भारत मंडपम के ‘संस्कृति गलियारा’ में व्याकरण ग्रंथ समेत कई ऐतिहासिक चीजों को मिली जगह
जी20 शिखर सम्मेलन में प्रमुखता से दिखी भारत की स्थापत्य विरासत

नयी दिल्ली. अमेरिका के ‘चार्टर्स ऑफ फ्रीडम’ की प्रमाणित मूल प्रतियां, चीन का ‘फहुआ’ ढक्कन वाला एक डिब्बा और भारत से पाणिनि का व्याकरण ग्रंथ ‘अष्टाध्यायी’ जी20 सम्मेलन स्थल ‘भारत मंडपम’ के ‘संस्कृति गलियारा’ में प्रर्दिशत ऐतिहासिक वस्तुओं में शुमार रहे.
शिखर सम्मेलन की शुरुआत के पहले दिन शनिवार को अपनी तरह की इस अनूठी परियोजना का अनावरण किया गया. कलाकृतियों की प्रदर्शनी उसी मंजिल पर प्रर्दिशत की गई है, जहां जी20 नेताओं की बैठकें हुई थीं. शिखर सम्मेलन कक्ष में अंदर और बाहर जाते समय वे इसी गलियारे से गुजरे. दुनिया के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी वाला दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन रविवार को समाप्त हो गया.
‘कल्चर कॉरिडोर – जी20 डिजिटल म्यूजियम’ की परिकल्पना केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा की गई थी. भारत से ऋग्वेद की पांडुलिपियां, ब्रिटेन से ‘मैग्नाकार्टा’ की एक दुर्लभ प्रति और मोनालिसा – पेरिस में प्रर्दिशत 16वीं शताब्दी की लियोनार्डो दा विंची की उत्कृष्ट कृति – की एक डिजिटल छवि को भी ‘संस्कृति गलियारे’ में प्रर्दिशत किया गया था. अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि शिखर सम्मेलन के बाद संस्कृति गलियारे को जनता के लिए खोलने की योजना है.
एक सूत्र ने पहले कहा था, ”भारत की जी20 अध्यक्षता का विषय ‘वसुधैव कुटुंबकम’ है और इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के साथ हम इस बात पर गौर कर रहे हैं कि दुनिया एक परिवार है क्योंकि हम इस ‘संस्कृति गलियारे’ के हिस्से के रूप में सभी 20 सदस्यों और नौ आमंत्रित देशों की सांस्कृतिक वस्तुओं को प्रर्दिशत करेंगे.”
लगभग छह महीने पहले परिकल्पना की गई इस परियोजना के हिस्से के रूप में भारत ने प्रत्येक जी20 सदस्य और आमंत्रित देश को चार श्रेणियों के तहत प्रस्तुतियां देने के लिए कहा – सांस्कृतिक महत्व की भौतिक वस्तु, डिजिटल प्रारूप में प्रतिष्ठित सांस्कृतिक कृति, डिजिटल प्रारूप में देश की अमूर्त विरासत और प्रत्येक देश की प्राकृतिक विरासत. सूत्र ने कहा था कि भौतिक वस्तुओं को सीमित अवधि के लिए उपलब्ध कराया गया है.
जी20 शिखर सम्मेलन में प्रमुखता से दिखी भारत की स्थापत्य विरासत
ओडिशा के 13वीं सदी के कोणार्क मंदिर से लेकर बिहार के प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय तक यहां जी20 शिखर सम्मेलन स्थल में भारत की समृद्ध स्थापत्य विरासत को प्रमुखता से पेश किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार रात ‘भारत मंडपम’ स्थल पर विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों और अन्य विश्व नेताओं और उनके जीवनसाथियों के लिए एक औपचारिक रात्रिभोज में मेहमानों का स्वागत किया जहां यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल-प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की प्रतिकृति प्रमुखता से नजर आई.
नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक है. मेहमानों का अभिवादन करते समय प्रधानमंत्री मोदी को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सहित जी20 के कुछ नेताओं को विश्वविद्यालय के महत्व के बारे में बताते हुए भी देखा गया.
अधिकारियों ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय विविधता, योग्यता, विचार की स्वतंत्रता, सामूहिक शासन, स्वायत्तता और ज्ञान साझाकरण का प्रतिनिधित्व करता है – ये सभी लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के अनुरूप हैं.
उन्होंने कहा कि नालंदा भारत की उन्नत शैक्षिक खोज की स्थायी भावना और भारत के जी20 प्रेसीडेंसी थीम वसुधैव कुटुंबकम के अनुरूप एक सामंजस्यपूर्ण विश्व समुदाय के निर्माण की प्रतिबद्धता का जीता जागता प्रमाण है. शाम के स्वागत समारोह की पृष्ठभूमि में नालंदा था, तो सुबह में भारत का कोणार्क चक्र फोकस में रहा. प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले जी20 नेताओं का अभिवादन किया तो पृष्ठभूमि में ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर की एक सुंदर छवि दिखी.
13वीं शताब्दी में निर्मित कोणार्क का सूर्य मंदिर यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है. इसका निर्माण राजा नरसिम्हादेव प्रथम के शासनकाल में किया गया था. 24 कड़ियों वाला कोणार्क चक्र भी भारत के राष्ट्रीय ध्वज में समाहित है और यह भारत की प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है.
यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार बंगाल की खाड़ी के तट पर, उगते सूरज की किरणों से नहाया हुआ कोणार्क का मंदिर सूर्य देवता के रथ का प्रतिनिधित्व करता है. इसके 24 पहियों को प्रतीकात्मक डिजाइनों से सजाया गया है और इसे छह घोड़े खींचते हैं. अधिकारियों ने कहा कि कोणार्क चक्र की घूमती गति, समय, ‘कालचक्र’ के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है. यह लोकतंत्र के पहिये के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में कार्य करता है जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
‘मायगॉवइंडिया’ ने शनिवार को सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विश्व नेताओं के स्वागत अभिनंदन का एक वीडियो पोस्ट किया, जिसका शीर्षक था ‘जी20 के नेताओं का अभिवादन – कोणार्क का कालचक्र केंद्र में आया.’ भारत मंडपम में भी कई कलाकृतियां लगाई गई थीं, जिसमें ‘सूर्य द्वार’ प्रमुख था. इसमें सूर्य देव के घोड़ों को भी दर्शाया गया है.
संस्कृति मंत्रालय ने भारत की सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ अन्य जी20 सदस्य देशों के लिए शिखर सम्मेलन कक्ष के सामने स्थापित ‘संस्कृति गलियारे’ में सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाया गया है. विशेष रूप से बड़े अवसर के लिए बनाए गए इस अस्थायी ‘कला गलियारे’ में कलाकृतियों को प्रत्यक्ष और डिजिटल रूपों में प्रर्दिशत किया गया.
पाणिनी के व्याकरण ग्रंथ ‘अष्टाध्यायी’, ऋग्वेद शिलालेख और मध्य प्रदेश में भीमभेटका गुफा चित्रों की डिजिटल छवियां, जो लगभग 30,000 साल पुरानी हैं, को भी प्रर्दिशत किया गया. संस्कृति मंत्रालय ने शनिवार को एक वीडियो के साथ ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ” जब भारत ऐतिहासिक जी20 शिखर सम्मेलन के लिए विश्व नेताओं का स्वागत करने की तैयारी कर रहा है, भारत मंडपम में सांस्कृतिक गलियारा वैश्विक विरासत के प्रमाण और वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास के उत्सव के रूप में खड़ा है, इस उल्लेखनीय प्रदर्शन का गवाह बनें.” मंत्रालय ने एक अन्य पोस्ट में नटराज की 27 फुट ऊंची प्रतिमा सहित परिसर के विभिन्न कला तत्वों को साझा किया और कहा, ”यह महामंडपम हमारी महान सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासतों को दर्शाता है.”
वैश्विक नेताओं ने रात्रिभोज के दौरान उठाया भारतीय संगीत का आनंद
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने आए वैश्विक नेताओं के सम्मान में शनिवार को एक भव्य रात्रिभोज का आयोजन किया, जिसमें मेहमानों ने भारतीय व्यंजनों के साथ संगीत का भी लुत्फ उठाया. संगीतकारों के एक समूह ने सुरसिंगार, मोहन वीणा, दिलरुबा और अन्य दुर्लभ भारतीय वाद्ययंत्र बजाए जिससे जी20 समूह के नेता मंत्रमुग्ध हो गए.
राष्ट्रपति मुर्मू ने शनिवार को शिखर सम्मेलन स्थल ‘भारत मंडपम’ में जी20 मेहमानों के लिए इस भव्य रात्रिभोज का आयोजन किया.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी और कई अन्य देशों के नेता जी20 शिखर सम्मेलन के लिए यहां एकत्र हुए हैं.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रात्रिभोज शुरू होने से पहले एक मंच पर अतिथियों का स्वागत किया, जिसकी पृष्ठभूमि में बिहार के नालंदा महाविहार (नालंदा विश्वविद्यालय) की तस्वीर लगी हुई थी, साथ ही भारत की अध्यक्षता में जी20 का विषय- ‘वसुधैव कुटुम्बकम्- एक पृथ्वी, एक कुटुम्ब, एक भविष्य’ को दर्शाया गया था. नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है. यह विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक था.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ” राष्ट्रपति द्वारा आयोजित भव्य रात्रिभोज में, भारत ने दुनिया के सामने अपनी विविध संगीत विरासत का प्रदर्शन किया. शास्त्रीय और समसामयिक संगीत की अलग-अलग शैलियां पेश करने वाले उत्कृष्ट वादकों और संगीतकारों के समूह ने यहां जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले वैश्विक नेताओं के लिए प्रस्तुति दी. ” इसका मुख्य आकर्षण ‘गंधर्व अटोद्यम’ समूह का प्रदर्शन था, जिसने ‘भारत वाद्य दर्शनम’ – भारत की संगीतमय यात्रा का प्रदर्शन किया.
शिखर सम्मेलन से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक यह संगीत कार्यक्रम एक अनोखा मिश्रण था, जिसमें कलाकारों ने सुरसिंगार, मोहन वीणा, जल तरंग, जोडिया पावा, धांगली और दिलरुबा सहित देश भर के दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्रों को बजाया और उत्कृष्ट प्रस्तुति दी. इसमें हिंदुस्तानी, कर्नाटक, लोक और समकालीन संगीत का प्रदर्शन किया गया था. देश की संगीत विरासत की समृद्ध परंपरा का जश्न मनाने के लिए संगीत नाटक अकादमी द्वारा इस कार्यक्रम की परिकल्पना की गई थी.