कलाम भारत-इस्लामी संस्कृति के आदर्श प्रतिनिधि थे: कोविंद

नयी दिल्ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम भारत-इस्लामी संस्कृति के आदर्श प्रतिनिधि थे. ‘इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर’ द्वारा आयोजित चौथे ए पी जे अब्दुल कलाम आजाद स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए कोविंद ने पूर्व राष्ट्रपति की उस टिप्पणी को याद किया कि जब संगीतकार ए आर रहमान ‘वंदे मातरम’ गाते हैं, तो हर देशवासी उनसे जुड़ जाता है.

कलाम के पूर्व प्रेस सचिव एस एम खान की एक किताब का हवाला देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि कलाम वीणा वादन करते थे तथा रोजाना कुरान और गीता पढ़ते थे, महाभारत के विदुर को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की उनकी क्षमता के लिए पसंद करते थे.
कोविंद ने कहा कि कलाम की तरह उन्हें भी भारत के भविष्य के निर्माण में देश के युवाओं की कड़ी मेहनत और क्षमता पर पूरा भरोसा है.

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘वह (कलाम) विशेष रूप से स्कूली बच्चों से मिलते थे. उन्हें यकीन था कि आने वाली पीढ़ियां देश का सुनहरा भविष्य बनाएंगी. मुझे भी हमारे युवाओं की क्षमता और कड़ी मेहनत पर यकीन है. मुझे भी विश्वास है कि देश के विकास में लड़कियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.’’ राष्ट्रपति ने कहा कि कई विश्वविद्यालयों के विजिटर होने के नाते उन्होंने देखा है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में लड़कियां लड़कों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं. कोविंद ने यह भी कहा कि वैज्ञानिकों की कहानियां राष्ट्र निर्माताओं की गाथा का हिस्सा होनी चाहिए.

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