हिंद प्रशांत में शांति एवं स्थिरता के लिए भारत अपरिहार्य: किशिदा

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जापानी समकक्ष को बुद्ध कलाकृति भेंट की

नयी दिल्ली. जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने सोमवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी योजना पेश करने के बाद कहा कि क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए भारत अपरिहार्य है और किसी भी देश को अपने क्षेत्रीय दावे को आगे बढ़ाने की कोशिश में बल प्रयोग नहीं करना चाहिए.

किशिदा ने 41वें सप्रू हाउस व्याख्यान में यूक्रेन के खिलाफ रूस के हमले की भी कड़ी निंदा की और कहा कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के वैश्विक सिद्धांतों का दुनिया के हर कोने में पालन किया जाना चाहिए. किशिदा ने यूक्रेन युद्ध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दिए संदेश का भी उल्लेख किया कि ’’आज का युग युद्ध का युग नहीं है.’’

जापान के प्रधानमंत्री किशिदा ने भारत-जापान ‘विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी’ को और मजबूत करने पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ व्यापक वार्ता करने के कुछ घंटे बाद, शीर्ष राजनयिकों, दूतों और सामरिक मामलों के विशेषज्ञों की उपस्थिति में व्याख्यान दिया.
किशिदा ने मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत के लिए अपने दृष्टिकोण का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘भारत अपरिहार्य है.’’ जापानी प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि तोक्यो दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्थिरता में योगदान देने के लिए नयी दिल्ली के साथ मिलकर काम करेगा.

उन्होंने कहा, ‘‘मुक्त एवं खुला हिंद-प्रशांत (एफओआईपी) एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसकी स्वीकार्यता लगाताार बढ़ रही है. एफओआईपी एक दूरदर्शी अवधारणा है. यह कानून और स्वतंत्रता के शासन की रक्षा के लिए है.’’ किशिदा ने कहा कि देशों को संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए.

किशिदा ने कहा, ‘‘शांति सर्वोपरि है. संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और बल द्वारा यथास्थिति में एकतरफा बदलाव का विरोध जैसे सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए. सिद्धांतों का दुनिया के हर कोने में पालन किया जाना चाहिए.’’ किशिदा की यह टिप्पणी यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की सैन्य आक्रमकता को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच आयी है. किशिदा ने कहा कि देशों को समुद्र में अपने दावों को आगे बढ़ाने की कोशिश में बल प्रयोग नहीं करना चाहिए.

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जापानी समकक्ष को बुद्ध कलाकृति भेंट की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को भारत की राजकीय यात्रा पर आए अपने जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा को ‘कदमवुड जाली बॉक्स’ (कदम्ब की लकड़ी से बना जालीदार बक्सा) में लगी चंदन की बुद्ध की प्रतिमा भेंट की. कलाकृति कर्नाटक की समृद्ध विरासत से जुड़ी हुई है.

अधिकारियों ने कहा कि चंदन की नक्काशी की कला एक उत्तम और प्राचीन शिल्प है जो सदियों से दक्षिणी भारतीय राज्य में प्रचलित है और इस शिल्प में सुगंधित चंदन के ब्लॉकों में जटिल डिजाइनों को तराशना, जटिल मूर्तियां, मूर्तियां और अन्य सजावटी सामान बनाना शामिल है. चंदन के पेड़ भारत में पाए जाते हैं और इसकी लकड़ियां सदियों से भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है. इसे दुनिया की सबसे मूल्यवान और बेशकीमती लकड़ियों में से एक माना जाता है.

प्रधानमंत्री मोदी अक्सर विदेशी गणमान्य व्यक्तियों को भारत के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों की सांस्कृतिक और कलात्मक समृद्धि को दर्शाने वाले उपहार भेंट करते रहे हैं. अधिकारियों ने बताया कि बुद्ध की आकृति शुद्ध चंदन से बनी है और इसमें पारंपरिक डिजाइनों और प्राकृतिक दृश्यों के साथ हाथ की नक्काशी है, जिसे विशेषज्ञ शिल्पकारों द्वारा बनाया गया है. प्रतिमा में बुद्ध बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान मुद्रा में बैठे हैं.

