भारत हिन्द महासागर क्षेत्र में राष्ट्रों की संप्रभुता की रक्षा कर रहा है : राजनाथ सिंह

दिल्ली/पणजी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन की बढ़ती सैन्य ताकत से उत्पन्न चुनौतियों के परोक्ष संदर्भ में मंगलवार को कहा कि भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि कोई भी भारी आर्थिक और सैन्य शक्ति हिंद महासागर क्षेत्र में अन्य देशों पर “आधिपत्य” स्थापित करने या उनकी संप्रभुता को खतरे में डालने में सक्षम न हो. सिंह ने गोवा में एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में यह भी कहा कि भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति प्रभुत्व के लिए नहीं, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि का माहौल बनाने के लिए है.

उन्होंने कहा, “हमने सुनिश्चित किया कि हिंद महासागर क्षेत्र में नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था मजबूत हो. भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि हिंद महासागर के सभी पड़ोसी देशों को उनकी स्वायत्तता और संप्रभुता की रक्षा करने में मदद की जाए.” सिंह ने गोवा की राजधानी पणजी में ‘नौसेना युद्ध महाविद्यालय’ के नये प्रशासनिक भवन का उद्घाटन करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “हमने यह सुनिश्चित किया है कि हिंद महासागर में किसी भी तरह का आधिपत्य न हो.” इस अवसर पर, उन्होंने पड़ोसी राज्य कर्नाटक के कारवार में ‘सी बर्ड’ नौसैनिक अड्डे पर एक विमान वाहक और सहायक पोत गोदी का भी वीडियो कांफ्रेंस के जरिये लोकार्पण किया.

रक्षा मंत्री ने हाल ही में समुद्र के नीचे बिछे केबल पर हुए हमलों का जिक्र किया और ऐसी घटनाओं को सामरिक हितों पर सीधा हमला बताया. उन्होंने नौसेना से ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहने का भी आग्रह किया. समुद्री डकैती और तस्करी विरोधी अभियानों के लिए नौसेना की सराहना करते हुए सिंह ने कहा कि नौसेना की तत्परता से ऐसी घटनाओं की संख्या में कमी आई है, लेकिन खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. सिंह ने यह भी कहा कि नौसेना की तत्परता के कारण भारत अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है और हिंद महासागर में तटीय देशों को पूरी मदद कर रहा है.

उन्होंने कहा, “हमारी नौसेना यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी देश अपनी सशक्त आर्थिक और सैन्य शक्ति के बल पर हमारे मित्र देशों को दबा न सके या हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उनकी संप्रभुता को कुचल न सके.” उन्होंने कहा, “जिस तत्परता के साथ भारतीय नौसेना अपने सहयोगियों के साथ खड़ी है, वह भारत के वैश्विक मूल्यों को ठोस ताकत प्रदान करती है.” सिंह ने कहा, “हिंद महासागर में हमारी नौसेना की मौजूदगी हमारे बाकी सहयोगियों को किसी भी दबाव में आने से रोकती है.” उन्होंने कहा, भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि हिंद महासागर क्षेत्र में पड़ोसी देशों की स्वायत्तता और संप्रभुता सुरक्षित रहे. उन्होंने कहा, “हमने यह सुनिश्चित किया है कि हिंद महासागर में किसी भी तरह का आधिपत्य न हो.” सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में खतरे की धारणा से निपटने में बदलाव के बारे में भी बात की.

उन्होंने कहा, ”पहले लगभग सभी सरकारें जमीनी सीमाओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करती थीं, लेकिन समुद्री खतरों को उतना महत्व नहीं दिया जाता था.” उन्होंने कहा, ”हिंद महासागर क्षेत्र में हमारे विरोधियों की बढ़ती आवाजाही और क्षेत्र के व्यावसायिक महत्व को देखते हुए हमारी खतरे की धारणा का फिर से आकलन करना और उसके अनुसार हमारे सैन्य संसाधनों और रणनीतिक चौकसी को फिर से संतुलित करना आवश्यक था.”

उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में हमने न केवल हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में भारत की भूमिका की पुनर्कल्पना की, बल्कि इसे मजबूत भी किया. इन प्रयासों के कारण भारत आज आईओआर में जवाब देने वाला प्रथम देश और पसंदीदा सुरक्षा भागीदार के रूप में उभरा है.” एक मजबूत नौसैनिक औद्योगिक आधार की पृष्ठभूमि में भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत को रेखांकित करते हुए सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि इसका उद्देश्य प्रभुत्व हासिल करने का नहीं है, बल्कि हिंद-प्रशांत में शांति और समृद्धि का माहौल बनाने का है.

रक्षा मंत्री ने कहा, “हमारा नौसैनिक औद्योगिक आधार मजबूत हो रहा है. हमारे शिपयार्ड का विस्तार हो रहा है. हमारे विमान वाहक पोत बढ़ रहे हैं.” उन्होंने कहा, “भारत की यह बढ़ती ताकत हिंद महासागर में प्रभुत्व हासिल करने के लिए नहीं बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि का माहौल बनाने के लिए है.” सिंह ने कहा कि भारत का उत्थान न केवल 140 करोड़ नागरिकों के हित में है, बल्कि यह ”वसुधैव कुटुंबकम” के मंत्र के माध्यम से पूरी दुनिया को एक साथ लेने का अनूठा मूल्य भी प्रस्तुत कर रहा है कि अगर भारत प्रगति करेगा, तो केवल इसके आसपास के क्षेत्र भी प्रगति करेंगे.

रक्षा मंत्री ने क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) को लेकर मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप, अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने की दिशा में काम करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए नौसेना की सराहना करते हुए कहा कि नौसेना के मजबूत होने से वैश्विक स्तर पर भारत का कद बढ़ेगा.

‘नये भारत’ की परिवर्तनकारी रणनीतिक सोच को रेखांकित करते हुए सिंह ने जोर देकर कहा, ”हम एक समय ‘समुद्री तटों के साथ ‘लैंडलॉक (भूमि से घिरे) देश” के रूप में जाने जाते थे, लेकिन अब हमें ‘भूमि सीमाओं वाले द्वीपीय देश’ के रूप में देखा जा सकता है.” उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में उपलब्ध संसाधन और अवसर भारत की समृद्धि के कारक होंगे, जो भविष्य में भारतीय नौसेना की भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बनाता है.

सिंह ने कहा कि ज्यादातर वस्तुओं का व्यापार समुद्री मार्ग से होता है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र इसका केंद्र बनकर उभर रहा है. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बढ़ते वस्तु व्यापार के कारण चोरी और तस्करी की घटनाएं जैसे कई खतरे भी सामने आए हैं. सिंह ने क्षेत्र में सुरक्षा माहौल को मजबूत करने और अपने समुद्री डकैती और तस्करी-विरोधी अभियानों के माध्यम से वैश्विक मानचित्र पर भारत के लिए सद्भावना की सूत्रधार नौसेना की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना की तत्परता के कारण इन घटनाओं में कमी आई है, लेकिन खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

‘सी बर्ड’ परियोजना के बारे में उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत देश में सबसे बड़ा नौसैनिक बुनियादी ढांचा निर्माण किया गया है. उन्होंने विश्वास जताया कि दोनों गोदी के जरिये पश्चिमी तट पर नौसेना की रणनीतिक उपस्थिति को और मजबूती मिलेगी.
नौसेना युद्ध महाविद्यालय में नये प्रशिक्षण केंद्र को ‘चोल’ नाम दिया गया है. रक्षा मंत्री ने इस नाम का जिक्र करते हुए कहा कि यह प्राचीन भारत के चोल राजवंश के शक्तिशाली समुद्री साम्राज्य को श्रद्धांजलि अर्पित करता है.

उन्होंने चोल भवन को नौसेना की आकांक्षाओं और भारत की समुद्री उत्कृष्टता की विरासत का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि यह गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलने और अपनी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत पर गर्व महसूस करने की भारत की नई मानसिकता को भी प्रतिबिंबित करता है. नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने सभा में उपस्थित लोगों का ध्यान विशेषकर समुद्री क्षेत्र में उभरती सुरक्षा चुनौतियों की ओर आर्किषत किया. उन्होंने इन चुनौतियों का मुकाबला करने में उच्च सैन्य शिक्षा की अपरिहार्य भूमिका पर भी प्रकाश डाला.

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