उपराज्यपाल सक्सेना ने प्रदूषण को लेकर दिल्ली, पंजाब सरकार पर साधा निशाना, आप ने दिया जवाब

नयी दिल्ली. उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण को लेकर बृहस्पतिवार को पंजाब और दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) नीत सरकारों पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पराली जलाने के मुद्दे पर जहां पंजाब ‘अपने दायित्व से पल्ला झाड़’ रहा है और दिल्ली सम-विषम योजना जैसे ‘बहुप्रचारित क्रियाकलापों’ में लगी है वहीं राष्ट्रीय राजधानी का वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर के कारण दम फूल रहा है.

सक्सेना ने कहा कि प्रदूषण की समस्या के लिए दूसरों पर अंगुली उठाने से कोई मदद नहीं मिलेगी तथा समाधान तो शहर के अंदर ही है. बृहस्पतिवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणियों के बीच रही क्योंकि प्रतिकूल मौसम स्थिति ने प्रदूषकों को तितर-बितर नहीं होने दिया.

आप पार्टी ने एक बयान में कहा कि दिल्ली सरकार ने पिछले कुछ सालों में अनेक कदम उठाए हैं जिनकी वजह से वायु गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है और संसद में पेश 2022-23 की आर्थिक समीक्षा में भी इसकी प्रशंसा की गई थी. पार्टी ने कहा कि उसने पंजाब में भी अनेक कदम उठाए हैं और यदि केंद्र सरकार सब्सिडी दे तो पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए काफी कुछ किया जा सकता है.

इस बीच उपराज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में ‘हमारी टूटी-फूटी सड़कों से, फुटपाथों एवं निर्माण स्थलों से उठने वाले धूल कणों’ को घटाकर तथा वाहनों से निकलने वाले धुएं पर अंकुश लगाकर यह समस्या कम की जा सकती है. सक्सेना ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी अन्य राज्यों में पराली जलाने से निकलने वाले धुंए को रोकने के लिए कुछ खास नहीं कर सकती है लेकिन ”दूसरों पर ठीकरा फोड़कर सालों की भारी नि्क्रिरयता पर पर्दा नहीं डाला जाना चाहिए.”

उन्होंने पंजाब सरकार पर ‘दायित्व से पल्ला झाड़’ लेने का आरोप भी लगाया. उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर लिखा, ”जिन राज्यों में पराली जलायी जाती है, उनसे मिन्नत करने के सिवाय हम इससे (पराली जलाने से) उठने वाले धुंए को रोकने के लिए कुछ खास नहीं कर सकते. उसके बाद भी राज्य खासकर पंजाब अपने दायित्व से पल्ला झाड़ रहे हैं और हम केवल रहम की दरख्वास्त करने वाले हैं. वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई फिर 400 के आसपास है और राष्ट्रीय ‘राजधानी’ का दम फूल रहा है.” उपराज्यपाल ने कहा कि आतिशबाजी ने निश्चित ही यह समस्या बढ.ायी है और इस ‘गैस चैंबर’ में सबसे अधिक प्रभावित वे लोग हैं जो अपनी रोजी-रोट के लिए सड़कों से गुजरते हैं.

उन्होंने कहा, ”झुग्गियों और अनधिकृत कॉलोनियों में रह रहे गरीब और असहाय लोगों के फेफड़े प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि वे अपने घरों में बैठे नहीं रह सकते और एयर प्यूरीफायर भी नहीं खरीद सकते. दिल्ली में वायु प्रदषण का असल समाधान दिल्ली में ही है. हम अपनी टूटीफूटी सड़कों से, फुटपाथों एवं निर्माण स्थलों से उठने वाले धूल कणों को घटाकर इस स्थिति को कुछ हद तक कम कर सकते हैं. हम वाहन से निकलने वाले धुंए पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी तरीके अपना सकते हैं.”

उप राज्यपाल ने कहा, ”2016 की घातक धुंध के बाद से यह बार बार उठने वाला मुद्दा बन गया है जिसपर कुछ नहीं किया जाता है, बल्कि केवल बातें की जाती हैं.” उन्होंने कहा, ” स्मॉग टॉवर जैसे कदमों को लेकर होने वाले प्रचार प्रसार का कोई खास मतलब नहीं होता तथा ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ और ‘सम-विषम’ जैसे बहु प्रचारित गतिविधियों को लेकर की जाने वाली प्रचार की राजनीति से दिल्ली के लोगों की जान जोखिम में नहीं डाली जा सकती.” उप राज्यपाल ने दावा किया कि दिल्ली में वाहनों में सीएनजी का उपयोग शुरू किये जाने और फ्लाईओवरों के निर्माण के बाद से कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया.

उन्होंने कहा,” दिल्ली को दिखावे की नहीं बल्कि कार्रवाई की जरूरत है. हम निर्धारित समयसीमा में टिकाऊ लक्ष्य हासिल कर सकते हैं. लेकिन हम करें तो सही. राजनीति इंतजार कर सकती है.” दिल्ली सरकार की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है. अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय केंद्र की वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना में बताये गये कदमों के प्रभावी क्रियान्वयन पर बृहस्पतिवार को संबंधित विभागों के साथ बैठक करेंगे. राय ने पहले वायु प्रदूषण योजना के क्रियान्वयन में अनदेखी को लेकर संबंधित विभागों से नाराजगी जताई थी. उन्होंने विभाग से वायु प्रदूषण रोधी उपायों को लागू करने के लिए जिम्मेदार टीमों की निगरानी के लिए प्रणाली स्थापित करने की अपील की थी.

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