आकाश आनंद के राजनीतिक सफर के उतार-चढ़ाव से बेचैनी स्वाभाविक है : मायावती

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने सोमवार को कहा कि पार्टी नेता आकाश आनंद के राजनीतिक सफर के उतार-चढ़ाव और पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय समन्वयक के रूप में उनकी हाल की नियुक्ति को लेकर कुछ बेचैनी ‘‘स्वाभाविक’’ है।

सपा अध्यक्ष ने कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) से गठबंधन करने वाली विरोधी पार्टियों के प्रति आगाह करते हुए कहा कि उनकी पार्टी ही एकमात्र सच्ची आंबेडकरवादी पार्टी है। मायावती ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि अगर व्यक्ति पश्चाताप करे तो पार्टी के हित में की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई को वापस लिया जा सकता है।

उन्होंने पोस्ट में कहा, ‘‘देश में बसपा बहुजन हित की एकमात्र आंबेडकरवादी पार्टी है तथा पार्टी हित में लोगों पर कार्रवाई करने व पश्चाताप करने पर उन्हें वापस लेने की परंपरा है।’ उन्होंने कहा, ‘‘इसी क्रम में श्री आकाश आनन्द के उतार-चढ़ाव व उन्हें मुख्य राष्ट्रीय समन्वयक बनाने से बहुत से लोगों में बेचैनी स्वाभाविक है।’’ मायावती की यह टिप्पणी बसपा में आंतरिक फेरबदल के बीच आई है। पार्टी में वापस लाए जाने के एक महीने बाद आनंद को राष्ट्रीय समन्वयकों का प्रमुख नियुक्त किया गया।

मुख्य राष्ट्रीय समन्वयक के रूप में आनंद तीन राष्ट्रीय समन्वयकों का नेतृत्व करेंगे। यह पद विशेष रूप से आनंद के लिए बनाया गया है, जिससे वह वस्तुत? पार्टी में दूसरे नंबर के नेता बन जाएंगे। इस बीच मायावती ने विश्वास जताया कि आनंद अब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर और बसपा संस्थापक कांशीराम के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध होंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी को अवसरवादी व स्वार्थी लोगों की कतई जरूरत नहीं है।’’ उन्होंने पोस्ट में लिखा, ‘‘पार्टी को उम्मीद है कि अब श्री आकाश आनन्द बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर एवं मान्यवर श्री कांशीराम जी के आत्म-सम्मान के कारवां को आगे बढ़ाने व उनके सपनों को साकार करने की जिम्मेदारी पूरी तनम्यता व जी-जान से निभाएंगे अर्थात पार्टी को अवसरवादी व स्वार्थी लोगों की कतई जरूरत नहीं।’’

मायावती ने प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘वैसे भी कांग्रेस, भाजपा व सपा आदि पार्टियों के सहारे व इशारे पर चलकर बहुजनों की एकता एवं बसपा को कमजोर करने वाले बरसाती मेंढकों की तरह के संगठन व दलों के नेता चाहे निजी स्वार्थ में विधायक, सांसद व मंत्री क्यों ना बन जाएं इनसे समाज का कुछ भला होने वाला नहीं। लोग सावधान रहें।’’

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