वोटबैंक की राजनीति के लिए ममता बनर्जी संदेशखाली के मुख्य आरोपी को संरक्षण दे रही हैं: भाजपा

नयी दिल्ली/कोलकाता. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संदेशखाली मुद्दे को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर मंगलवार को एक बार फिर हमला बोला और आरोप लगाया कि उन्होंने तुष्टिकरण की राजनीति के चलते तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहां शेख को संरक्षण दे रखा है.

भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए तुष्टिकरण न्याय से अधिक मायने रखता है. उन्होंने संदेशखाली में भूमि हड़पने और महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मुख्य आरोपी शेख की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की.

उन्होंने कहा, ”तृणमूल कांग्रेस के सभी नेता अपराधी और बलात्कारी शाहजहां शेख को बचाने के लिए अदालतों को भी बदनाम करने में लगे हुए हैं.” शुक्ला ने तृणमूल कांग्रेस नेता कुणाल घोष के उस बयान का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया है कि शेख को एक सप्ताह के भीतर गिरफ्तार कर लिया जाएगा और कहा कि यह स्पष्ट है कि तृणमूल कांग्रेस को उनके ठिकाने के बारे में पता है.

उन्होंने इस मुद्दे पर विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की चुप्पी पर निशाना साधते हुए कहा, ”ममता की ओछी राजनीति के तराजू में आरोपी का पक्ष और तुष्टिकरण का वजन न्याय के मुकाबले भारी पड़ रहा है. जिस कारण से न्याय के तराजू का पलड़ा आरोपी के पक्ष में झुक गया है. यह ‘इंडी’ गठबंधन के तमाम घटक दलों की चुप्पी से साबित होता है.” शुक्ला ने कहा कि शिकायतकर्ताओं को न्याय दिलाने के लिए उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर इस मुद्दे को हवा देने का आरोप लगाया और दावा किया कि कुछ शिकायतों के पीछे पार्टी है.

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संदेशखाली से माकपा के पूर्व विधायक निरापद सरदार को जमानत दी
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को संदेशखाली से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पूर्व विधायक निरापद सरदार को जमानत दे दी. पुलिस ने उन्हें उत्तर 24 परगना जिले के अशांत क्षेत्र संदेशखाली में हिंसक विरोध प्रदर्शन में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया था.

याचिकाकर्ता सरदार के अधिवक्ता बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने अदालत को बताया कि शिकायत 10 फरवरी, 2024 की है जबकि प्राथमिकी 9 फरवरी, 2024 को दर्ज की गई थी. न्यायाधीश देबांशु बसाक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने टिप्पणी की, ”यह हैरान कर देने वाला है कि भारत के एक नागरिक को इस प्रकार की पुलिस शिकायत के आधार पर गिरफ्तार कर लिया जाता है.” इसी के साथ उन्होंने सरदार को अंतरिम जमानत दे दी और निर्देश दिया कि उन्हें तत्काल रिहा किया जाए.

अदालत ने पुलिस अधीक्षक को 29 फरवरी को सुनवाई की अगली तारीख पर पुलिस डायरी में लिखी शिकायत (सामग्री)… और उसके आदेश में उल्लिखित तथ्यों पर एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. अदालत ने राज्य की ओर से पेश अधिवक्ता का ध्यान पुलिस की शिकायत की तारीख और दर्ज की गई प्राथमिकी की तिथि की ओर दिलाया, लेकिन वह इस बात का जवाब देने में असमर्थ रहे कि केस डायरी में ऐसी विसंगति कैसे हुई.

न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर रशीदी की सदस्यता पीठ ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को 10,000 रुपये के बांड और इतनी ही राशि की दो जमानत राशि के साथ अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए, जिनमें से एक स्थानीय होना चाहिए. खंडपीठ ने सरदार को अगले आदेश तक सुनवाई की प्रत्येक तारीख पर सुनवाई अदालत के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया. इसी के साथ उन्हें गवाहों को डराने-धमकाने या किसी भी तरह से सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का भी निर्देश दिया है.

सरदार के अधिवक्ता भट्टाचार्य ने अदालत को बताया कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व विधायक को 11 फरवरी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. वह 2011 के विधानसभा चुनाव में संदेशखाली से जीते थे. उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि सरदार को 15 फरवरी को निचली अदालत द्वारा एक पुलिस शिकायत में जमानत दे दी गई थी, लेकिन उसके तुरंत बाद उन्हें फिर इस मामले में हिरासत में ले लिया गया था. इसके बाद उच्च न्यायालय के समक्ष जमानत याचिका दायर की गई थी.

उन्हें भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत संदेशखाली थाने में दर्ज एक प्राथमिकी को लेकर 11 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था. माकपा नेता सरदार पर यह भी आरोप लगाया गया था कि वह संदेशखाली में हुए हिंसक प्रदर्शन में शामिल था, जिसके दौरान स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता शिवप्रसाद हाजरा के मुर्गी फार्म में आग लगा दी गई थी. मजिस्ट्रेट के सामने स्थानीय महिला द्वारा दिए गए बयान के आधार पर हाजरा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और उस पर सामूहिक बलात्कार और हत्या के प्रयास का आरोप लगाया गया था.

Related Articles

Back to top button