठबंधन के घटक दलों के संसदीय दल के नेता बुधवार शाम कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर होने वाली समन्वय बैठक में शामिल होंगे.

टीएमसी के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में तीन सफल बैठकों के बाद ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) द्वारा बनाई गई गति नि्क्रिरयता के कारण कम हो गई क्योंकि कांग्रेस तीन राज्यों के चुनावों में व्यस्त थी. लोकसभा में टीएमसी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने हिंदी भाषी राज्यों – राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश-में एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगियों के नकारात्मक प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कांग्रेस हार गई.
बंदोपाध्याय ने कहा, ”’इंडिया’ गठबंधन की तीन सफल बैठकों के बाद बनी गति पिछले तीन महीनों में कोई गतिविधि नहीं होने के कारण कम हो गई. इन तीन हिंदी भाषी राज्यों में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने वाले साझेदारों ने भी गलत संदेश दिया है.” लोकसभा चुनाव के लिए कुछ ही महीने बचे होने के मद्देनजर बंदोपाध्याय ने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस को राज्यों में सीट-बंटवारे को अंतिम रूप देने के लिए पहल करनी चाहिए.

उन्होंने सफलता के लिए तीन आवश्यक कदम बताए- ”सीट-बंटवारा समझौते को प्राथमिकता देना और तुरंत इस पर मुहर लगाना, एकसुर में सामूहिक विमर्श तय करना और घोषणापत्र को अंतिम रूप देना.” चार बार के टीएमसी सांसद ने आगाह किया कि इन मुद्दों का समाधान ढूंढ़ने में देरी से भगवा खेमे को फायदा मिलेगा.

टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने भी इन भावनाओं को दोहराते हुए प्रभावी सीट बंटवारे के माध्यम से भाजपा के खिलाफ एक सीट पर एक उम्मीदवार की लड़ाई की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, ”अगर हम एक सीट, एक लड़ाई सुनिश्चित करने में असमर्थ हैं, तो भाजपा को फायदा होगा. सीट बंटवारे के संबंध में, जो पार्टी संबंधित क्षेत्र में मजबूत है, उसे प्राथमिकता मिलनी चाहिए.” ‘इंडिया’ गठबंधन ने अब तक तीन बैठकें आयोजित की हैं. ये बैठकें पटना, बेंगलुरु और मुंबई में आयोजित की गईं.

टीएमसी सूत्रों ने संकेत दिया कि पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने पिछली बैठकों में सीट-बंटवारा समझौते को अंतिम रूप देने की जरूरत पर जोर दिया. टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि टीएमसी विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ सीट-बंटवारे का समझौता करने में रुचि रखती है, क्योंकि आंतरिक आकलन से पता चलता है कि संभावित कांग्रेस-टीएमसी गठबंधन राज्य की 42 में से 36-37 सीट जीत सकता है.

टीएमसी के एक नेता ने खुलासा किया कि गठबंधन उत्तर बंगाल पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है जहां भाजपा ने पिछले चुनाव में सात सीट और दक्षिण बंगाल की पुरुलिया और बांकुरा लोकसभा सीट जीती थी. कांग्रेस ने विशिष्ट योजनाओं का खुलासा नहीं किया, लेकिन कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य दीपा दासमुंशी ने टीएमसी के प्रस्तावों का स्वागत करते हुए सामूहिक विमर्श तय करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया.

पश्चिम बंगाल में सीट-बंटवारे के समझौते के बारे में, दासमुंशी ने 2019 में भाजपा द्वारा जीती गई कई सीट पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा, ”उन सीट पर बातचीत की कोई आवश्यकता नहीं है जो क्रमश? कांग्रेस और टीएमसी ने जीती थीं. सीट का बंटवारा 18 सीट के लिए होना है जिसपर भाजपा ने 2019 में जीत हासिल की थी.”