ध्यान मुद्रा ध्यान की एक स्थिति है. इसके जरिए आध्यात्मिक दक्षता भी हासिल की जाती है. अधिकारियों ने कहा कि कदम्ब की लकड़ी को भारतीय संस्कृति में शुभ माना जाता है और विशेष कदमवुड बॉक्स पर डिजाइन विशेषज्ञ कारीगरों द्वारा हाथ से उकेरा गया है. उनके मुताबिक भारतीय चंदन आयुर्वेद की सबसे पवित्र जड़ी बूटियों में से एक है. चंदन पाउडर और आवश्यक तेल अपने कई औषधीय और आध्यात्मिक उपयोगों के लिए प्रसिद्ध हैं. कर्नाटक में दुनिया के कुछ बेहतरीन चंदन के जंगल हैं.

चंदन की नक्काशी की कला सदियों से कर्नाटक की सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग रही है. इसकी शुरुआती उत्पत्ति का पता तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में लगाया जा सकता है, जब चंदन का उपयोग मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों के लिए लकड़ी की मूर्तियों और नक्काशी के लिए किया जाता था.

समय के साथ, चंदन की नक्काशी एक परिष्कृत कला के रूप में विकसित हुई. इसमें कुशल शिल्पकार देवताओं की जटिल नक्काशी, भारतीय पौराणिक कथाओं से जुड़े किवदंतियों, जानवरों और अन्य सजावटी वस्तुओं की नक्काशी करते हैं. अधिकारियों ने कहा कि बुद्ध की छवि भारतीय संस्कृति और धर्म में बहुत महत्व रखती है.

इस तरह बुद्ध की उत्कृष्ट नक्काशीदार छवियां स्थानीय शिल्पकारों के कौशल और कलात्मकता को दर्शाती हैं और इस शैली में निर्मित कलाकृतियां न केवल सुंदर होती हैं बल्कि शांति, और ज्ञान के शक्तिशाली प्रतीकों के रूप में भी उनका बहुत महत्वपूर्ण स्थान है.

भारत और जापान ने वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को विस्तार देने का संकल्प लिया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा ने सोमवार को भारत-जापान वैश्विक रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने का संकल्प लिया और कहा कि यह शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत के लिए महत्वपूर्ण है. दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-जापान द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की और रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी सहयोग, व्यापार, स्वास्थ्य और डिजिटल साझेदारी पर विचारों का आदान प्रदान किया.

वार्ता के बाद मीडिया को दिए साझा बयान में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘भारत-जापान ‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ हमारे साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय पटल पर कानून के सम्मान पर आधारित है. इस साझेदारी को मजबूत बनाना हमारे दोनों देशों के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता को भी बढ़ावा मिलता है.’’

उन्होंने बताया कि सेमीकंडक्टर और अन्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में विश्वस्त आपूर्ति श्रृंखला के महत्व पर भी दोनों नेताओं के बीच ‘‘सार्थक चर्चा’’ हुई. पिछले साल भारत में पांच लाख करोड़ येन (3,20,000 करोड़ रुपये) के निवेश के जापान के लक्ष्य का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘यह संतोष का विषय है कि इस दिशा में अच्छी प्रगति हुई है.’’ प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता भागीदारी (आईजेआईसीपी) की स्थापना का भी जिक्र किया और कहा कि इसके अंतर्गत दोनों देश लॉजिस्टिक्स, खाद्य प्रसंस्करण, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई), वस्त्र संबंधी उपकरण और इस्पात जैसे क्षेत्रों में भारतीय उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाई जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘आज हमने इस साझेदारी की सक्रियता पर भी प्रसन्नता व्यक्त की है.’’ मोदी ने कहा कि मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना पर भी ‘‘हम तेजी से आगे बढ़’’ रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और जापान वर्ष 2023 को ‘‘टूरिज्म एक्सचेंज’’ वर्ष के रूप में मना रहे हैं और इसके लिए दोनों देशों ने ‘‘कनेंिक्टग हिमालयाज विद माउंट फूजी’’ नाम का थीम चुना है.

