आधिकारिक आवास खाली कराने के खिलाफ मोइत्रा की याचिका पर चार जनवरी को होगी सुनवाई

नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह सरकारी आवास का आवंटन रद्द किए जाने को चुनौती देने वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की नेता महुआ मोइत्रा की याचिका पर चार जनवरी को सुनवाई करेगा. मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया है. अपने निष्कासन को उन्होंने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है. अदालत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय लोकसभा से निष्कासन के खिलाफ मोइत्रा की याचिका पर तीन जनवरी को सुनवाई करेगा. इसके बाद इस याचिका पर सुनवाई की जाएगी.

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा , ह्ल आपने रिट याचिका दायर करके आदेश को चुनौती दी है. अंतरिम आवेदन में एक प्रार्थना, आदेश पर रोक लगाने की भी हो सकती है. अगर उच्चतम न्यायालय स्थगन दे देता है तो इसका मतलब होगा कि आपके निष्कासन पर रोक लग जाएगी.ह्व उन्होंने कहा कि ऐसे में अगर इस अदालत से आदेश पारित करने का आग्रह किया जाता है तो यह सीधे तौर पर शीर्ष अदालत में लंबित रिच याचिका में बाधा जैसा होगा.

न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा, ह्ल उच्चतम न्यायालय दो जनवरी को खुलेगा.. हम इस पर चार जनवरी को सुनवाई करेंगे.ह्व मोइत्रा के वकील ने अदालत से संपदा निदेशालय को याचिका पर चार जनवरी से पहले जवाब दाखिल करने का निर्देश देने का अनुरोध किया, लेकिन उच्च न्यायालय ने कहा कि वह अगली तारीख पर ही इस याचिका पर सुनवाई करेगा.

याचिका में अनुरोध किया गया है कि संपदा निदेशालय के 11 दिसंबर के आदेश को रद्द किया जाए और मोइत्रा को 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने तक आवास का कब्जा वापस दिया जाए. मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पिनाकी मिश्रा ने कहा कि याचिकाकर्ता केवल 31 मई 2024 तक सरकारी आवास का कब्जा वापस देने का अनुरोध कर रही हैं.

संपदा निदेशालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनुराग अहलुवालिया पेश हुए. मोइत्रा को कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से कथित तौर पर उपहार लेने के बदले में सवाल पूछने और उनके साथ संसद की वेबसाइट की ‘लॉग इन’ आईडी और ‘पासवर्ड’ साझा करने के लिए ‘अनैतिक आचरण’ का दोषी ठहराया गया था और आठ दिसंबर 2023 को लोकसभा की उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गयी थी.

उन्होंने अपने निष्कासन को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है. न्यायालय मामले पर तीन जनवरी 2024 को सुनवाई करेगा.
उच्च न्यायालय में दायर याचिका में मोइत्रा ने कहा है कि सरकारी आवास रद्द करने का आदेश जल्दबाजी में दिया गया है, क्योंकि लोकसभा से उन्हें निष्कासित करने का मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है. उन्होंने कहा कि वह दिल्ली में अकेली रह रही हैं और उनके पास यहां रहने का कोई अन्य स्थान या वैकल्पिक आवास नहीं है.

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