‘इंडिया’ गठबंधन को सीट बंटवारे सहित भविष्य की रणनीतियों पर तेजी से काम करना चाहिए: नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत को कम महत्व देते हुए बुधवार को कहा कि इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) गठबंधन को सीट बंटवारे के मुद्दे सहित अपनी भविष्य की रणनीतियों को अंतिम रूप देने में तेजी से काम करना चाहिए.

कुमार ने पटना में संवाददाताओं से कहा, ”पिछले चुनावों में इन राज्यों (छत्तीसगढ़, राज्स्थान) कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. इस बार भी कांग्रेस को अच्छा खासा वोट मिला है, लेकिन भाजपा जीती. लेकिन, तेलंगाना में कांग्रेस ने जीत दर्ज है. इन सब पर कोई खास चर्चा की जरूरत नहीं है. हम तो यही चाहते हैं कि बहुत तेजी से विपक्ष एकजुट हो.” उन्होंने कहा, ”खबर में चल रहा था कि हम ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक में नहीं जा रहे हैं जबकि ऐसी कोई बात नहीं थी. मेरी तबीयत खराब थी. मुझे सर्दी-खांसी, बुखार था. अगली बैठक होगी तो हम फिर से कहेंगे कि अब देर नहीं कीजिए. आपस में बैठकर सबकुछ जल्दी से तय कर लीजिए.”

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद ने मंगलवार को कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन के शीर्ष नेता 17 दिसंबर को दिल्ली में बैठक करेंगे. इसके अलावा कई शीर्ष नेताओं के शामिल न हो पाने के कारण बुधवार (आज) को होने वाली बैठक टाल दी गई.

जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के शीर्ष नेता ने कहा, ”हम एक साल से विपक्षी एकजुटता में लगे हुए हैं. राज्यों के चुनाव में सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत के लिए लग जाती हैं. लेकिन हम चाहते हैं कि आगे से सब एकजुट होकर चुनाव लड़ें.” ‘इंडिया’ गठबंधन का नेतृत्व करने से संबंधित सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री पद को लेकर अक्सर मेरे बारे में खबरें आती हैं कि लेकिन मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मुझे कुछ नहीं चाहिए. हम केवल यही चाहते हैं कि विपक्ष एकजुट हो और अभी जो पार्टी केंद्र की सत्ता में है उसके खिलाफ चुनाव लड़े. वे लोग देश के इतिहास को बदलने में लगे हुए हैं.

उन्होंने कहा कि नयी पीढ़ी को आजादी की लड़ाई को याद रखना चाहिए. मुझे व्यक्तिगत रूप से कुछ नहीं चाहिए. हम पहले से ही लोगों की सेवा कर रहे हैं. हम लोगों ने आंदोलन भी किया है. उन्होंने कहा कि हम राज्य के हित में अपने काम में लगे रहते हैं. हमलोग तेजी से युवाओं को रोजगार देने पर जोर दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि देशहित में सभी विपक्षी दल एकजुट हों.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 10 दिसंबर को पटना दौरे के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा, ”हां, वह 10 दिसंबर को पटना में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद (ईजेडसी) की बैठक की अध्यक्षता करने आ रहे हैं. हम सभी बैठक में मौजूद रहेंगे. हम सभी का सम्मान करते रहेंगे, यह हमारी परंपरा है.” बैठक में अन्य सदस्य राज्यों- झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों के भी शामिल होने की उम्मीद है.

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने से जुड़े सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीबी को देखते हुए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. उन्होंने कहा, ”हमलोगों ने जाति आधारित गणना कराई. इसके साथ ही हर परिवार की आर्थिक स्थिति का भी पता लगाया. हिंदू, मुस्लिम, अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग, उच्च वर्ग(किसी भी जाति वर्ग का हो), सबका पता लगाया. हर जाति में गरीबी है. उच्च वर्ग में भी कितनी गरीबी है, इसका पता चला है. पूरे देश में जातिगत जनगणना होती तो सभी को काफी फायदा होता.”

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