मुख्तार अंसारी को तीन दशक पुराने फर्जी बंदूक लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा

वाराणसी. वाराणसी की एक अदालत ने बुधवार को तीन दशक पुराने फर्जी बंदूक-लाइसेंस मामले में गैंगस्टर-राजनेता मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. जिला शासकीय अधिवक्ता विनय सिंह ने बताया, “न्यायाधीश अवनीश गौतम की विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने फर्जी बंदूक लाइसेंस मामले में मुख्तार अंसारी को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई.” उन्होंने कहा कि अंसारी के खिलाफ दिसंबर 1990 में गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद थाने में भारतीय दंड संहिता की धाराओं– 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के साथ-साथ हथियार अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

उनके अनुसार अदालत ने अंसारी पर कुल दो लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया. शासकीय अधिवक्ता के मुताबिक, मुख्तार अंसारी बांदा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालती कार्यवाही में शामिल हुआ, जहां वह वर्तमान में बंद है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश, पंजाब, नयी दिल्ली और अन्य राज्यों में करीब 60 मामले लंबित हैं. उसे अभी तक कम से कम सात मामलों में दोषी करार दिया जा चुका है.

सिंह ने कहा कि 10 जून, 1987 को मुख्तार अंसारी ने एक बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन दिया था तथा बाद में उसने तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक के पास फर्जी हस्ताक्षरों वाले दस्तावेज जमा कर बंदूक का लाइसेंस प्राप्त किया.

शासकीय अधिवक्ता के मुताबिक इस धोखाधड़ी का खुलासा होने के बाद सीबी-सीआईडी ने मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर और पांच नामजद व्यक्तियों और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में चार दिसंबर, 1990 को मामला दर्ज कराया.

उनके अनुसार जांच के बाद, तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के खिलाफ 1997 में एक आरोप पत्र दाखिल किया गया. गौरी शंकर की मृत्यु के बाद उसके खिलाफ मामला बंद कर दिया गया. वर्ष 1963 में जन्मा मुख्तार अंसारी मऊ विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक निर्वाचित हुआ जिसमें दो बार वह बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर निर्वाचित हुआ. उसने आखिरी बार विधानसभा चुनाव 2017 में लड़ा था.

Related Articles

Back to top button