कश्मीर की पार्टियां ‘‘ गैर स्थानीयों’’ को मतदाता सूची में शामिल करने को देंगी चुनौती

श्रीनगर. नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर की मतदाता सूची में ‘‘गैर-स्थानीय लोगों को शामिल करने का कोई भी कदम’’ अस्वीकार्य है और अदालत सहित सभी तरीकों से इस फैसले को चुनौती दी जाएगी.
उन्होंने यह बयान इसी मुद्दे पर नौ पार्टियों की बुलाई गई बैठक के बाद दिया. इस मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर की पार्टियों की बैठक बुलाने वाले अब्दुल्ला ने कहा कि वे ‘बाहरी’ को मतदान का अधिकार देने के फैसले का विरोध करने के लिए एकजुट हैं क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर की पहचान को छीन लेगा.

संवाददाताओं से कहा, ‘‘ राज्य की पहचान लगभग खत्म हो जाएगी. डोगरा, कश्मीरी पहाड़ी या गुज्जर या सिख अपनी पहचान खो देंगे जो यहां रहते हैं. विधानसभा बाहरी लोगों के हाथों में होगी… हम सभी इसका विरोध करते हैं और हम इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं.’’

उच्च सुरक्षा वाले गुपकर इलाके में नेकां अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला के आवास पर हुई बैठक में उनकी पार्टी के नेताओं के अलावा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती, कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष विकार रसूल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता एम. वाई. तारिगामी और शिवसेना, अवामी नेशनल कांफ्रेंस(एएनसी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा), जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और अकाली दल मान के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. वहीं, सज्जाद लोन-नीत पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व वाली ‘अपनी पार्टी’ के नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया.

इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)ने नेकां, पीडीपी और अन्य पार्टियों पर आरोप लगाया है कि वे केंद्र शासित प्रदेश की संशोधित मतदाता सूची में ‘‘गैर स्थानीय मतदाताओं को शामिल किए जाने’’के मुद्दे पर ‘‘भ्रामक दुष्प्रचार’’कर लोगों के मन में जहर फैला रहे हैं.
जम्मू में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना ने कहा कि स्थानीय और गैर स्थानीय का सवाल ही नहीं है क्योंकि संविधान ने 18 साल से अधिक उम्र के सभी नागरिकों को मत देने का अधिकार दिया है.
अब्दुल्ला द्वारा श्रीनगर में की गई बैठक के संदर्भ में ‘‘जवाबी रणनीति’’ बनाने के लिए पार्टी मुख्यालय में हुई वरिष्ठ भाजपा नेताओं की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद रैना संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे.

अब्दुल्ला ने संशोधित मतदाता सूची में मतदाताओं को शामिल करने को लेकर केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी हृदयेश कुमार की टिप्पणी के बाद यह बैठक बुलाई थी. कुमार ने टिप्पणी की थी कि जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं की संख्या में 25 लाख तक वृद्धि हो सकती है और कोई भी सामान्य तौर पर जम्मू-कश्मीर में रहने वाला भारतीय नागरिक जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत यहां की मतदाता सूची में नाम दर्ज करा सकता है.

सरकार ने हालांकि, शनिवार को एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा था कि मतदाता सूची में संक्षिप्त संशोधन के बाद संभवतया 25 लाख से अधिक मतदाताओं को जोड़ने की खबरें ‘‘निहित स्वार्थों की गलतबयानी’’ हैं. सरकार ने कहा कि मतदाताओं की संख्या में वृद्धि उन लोगों की वजह से होगी जो एक अक्टूबर 2022 तक 18 साल या इससे अधिक उम्र के होंगे.

नेकां और पीडीपी जैसे दलों ने दावा किया कि प्रशासन ने उनकी इस मुख्य ंिचता का समाधान नहीं किया है कि क्या जम्मू-कश्मीर में सामान्यतया रहने वाले ‘‘बाहरी’’ लोगों को मतदाता सूची में अपना नाम शामिल कराने की अनुमति दी जाएगी या नहीं. माकपा नेता तारिगामी ने कहा कि पार्टियां स्पष्ट हैं कि जो मुख्य चुनाव अधिकारी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा और सूचना विभाग की ओर से जो सफाई दी गई वह ‘‘हमारे लिए अस्वीकार्य हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम देश की शीर्ष अदालत से न्याय पाने की संभावनाओं को तलाशेंगे.’’

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