भारत सभी लोकतंत्रों की जननी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

पटना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत “सभी लोकतंत्रों की जननी” है जो वैशाली जैसे प्राचीन गणराज्यों की विरासत पर आधारित है. उन्होंने एक “परिपक्व लोकतंत्र” बनने की दिशा में देश की यात्रा पर संतोष व्यक्त किया. मोदी ने यहां बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह के अवसर पर आयोजित एक समारोह में यह बात कही. इस दौरान उन्होंने एक स्मारक स्तंभ का अनावरण किया, ‘कल्पतरु’ का एक पौधा लगाया और एक गेस्ट हाउस तथा एक पुस्तकालय की आधारशिला रखी.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत एक लोकतंत्र है क्योंकि हम सामंजस्य में विश्वास करते हैंङ्घ .. हमें प्राय: कहा जाता है कि भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है. मैं चाहता हूं कि देशवासी यह याद रखें कि हम केवल सबसे बड़े नहीं हैं, बल्कि भारत सभी लोकतंत्रों की जननी है.’’ “बिहार विधानसभा का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री” होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, मोदी ने याद किया कि राज्य, वैशाली की भूमि रहा है, जिसे दुनिया का सबसे पुराना गणराज्य कहा जाता है.

उन्होंने कहा, ‘‘कई लोग कहते हैं कि भारत में लोकतंत्र पश्चिमी प्रभाव के कारण आया. ऐसा करके वे बिहार की विरासत को कमजोर करते हैं.’’ मोदी ने अपनी बात रखने के लिए महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह जैसी घटनाओं को याद किया. प्रधानमंत्री ने कहा, “यह महज संयोग नहीं है कि विधानसभा परिसर का शताब्दी समारोह आजादी के अमृत महोत्सव (75वीं वर्षगांठ) के साथ-साथ आयोजित किया जा रहा है.” उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्र “एक परिपक्व लोकतंत्र बनने की राह पर है” जो “संसद और राज्य विधानसभाओं के अंदर सांसदों और विधायकों की बेहतर उपस्थिति” तथा “अप्रचलित कानूनों को त्यागने” से स्पष्ट है.

मोदी ने राज्य विधानसभा के “शानदार अतीत” की भी बात की, जो देश में पहली बार जमींदारी उन्मूलन कानून और पंचायतों में महिलाओं के लिए आरक्षण लाने वाली देश की पहली विधानसभा बनी. प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी भाषण दिया.

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