सरकारी स्कूलों में दाखिलों में कमी और अनुपस्थिति में वृद्धि को लेकर उपराज्यपाल ने मांगा जवाब

नयी दिल्ली. दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय ने सोमवार को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर शिक्षा पर खर्च में वृद्धि के बावजूद 2014-15 से सरकारी स्कूलों में ‘‘दाखिले में गिरावट और अनुपस्थिति में वृद्धि’’ के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है. इससे कुछ दिन पहले उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने सरकारी स्कूलों में कमरों के निर्माण से संबंधित केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने में देरी को लेकर दिल्ली सरकार से रिपोर्ट मांगी थी.

उपराज्यपाल कार्यालय ने दिल्ली सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण 2021झ्र2022 के आंकड़ों का हवाला दिया है, जिनमें कहा गया है कि 2014-15 में शिक्षा क्षेत्र पर 6,145 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जबकि 2019-20 में 11,081 करोड़ रुपये खर्च किए गए. इसके बावजूद स्कूलों में दाखिले में गिरावट आई और छात्रों उपस्थिति काफी कम रही.

पत्र में कहा गया है कि सरकार का प्रति वर्ष प्रत्येक छात्र पर खर्च 2015-16 में 42,806 रुपये था, जो बढ़कर 2019-20 में 66,593 रुपये हो गया. फिर भी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दाखिलों की संख्या 2014-15 की 15.42 लाख से घटकर 2019-20 में 15.19 लाख हो गई.

पत्र में कहा गया है, ‘‘राज्य सरकार द्वारा शिक्षा बजट में पर्याप्त वृद्धि के बावजूद, यह देखा गया है कि इसी अवधि के दौरान दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दाखिलों की संख्या 2014-15 की 15.42 लाख से घटकर 2019-20 में 15.19 लाख हो गई.’’ पत्र में कहा गया है, ‘‘दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों का प्रतिशत घट रहा है. छात्रों की उपस्थिति का प्रतिशत 2016-17 और 2019-20 के बीच 55-61 के बीच था, जो लगभग 6 लाख बच्चों की अनुपस्थिति को दर्शाता है …’’ उपराज्यपाल कार्यालय ने प्राथमिकता के आधार पर स्पष्टीकरण मांगा है. कार्यालय ने कहा है कि ‘‘विसंगति’’ की व्यापक जनहित में जांच की जानी चाहिए.

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