आगामी वर्षों में सबसे तेज वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा भारत: सीतारमण

चुनावी वादे करने के बाद भूल जाने में कांग्रेस माहिर: निर्मला सीतारमण

जयपुर. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि बीते तीन वित्त वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने दुनिया में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की है और आगामी वर्षों में यह रुख जारी रह सकता है. उन्होंने साथ ही कहा कि आने वाले 25 साल भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं. वह यहां जयपुर के एक दिवसीय दौरे पर आईं थीं.

सीतारमण ने ‘औद्योगिक एवं व्यावसायिक संवाद’ को संबोधित करते हुए कहा, ”अगले 25 साल भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे. आपने देखा वित्त वर्ष 2023-24 की तीनों तिमाही में …प्रत्येक तिमाही में वृद्धि दर आठ प्रतिशत या अधिक रही है. तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही. चौथी तिमाही में भी इसी स्तर की वृद्धि दर की हम अपेक्षा कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा, ”इस तरह 2023-24 में औसत वृद्धि दर उस स्तर की ही है. टिकाऊ आर्थिक वृद्धि है. हम अपने ऊपर आत्मविश्वास बनाए रखते हुए आगे बढ़ सकते हैं कि जैसे पूरी दुनिया में पिछले तीन साल से लगातार हम सबसे तेज वृद्धि दर वाली अर्थव्यवस्था रहे हैं, वैसे ही आने वाले सालों में भी रह सकते हैं.” उन्होंने कहा कि आर्थिक नीति, व्यापक आर्थिक स्थिरता, स्थिर सरकार, स्थिर कर नीति व सरकार के टेंडर तथा खरीदारी आदि पारदर्शी तरीके से होने की वजह से आज भारत की अर्थव्यवस्था की विदेश में बहुत साख है और निवेशक यहां आ रहे हैं.

चुनावी वादे करने के बाद भूल जाने में कांग्रेस माहिर: निर्मला सीतारमण

जयपुर. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मंगलवार को कहा कि सिर्फ चुनाव के लिए वादे करके जनता को गुमराह करना और वोट लेकर भूल जाने में कांग्रेस माहिर है. उन्होंने कहा कि महंगाई कम करने के लिए केंद्र सरकार ने लगातार कदम उठाए हैं तथा इसे और भी कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

यहां संवाददाताओं से बातचीत में निर्मला सीतारमण ने कहा,”सिर्फ चुनाव के लिए कोई वादा करना, जनता को गुमराह करना, वोट लेना और उसके बाद भूल जाना, इसमें कांग्रेस पार्टी माहिर है.” केंद्रीय वित्त मंत्री ने सरकारी कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना (एनपीएस) की जगह पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करने के लिए भी राजस्थान की गत अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार ने एक गलत और नामुमकिन तरह का वादा किया, लेकिन जब उसे लागू करने की कोशिश की तो उसकी पार्टी के ही लोगों ने इसका विरोध किया.

उन्होंने कहा कि राजस्थान की तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने नई पेंशन योजना की जगह पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की घोषणा की और इसे लागू भी किया, लेकिन इसकी नकल कर कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल के चुनाव में भी यही वादा किया और चुनाव जीत गई.

सीतारमण ने कहा, ”हिमाचल में योजना लागू होने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि एनपीएस के द्वारा जो पैसा केंद्रीय पूल में गया उसको वापस किया जाए. तब मैंने कहा कि वह पैसा राज्य सरकार को भी वापस नहीं होता, वह पैसा कर्मचारियों का पैसा है और कर्मचारियों को ही मिलेगा ना कि सरकार को.” उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने इस लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणा पत्र में इस मुद्दे को शामिल नहीं किया है. उन्होंने कहा,”वादा करो, जनता को गुमराह करो, वोट लो और सत्ता में बैठ जाओ, ये है कांग्रेस का तरीका. यह कांग्रेस का रवैया है, हमारा नहीं.” उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री गहलोत ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के कार्यान्वयन में रुकावट खड़ी की.

बढ.ती महंगाई संबंधी एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा,” वर्ष 2014 से लेकर आज तक 10 साल में एक या दो महीने छोड़कर महंगाई ‘छह प्रतिशत’ के नीचे ही रही. मैं 2004 से 2014 तक के दस साल की याद दिलाना चाहती हूं … 22 महीने मुद्रास्फीति दहाई अंक में थी, तब खाद्य मुद्रास्फीति यानी सिर्फ खाद्य वस्तुओं की महंगाई 12 प्रतिशत के ईद-गिर्द थी. अभी पिछले महीने का आंकड़ा देख लीजिए, चार प्रतिशत से कम है खुदरा महंगाई.’

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद सरकार मेहनत कर रही है. वह जरूरत पड़ने पर दाल आयात करती है, नेपाल सहित अन्य देशों से प्याज आयात करती है और मदर डेयरी की दुकानों या ट्रकों के जरिए आवासीय इलाकों में आलू, टमाटर जनता को बेचती है. केंद्र सरकार ‘भारत’ ब्रांड का आटा दाल ‘एकदम उचित’ मूल्य में बेच रही है.

निर्मला ने कहा,”महंगाई के विषय में प्रधानमंत्री मोदी जी कभी चुप नहीं बैठते. ‘मंत्री समूह’ से पूछते हैं कि आप क्या कर रहे हैं…लगातार आम जनता की थाली में जो चीज पहुंचनी चाहिए, उसकी महंगाई नियंत्रित करने के लिए हम लगातार प्रयत्नरत्न हैं.’ चुनावी बॉन्ड संबंधी एक सवाल पर उन्होंने कहा कि संसद में चर्चा के बाद कानून पारित कर यह व्यवस्था बनाई गई थी और हर राजनीतिक दल ने कानूनन इसका फायदा उठाया.

उन्होंने कहा,”चुनावी बॉण्ड के आने से पहले के जमाने में कोई ढांचा नहीं था. आप नकदी बोरी में भरके या सूटकेस में भरकर दो, या सोना अथवा फ्लैट के रूप में दो… कोई नियंत्रण नहीं था. संसद में चर्चा के बाद यह एक रास्ता निकाला गया. इसमें बॉण्ड खरीदने वाले से लेकर उसे भुनाने वाले तक ‘खाते से खाते’ में पैसा जाता है. उन्होंने कहा कि संसद में कानूनी तौर पर पास होने के बाद ये प्रणाली अपनायी गई है, जो पहले की प्रणाली से बेहतर है. सीतारमण मंगलवार को जयपुर के एक दिवसीय दौरे पर थीं. उन्होंने यहां प्रबुद्धजन सम्मेलन और ‘औद्योगिक एवं व्यावसायिक संवाद’ को संबोधित किया.

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