मौजूदा ध्रुवीकृत विश्व में भारत अधिक महत्व रखता है : जयशंकर

न्यूयॉर्क/संयुक्त राष्ट्र. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि मौजूदा ध्रुवीकृत विश्व में भारत अधिक महत्व रखता है और उसे व्यापक रूप से वैश्विक दक्षिण (गोलार्ध) की आवाज माना जाता है. उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मंच पर सदा ही कई विकासशील देशों के लिए आवाज उठाता है और उनकी ज्वलंत समस्याओं को रेखांकित करता है.

जयशंकर ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र को संबोधित करने के साथ अमेरिका की अपनी यात्रा के तहत न्यूयार्क पड़ाव का समापन किया. उन्होंने यात्रा के दौरान करीब 100 देशों के अपने समकक्षों से मुलाकात की और कई द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय बैठकों में हिस्सा लिया.

जयशंकर ने भारतीय संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘इसमें दो राय नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा विश्व की स्थिति को प्रतिंिबबित करता है, जो खासतौर पर इस समय ध्रुवीकृत है. विश्व की मौजूदा स्थिति में भारत महत्व रखता है. हम एक सेतु हैं, हम एक आवाज हैं, हम एक दृष्टिकोण, एक जरिया हैं.’’ वह अमेरिका की यात्रा के दूसरे चरण में रविवार को वांिशगटन रवाना होंगे.
जयशंकर ने कहा कि जब सामान्य कूटनीति सही तरीके से काम नहीं कर रही है, तब भारत के कई देशों के साथ संबंध हैं, उसमें विभिन्न देशों और क्षेत्रों के साथ संवाद करने और अहम मुद्दों को उठाने की योग्यता है.

उन्होंने कहा कि आज भारत को वैश्विक स्तर पर ‘व्यापक रूप से’ दक्षिण (गोलार्ध) की आवाज माना जाता है. जयशंकर ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट में है और खाद्यान्न व ईंधन की बढ़ती कीमतें ंिचता पैदा कर रही हैं, उर्वरकों की आपूर्ति को लेकर भी ंिचता है, कर्ज के बढ़ते बोझ ने भी कई देशों में गहरी ंिचताएं पैदा की हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘बड़ी निराशा है कि इन मुद्दों को सुना नहीं जा रहा है. उसके लिए आवाज नहीं उठाई जा रही है. वैश्विक परिषदों में होने वाली चर्चाओं में इन मुद्दों को प्रमुखता से नहीं उठाया जा रहा है.’’ विदेश मंत्री ने कहा कि अगर कोई इन भावनाओं के बारे में बोल रहा है और उनकी आवाज बन रहा है तो वह भारत है, वह नयी दिल्ली ही है, जो कई विकासशील देशों के लिए आवाज उठा रहा है.

जयशंकर ने कहा, ‘‘मैं इस सप्ताह का समापन इस भावना के साथ कर रहा हूं कि ध्रुवीकृत विश्व में भारत वास्तव में महत्व रखता है और यह बहुत कुछ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व,उनकी छवि और वैश्विक मंच पर किये गये उनके कार्यों की वजह से है.’’ विदेश मंत्री ने कहा कि कई लोगों ने उनसे पिछले साल ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन ‘सीओपी-26’ में और हाल की क्षेत्रीय बैठकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका को लेकर बात की.

जयशंकर ने रेखांकित किया कि यह परिदृश्य और नेतृत्व, दोनों ही है, जिसने भारत के अहम होने की भावना को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है. गौरतलब है कि जयशंकर ने न्यूयॉर्क की यात्रा के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से इतर अपने समकक्षों से द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर की वार्ता की, जिनमें क्वॉड, ब्रिक्स, आईबीएसए, सीईएलएसी, सीआरआईसीओएम,गुटनिरपेक्ष देश और एल-69 समूह शामिल हैं.

