भारत को सीमा मुद्दे पर मतभेदों को द्विपक्षीय संबंधों में ‘यथोचित स्थान’ पर रखना चाहिए: वांग
बीजिंग. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार को चीन और भारत को सीमा मुद्दे पर अपने मतभेदों को द्विपक्षीय संबंधों में ‘‘यथोचित स्थान’’ पर रखने का सुझाव देते हुए कहा कि दोनो देशों के संबंध सही दिशा में बने रहना चाहिए। वांग ने शुक्रवार को नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ बातचीत की। वांग ने द्विपक्षीय संबंधों बढ़ावा देने के लिए तीन सूत्री दृष्टिकोण का प्रस्ताव रखा।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ की खबर के अनुसार, ‘‘पहला, दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों को दीर्घकालिक दृष्टि से देखना चाहिए। दूसरा, उन्हें एक-दूसरे की उन्नति को सकारात्मक मानसिकता के साथ देखना चाहिए। तीसरा, दोनों देशों को सहयोग के रवैये के साथ बहुपक्षीय प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए।’’ खबर के अनुसार, ‘‘चीनी मंत्री ने कहा कि दोनों देशों को अपने मतभेदों को द्विपक्षीय संबंधों में उचित स्थान पर रखना चाहिए और चीन-भारत संबंधों की सही दिशा में बने रहना चाहिए।’’ वांग राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ भारत-चीन सीमा वार्ता के लिए चीन के विशेष प्रतिनिधि भी हैं।
मई 2020 में लद्दाख गतिरोध शुरू होने के बाद से किसी उच्च पदस्थ चीनी अधिकारी की यह पहली यात्रा है। वांग ने कहा कि चीन और भारत को एक-दूसरे को सफल होने में मदद करनी चाहिए, न कि एक दूसरे को नीचा दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे का समर्थन और सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों का मानना है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करना दोनों देशों के सामान्य हित में है। उन्होंने कहा कि गलतफहमी दूर करने और गलत निर्णय को रोकने के लिए प्रभावी उपाय करना आवश्यक है।
नई दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि लगभग दो वर्षों में भारत और चीन के बीच पहली बड़ी राजनयिक बैठक में, वांग और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में गतिरोध और यूक्रेन में संकट के कारण उत्पन्न भू-राजनीतिक उथल-पुथल के संबंध में शुक्रवार को व्यापक बातचीत की।
सूत्रों ने बताया कि जयशंकर के साथ बातचीत से पहले वांग ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल से मुलाकात की और सीमा विवाद पर व्यापक बातचीत की। गौरतलब है कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले ंिबदुओं में समस्या के समाधान के लिए उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता कर रहे हैं। वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने कुछ टकराव ंिबदुओं से पहले ही अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है।