गिरफ्तार छात्रों के खिलाफ यूएपीए का हल्का प्रावधान लागू किया गया: जम्मू कश्मीर पुलिस

महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में छात्रों की गिरफ्तारी की निंदा की

श्रीनगर. नेताओं के एक वर्ग की आलोचना का सामना करने के बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने विश्व कप फाइनल में भारतीय क्रिकेट टीम के प्रदर्शन के बाद आपत्तिजनक नारे लगाने वाले सात छात्रों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज करने का बचाव किया. पुलिस ने कहा कि आतंकवाद रोधी कानून के ”हल्के प्रावधान” लागू किए गए हैं.

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला समेत कई नेताओं ने पुलिस की कार्रवाई की निंदा की है और आरोप लगाया है कि इतनी कड़ी सजा से युवाओं पर बुरा असर पड़ेगा. पुलिस ने एक बयान में कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 13 के तहत मामला दर्ज किया गया है. साथ ही कहा कि ”अन्य प्रावधानों के विपरीत, अधिनियम का यह एक हल्का प्रावधान है.” यूएपीए की धारा 13 किसी भी गैरकानूनी गतिविधि की सलाह देने या उकसाने से संबंधित है और इसके तहत सात साल की जेल की सजा का प्रावधान है.

छात्रों पर सार्वजनिक शरारत और आपराधिक धमकी से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 505 और 506 के प्रावधान भी लगाए गए हैं, जिसके तहत दोषी पाए जाने पर पांच साल तक जेल की सजा हो सकती है. पुलिस ने कहा कि यह घटना महज पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने के बारे में नहीं थी. पुलिस ने कहा, ”…ये नारे, जैसा कि आमतौर पर कुछ चुनिंदा गुंडों के मामले में होता है, उन लोगों को डराने के लिए लगाए गए थे जो असहमत थे और साथ ही उन लोगों की पहचान करने और उन्हें बदनाम करने के लिए भी लगाए गए थे जो दूरी बनाए रखना चाहते थे.” पुलिस ने कहा कि यह घटना अलगाववादी और आतंकवादी नेटवर्क के कारण हुई.

बयान में पुलिस कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा गया है कि युवाओं का उद्देश्य न तो किसी विशेष खेल टीम की व्यक्तिगत पसंद को उजागर करना था, न ही असहमति या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में था. बयान में कहा गया, ”यह दूसरों को आतंकित करने के बारे में था जो भारत समर्थक भावनाओं या पाकिस्तान विरोधी भावनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं या असहमत हैं. इसके सबूत के लिए लिखित शिकायतें हैं.” पुलिस ने कहा कि प्राथमिकी एक लिखित शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी और शिकायत की सामग्री के अनुसार धाराएं लगाई गईं.

पुलिस कार्रवाई की आलोचना करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि यह कदम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए आश्वासन के खिलाफ है, जिन्होंने 2021 में घोषणा की थी कि जम्मू कश्मीर से ‘दिल्ली की दूरी’ के साथ ही ‘दिल की दूरी’ को खत्म करने का समय आ गया है.
उमर ने कहा, ”इन छात्रों ने जो किया उससे मैं सहमत नहीं हूं. लेकिन पुलिस ने जिस तरह से इस मामले को संभाला है, मैं उससे भी सहमत नहीं हूं. इससे प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुसार ‘दिल की दूरी’ कम नहीं होगी.” उन्होंने कहा कि पुलिस को याद रखना चाहिए कि उसका (प्रावधान का) ”हल्का संस्करण” छात्रों के करियर को नष्ट कर देगा.

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने युवाओं की गिरफ्तारी को ”चौंकाने वाला” बताते हुए पुलिस कार्रवाई की निंदा की. उन्होंने कहा कि यूएपीए का इस्तेमाल आतंकवादियों पर मामला दर्ज करने के लिए किया जाता है, लेकिन सरकार इसका इस्तेमाल युवाओं, पत्रकारों और छात्रों को गिरफ्तार करने के लिए कर रही है.

महबूबा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”यह चिंताजनक और चौंकाने वाली बात है कि कश्मीर में विश्व कप विजेता टीम का समर्थन करना भी अपराध हो गया है. पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और अब छात्रों के खिलाफ यूएपीए जैसे कठोर कानूनों को लागू करने से जम्मू कश्मीर में युवाओं के प्रति प्रशासन की क्रूर मानसिकता का पता चलता है.” मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता एम वाई तारिगामी ने इस कार्रवाई को निंदनीय और छात्रों की नारेबाजी को महज जश्न मनाने की कार्रवाई बताया.

तारिगामी ने कहा, ”खेल आयोजनों का जश्न मनाने के सामान्य कृत्य के लिए छात्रों के खिलाफ यूएपीए लागू करना बेहद निंदनीय है, जो कथित तौर पर आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए बनाया गया एक अधिनियम है. यह न केवल अधिनियम के बार-बार होने वाले दुरुपयोग को दर्शाता है, बल्कि अभिव्यक्ति पर अभूतपूर्व प्रतिबंध का भी संकेत देता है. खेल को मनोरंजक गतिविधि के रूप में देखा जाना चाहिए और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए.” जेके स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मानवीय आधार पर माफी की मांग करते हुए छात्रों के खिलाफ लगाए गए यूएपीए आरोपों को हटाने का आग्रह किया है. संगठन ने कहा, ”यह सजा उनके भविष्य को बर्बाद कर सकती है. यूएपीए के आरोपों का छात्रों के शैक्षणिक और भविष्य के करियर पर गंभीर परिणाम होंगे और इसे वापस लिया जाना चाहिए.”

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