भारत-पाक के क्रिकेट प्रेमियों ने एमसीजी पर जमाया रंग

मेलबर्न. भारत और पाकिस्तान के मैच के दौरान अगर आपने जोहानिसबर्ग, मीरपुर, कोलंबो, कोलकाता, र्बिमंघम, एडिलेड, लंदन और मैनचेस्टर में ‘जन गण मन’ सुना है, तो आप इस बात को मानेंगे कि रविवार को मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (एमसीजी) में माहौल कुछ अलग तरह का था.

मैदान में मौजूद 90,293 लोगों में कम से कम 60,000 भारतीय थे और जय हो जय हो ने ऐसा माहौल बनाया जैसा पहले कभी नहीं देखा गया. ऐसे माहौल में कोई भी भावुक हो सकता है फिर चाहे वह भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ही क्यों न हो जिनके चेहरे पर भावनाओं का उबाल साफ दिख रहा था.

कोलकाता के रहने वाले समिरन चौधरी ने कहा,‘‘ मैं बैंकॉक में अपना पहला रेस्टोरेंट खोलने जा रहा हूं तथा यात्रा से जुड़ी दिक्कतों के कारण काफी दबाव था . मेरा वीजा एक बार रद्द कर दिया गया था और मैंने फिर से आवेदन किया और दूसरी बात मुझे वीजा मिल गया. मैंने मैच के दिन यहां पहुंचने के लिए एक तरफ का हवाई टिकट एक लाख रुपए में खरीदा.’’ उनके मित्र दीपांजन घोष को ऐसा कोई तनाव नहीं था क्योंकि वह पिछले 12 वर्षों से मेलबर्न में ही रहते हैं.

उन्होंने कहा,‘‘ एमसीजी पर भारत का किसी भी प्रारूप में मैच हो मैंने कभी उसे नहीं छोड़ा. मैंने एशेज की मैच भी देखे लेकिन ऐसा माहौल कभी नहीं देखा.’’ पाकिस्तान के दो समर्थक अब्बास और अजान सिडनी से यहां आए थे और वह पाकिस्तान के प्रत्येक मैच में उपस्थित रहना चाहते हैं.

असल में सुबह से ही मेलबर्न शहर भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले मुकाबले के रंग में रंगा था. मशहूर फेडरेशन स्क्वायर के पास भारत और पाकिस्तान के प्रशंसक साथ में नाच रहे थे. शोर निश्चित डेसीबल के आंकड़े को पार कर रहा था लेकिन इसकी किसी को ंिचता नहीं थी.

एक सरदार जी ने जोर से नारा लगाया गणपति बप्पा मोरिया और उनके साथ बाकी भारतीयों ने भी स्वर में स्वर मिलाया.
ब्रिटेन से आए कुछ दर्शकों ने साधुओं जैसे कपड़े पहन रखे थे. एक उत्साही भारतीय पत्रकार ने एक बुजुर्ग व्यक्ति से पूछा, ‘‘बाबाजी क्या आप भारतीय टीम को आशीर्वाद देंगे. ’’ दर्शकों के बीच सबसे अच्छी बात यह रही कि उन्होंने किसी तरह का आक्रामक रवैया नहीं दिखाया और खेल के हर पल आनंद लिया.

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