झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन के नेताओं ने राज्यपाल से मुलाकात की

रांची. झारखंड में राजनीतिक संकट के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) विधायक दल के नेता चंपई सोरेन ने राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन से बृहस्पतिवार को मुलाकात की और सरकार बनाने के लिए उनके दावे को जल्द से जल्द स्वीकार करने का उनसे आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन के एक प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह जल्द ही इस मामले पर निर्णय लेंगे. चंपई सोरेन ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात के बाद कहा, ”हमने राज्यपाल से जल्द से जल्द निर्णय लेने का अनुरोध किया क्योंकि झारखंड में 20 घंटे से अधिक समय से कोई सरकार नहीं है.” हेमंत सोरेन को बुधवार रात यहां धनशोधन मामले में सात घंटे की पूछताछ के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया था. इससे पहले उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद चंपई सोरेन झामुमो विधायक दल के नेता चुने गए थे.

चंपई सोरेन ने ‘एक्स’ पर कहा, ”हम एकजुट हैं. हमारा गठबंधन बहुत मजबूत है; इसे कोई नहीं तोड़ सकता.” झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन द्वारा जारी एक वीडियो में 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में 43 विधायकों का समर्थन दिखाया गया है. राज्यपाल से मुलाकात के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा, ”यदि राज्यपाल हमें नहीं बुलाते हैं तो हम कल दोपहर में फिर से उनसे मुलाकात का समय मांगेंगे.”

आलम ने कहा कि बैठक के दौरान उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि यदि सरकार के गठन पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया तो विधायकों की खरीद-फरोख्त के लिए कौन जिम्मेदार होगा. चंपई सोरेन के साथ आलम, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायक सत्यानंद भोक्ता, भाकपा (माले) एल के विधायक विनोद सिंह और विधायक प्रदीप यादव भी थे.

चंपई सोरेन:अलग राज्य के लिए चली लंबी लड़ाई में अपने योगदान के कारण कहे जाते हैं ‘झारखंड टाइगर’
झारखंड में सरायकेला-खरसांवा जिले के जिलिंगगोड़ा गांव में अपने पिता के साथ खेतों में काम करने से लेकर राज्य के नये मुख्यमंत्री के रूप में नाम प्रस्तावित किये जाने तक का 67 वर्षीय चंपई सोरेन का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है. झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के वफादार माने जाने वाले राज्य के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन को 1990 के दशक में अलग (झारखंड) राज्य के लिए चली लंबी लड़ाई में योगदान देने को लेकर ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से भी जाना जाता है.

चंपई ने झामुमो विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”मैं अपने पिता (सिमल सोरेन) के साथ खेतों में काम किया करता था…अब किस्मत ने मुझे एक अलग भूमिका निभाने का मौका दिया है.” धन शोधन के एक मामले में हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और फिर उनकी गिरफ्तारी होने के बाद चंपई झामुमो विधायक दल के नये नेता चुने गए.

सरकारी स्कूल से मैट्रिक तक की पढ.ाई करने वाले चंपई की शादी काफी कम उम्र में ही हो गई थी. उनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं.
उन्होंने 1991 में सरायकेला सीट से उपचुनाव में निर्दलीय विधायक चुने जाने के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की.
इसके चार साल बाद उन्होंने झामुमो के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और भाजपा उम्मीदवार पंचू टुडू को हराया था.
वहीं, 2000 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर वह भाजपा के अनंत राम टुडू से हार गए.

उन्होंने 2005 में, भाजपा उम्मीदवार को 880 मतों के अंतर से शिकस्त देकर इस सीट पर फिर से अपना कब्जा जमा लिया.
चंपई ने 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में भी जीत हासिल की. वह सितंबर 2010 से जनवरी 2013 के बीच अर्जुन मुंडा नीत भाजपा-झामुमो गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे. हेमंत सोरेन ने जब 2019 में राज्य में सरकार बनाई, तब चंपई खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और परिवहन मंत्री बनाये गए. चंपई का नाम राज्य के नये मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तावित किया गया है और एक समर्थन पत्र राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को सौंपा गया है.

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