खतौली उपचुनाव: रालोद प्रत्याशी मदन भैया की जीत, भाजपा से छिनी सीट

मुजफ्फरनगर. उत्तर प्रदेश की खतौली विधानसभा सीट के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी गठबंधन के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी मदन भैया ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राजकुमारी सैनी को 22143 मतों से हराकर भाजपा से यह सीट छीन ली.

चुनाव आयोग द्वारा घोषित परिणाम के मुताबिक मदन भैया को 97 हजार 139 मत मिले जबकि राजकुमारी को 74 हजार 996 वोट हासिल हुए. हार-जीत का अंतर 22 हजार 143 मतों का रहा. इसके साथ ही राज्य विधानसभा में राष्ट्रीय लोकदल के विधायकों की संख्या बढ़कर नौ हो गयी है. खतौली सीट भाजपा विधायक विक्रम ंिसह सैनी को मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े एक मामले में सजा सुनाये जाने के कारण उनकी सदस्यता रद्द होने के चलते रिक्त हुई थी.

रालोद ने जीत के लिए खतौली की जनता का आभार जताया. रालोद ने एक ट्वीट में कहा,”अपार जनसमर्थन और जन सहयोग के लिए खतौली की सम्मानित जनता को दिल से आभार. आपके आशीर्वाद से आज खुशहाल खतौली का सपना साकार होने की राह पर है. ये जीत आपका आशीर्वाद है…आशीर्वाद बना रहे.” भाजपा ने इस सीट पर उनकी पत्नी राजकुमारी सैनी को उम्मीदवार बनाया था. यह सीट सपा गठबंधन के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल को मिली थी, जिसने यहां मदन भैया को प्रत्याशी बनाया था.

मतगणना की शुरुआत से ही राष्ट्रीय लोकदल प्रत्याशी ने मजबूत बढ़त बना ली थी जो अंत तक बरकरार रही. मतगणना में मदन भैया ने शुरुआती बढ़त हासिल की और 10 राउंड की मतगणना के बाद लगभग 3000 मतों के अंतर से आगे रहे. मतगणना बढ़ने के साथ-साथ यह अंतर बड़ा होता गया जब तक कि उन्होंने जीत की रेखा पार नहीं कर ली.

खतौली में 3.16 लाख मतदाता हैं, जो भाजपा का गढ़ माना जाता है. वर्ष 1991 के बाद से आठ विधानसभा चुनावों में भाजपा के उम्मीदवारों ने 1991, 1993, 2017 और 2022 में चार बार जीत हासिल की, जबकि रालोद के उम्मीदवारों ने 2002 और 2012 में केवल दो बार सीट जीती.

उपचुनावों के लिए प्रचार के दौरान भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उपमुख्यमंत्रियों, समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण सहित वरिष्ठ नेताओं की लंबी चौड़ी टीम भेजी थी. पुलिसकर्मी से राजनेता बने असीम अरुण को दलित और पिछड़े समुदायों के लोगों से मुलाकात करते और उनके उत्थान के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए देखा जा सकता था.

भाजपा नेता विकास के साथ-साथ 2013 के सांप्रदायिक दंगों को भी उपचुनाव में मुद्दा बना रहे थे. दंगों में 62 लोग मारे गए थे और लगभग 40,000 विस्थापित हुए थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां एक चुनावी रैली में दावा किया था कि नफरतभरे भाषण मामले में सैनी ने विधानसभा की अपनी सदस्यता किसी पारिवारिक विवाद के कारण नहीं, बल्कि मुजफ्फरनगर की गरिमा के लिए गंवाई है. मुख्यमंत्री ने कहा था, “यह राजनीति से प्रेरित और मनगढ़ंत मामला था.’’

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