भारत ऋण, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा के गंभीर मुद्दों के हल के लिए जी-20 देशों के साथ काम करेगा: जयशंकर
भारत के जी-20 की अध्यक्षता संभालने से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि उनका देश ऋण, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण के गंभीर मुद्दों के समाधान के लिए इस प्रभावशाली समूह के अन्य सदस्यों के साथ काम करेगा. जी-20 समूह दुनिया की विकसित एवं विकाशसील अर्थव्यवस्थाओं का एक मंच है. भारत एक दिसंबर, 2022 से लेकर 30 नवंबर 2023 तक के लिए जी-20 की अध्यक्षता संभालेगा.

अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत द्वारा दिसंबर, 2022 से पूरे देश में जी-20 की 200 से अधिक बैठकों की मेजबानी करने की संभावना है. राष्ट्राध्यक्ष/शासनाध्यक्ष के स्तर पर जी-20 नेताओं का सम्मेलन नयी दिल्ली में 9-10 सितंबर, 2023 को होने का कार्यक्रम है.
जयशंकर ने शनिवार को यहां उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में अपने संबोधन में कहा, ‘‘ हम इस साल दिसंबर में जी-20 की अध्यक्षता शुरू कर रहे हैं और हम विकासशील देशों के समक्ष मौजूद चुनौतियों के प्रति संवेदनशील हैं.’’

उन्होंने 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा से कहा कि भारत ऋण, आर्थिक वृद्धि, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा और खासकर पर्यावरण के गंभीर मुद्दों के समाधान के लिए जी-20 के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर काम करेगा. उन्होंने कहा, ‘‘इस बहुपक्षीय वित्तीय संगठन के कामकाज में सुधार हमारी मूल प्राथमिकताओं में एक बना रहेगा.’’ जयशंकर ने यह भी कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को भी अपने स्थायित्व एवं सुरक्षा को लेकर नयी ंिचता है. उनकी टिप्पणी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में चीन की आक्रामक कार्रवाई के बीच आयी है.

संरा में अंतरराष्ट्रीय आतंकियों को सूचीबद्ध किये जाने को बाधित करना संवेदनशील व्यवहार नहीं: जयशंकर

पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों को संयुक्त राष्ट्र की आतंकी सूची में शामिल किये जाने के प्रस्तावों को बार-बार बाधित किये जाने के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि आतंकवाद का इस्तेमाल ‘राजनीतिक औजार’ के रूप में नहीं किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि बगैर कोई कारण बताये किसी चीज को बाधित करना व्यावहारिक एवं संवेदनशील बर्ताव नहीं है.

विदेश मंत्री ने न्यूयॉर्क यात्रा का समापन करते हुए शनिवार को यहां भारतीय संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘ हमारा मानना है कि अगर किसी प्रक्रिया में कोई पक्ष फैसला करता है तो उसे इस बारे में पारदर्शी होने की जरूरत है. ऐसे में, बिना कारण बताए किसी चीज को बाधित करना व्यावहारिक एवं संवेदनशील बर्ताव नहीं है.’’ वह संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवादियों की सूची में पाकिस्तान के आतंकवादियों के नाम शामिल करने के प्रस्ताव को बार-बार बाधित किये जाने के बारे में ‘पीटीआई-भाषा’ द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे. साथ ही, उनसे यह भी सवाल किया गया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय बैठक के दौरान क्या यह विषय उठा था. बैठक में जयशंकर विभिन्न देशों के अपने समकक्षों के साथ शामिल हुए थे.

जयशंकर ने कहा, ‘‘यह मुद्दा मेरी कई बैठकों में उठा है. मैंने ब्रिक्स देशों के साथ बैठक में भी इसका उल्लेख किया था.’’ उन्होंने यह बात संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर बृहस्पतिवार को ब्रिक्स के सदस्यों-ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका-के विदेश मंत्रियों की बैठक का संदर्भ देते हुए कहा.

Related Articles

Back to top button