केरल के राज्यपाल ने चेरियन को मंत्रिमंडल में फिर शामिल करने की सिफारिश को मंजूरी दी

तिरुवनंतपुरम. केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) नेता साजी चेरियन को मंत्रिमंडल में फिर से शामिल करने की मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की सिफारिश को मंजूरी दे दी है. कुछ महीने पहले माकपा नेता ने संविधान के खिलाफ कथित टिप्पणी को लेकर हंगामे के बाद इस्तीफा दे दिया था.

राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने यह फैसला इसलिए किया क्योंकि ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री की सिफारिश उनके लिए बाध्यकारी है.
खान ने पत्रकारों से कहा कि चेरियन को शामिल करने के संबंध में उन्हें मुख्यमंत्री से जो कुछ कहना था, वह कह दिया गया है और वह मीडिया के सामने इस पर चर्चा नहीं करेंगे.

राज्यपाल ने कहा, ‘‘अंतत: मैंने मुख्यमंत्री की सिफारिश को स्वीकार कर लिया और शपथ ग्रहण समारोह कल आयोजित होगा. कल भी मैंने कहा था कि ऐसे मामलों में उनकी (मुख्यमंत्री की) सलाह (माने जाने के लिए) मेरे लिए बाध्यकारी है.’’ खान ने एक दिन पहले कहा था कि चेरियन को मंत्रिमंडल में शामिल करना ‘‘सामान्य मामला नहीं’’ है और इसलिए उन्हें इससे संबंधित दस्तावेजों पर गौर करना होगा.

एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि चेरियन बुधवार शाम चार बजे मंत्री पद की शपथ लेंगे. इस बीच, कांग्रेस ने चेरियन को मंत्रिमंडल में फिर शामिल किए जाने के फैसले का विरोध किया. राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी. डी. सतीशन ने कहा कि माकपा नेता को फिर मंत्रिमंडल में शामिल करने का फैसला ‘‘अनैतिक’’ है. उन्होंने फैसले के पीछे के तर्क पर भी सवाल उठाए और कहा कि विपक्ष इसे स्वीकार नहीं करेगा.

सतीशन ने कहा, ‘‘ हम इसका कड़ा विरोध करेंगे और हम कानून का सहारा भी लेंगे.’’ उन्होंने कहा कि विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) का कोई सदस्य शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होगा. उन्होंने इस्तीफा ही क्यों दिया था अगर उन्होंने कानून या संविधान को लेकर कुछ गलत नहीं कहा था.

वहीं, चेरियन ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया कि उन्होंने कानून और संविधान के खिलाफ कुछ नहीं कहा. उन्होंने कहा, ‘‘ यह आप (मीडिया) ही थे जो कह रहे थे कि मैंने कुछ असंवैधानिक कहा है. अपनी पार्टी की गरिमा को बनाए रखने के लिए मैंने अपने पद पर बने रहने के बजाय इस्तीफा दिया.’’ चेरियन ने कहा कि आठ दिसंबर 2022 को केरल उच्च न्यायालय ने उन दो याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें यह घोषणा करने का अनुरोध किया गया था कि उनके भाषण को देखते हुए वह विधायक पद पर रहने के हकदार नहीं हैं.

चेरियन ने अदालत के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि यह साबित करता है कि उन्होंने कोई अवैध काम नहीं किया है और इसलिए वह विधायक बने रह सकते हैं. उन्होंने सवाल किया, “फिर, कोई विधायक मंत्री क्यों नहीं बन सकता?” उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके खिलाफ राज्य की किसी भी अदालत में कोई मामला नहीं लंबित है. चेरियन ने जुलाई में पथनमथिट्टा जिले में एक भाषण के दौरान कथित तौर पर संविधान के खिलाफ टिप्पणी की थी और इस संबंध में आपराधिक मामला दर्ज होने के बाद मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.

सत्तारूढ़ माकपा ने 30 दिसंबर 2022 को उन्हें मंत्रिमंडल में वापस लाने का फैसला किया था और अगले दिन राज्यपाल को पत्र भेजकर चार जनवरी को चेरियन को मंत्री पद की शपथ दिलाने की मंजूरी मांगी थी. कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने विधायक को मंत्री बनाने के माकपा के फैसले की आलोचना करते हुए इस कदम को अस्वीकार्य और असंवैधानिक करार दिया. कांग्रेस ने कहा है कि वह चार जनवरी को ‘‘काला दिवस’’ के रूप में मनाएगी.

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