उन्होंने कहा कि भारत जी-20 और जापान जी-7 की अध्यक्षता कर रहा है, इसलिए अपनी-अपनी प्राथमिकताओं और हितों पर साथ मिलकर काम करने का यह उत्तम अवसर है. मोदी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री किशिदा को भारत की जी-20 अध्यक्षता की प्राथमिकताओं के बारे में विस्तार से बताया.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी जी-20 अध्यक्षता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को आवाज देना है. वसुधैव कुटुंबकम को मानने वाली संस्कृति सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है और इसलिए हमने यह पहल की है.’’ मोदी ने बताया कि जापानी प्रधानमंत्री ने मई महीने में हिरोशिमा में होने वाले जी-7 सम्मेलन के लिए निमंत्रण दिया. उन्होंने कहा कि इसके बाद सितंबर में जी-20 सम्मेलन के लिए उन्हें प्रधानमंत्री किशिदा का फिर से भारत में स्वागत करने का अवसर मिलेगा.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी बातचीत और संपर्कों का यह सिलसिला इसी प्रकार चलता रहे और भारत जापान संबंध लगातार नई ऊंचाइयों को छूते रहें.’’ जापान के प्रधानमंत्री करीब 27 घंटे की यात्रा पर सोमवार सुबह करीब आठ बजे दिल्ली पहुंचे. किशिदा ने कहा कि नई दिल्ली के साथ टोक्यो का आर्थिक सहयोग तेजी से बढ़ रहा है और यह न केवल भारत के आगे के विकास का समर्थन करेगा, बल्कि जापान के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर पैदा करेगा.

किशिदा ने कहा, ‘‘मैं आज भारत की धरती पर मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी योजना का अनावरण करूंगा.’’ जापानी प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने मई में जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए मोदी को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया है और उनके भारतीय समकक्ष ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया.

वार्ता से पहले भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अंिरदम बागची ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने द्विपक्षीय प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता से पहले जापान के प्रधानमंत्री किशिदा का स्वागत किया. दोनों नेताओं के लिए हमारे द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा करने और कोविड-19 के बाद शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध दुनिया के लिए भारत-जापान साझेदारी को और विस्तारित करने का अवसर है.’’ किशिदा ने रविवार को कहा था कि उनकी यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच ‘‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’’ को और गहरा करना होगा.

उन्होंने कहा, ‘‘इस साल जापान जी-7 की अध्यक्षता कर रहा है जबकि भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है. मैं इस सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ विचारों का आदान-प्रदान करना चाहता हूं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में जापान और भारत की क्या भूमिका निभानी चाहिए.’’ किशिदा ने कहा, ‘‘इसके साथ ही द्विपक्षीय जापान-भारत संबंधों के संबंध में, मैं भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को और गहरा करने की पुष्टि करना चाहता हूं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक नयी योजना पर भारत में एक संबोधन भी दूंगा. मैं इस ऐतिहासिक मोड़ पर खुले और मुक्त हिंद-प्रशांत की भूमिका के बारे में स्पष्ट रूप से अपनी सोच रखूंगा.’’ चीन की बढ़ती सैन्य मुखरता की पृष्ठभूमि में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती स्थिति पर भी मोदी और किशिदा के बीच व्यापक वार्ता में चर्चा होने की संभावना है. पिछले साल मार्च में अपनी भारत यात्रा के दौरान किशिदा ने अगले पांच साल में भारत में पांच लाख करोड़ येन (3,20,000 करोड़ रुपये) के निवेश के लक्ष्य की घोषणा की थी.

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