राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के शैक्षिक परिदृश्य को बदल देगी: उपराष्ट्रपति धनखड़

बुरी ताकतें भाषाई आधार पर भारत को बांटना चाहती हैं : धनखड़

नोएडा. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) जब लागू होगी तो यह भारत के शैक्षिक परिदृश्य को बदल देगी क्योंकि यह नीति देश की “सभ्यतागत भावना, समझ और लोकाचार” के अनुरूप है. धनखड़ ने यहां एमिटी विश्वविद्यालय में भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) द्वारा आयोजित कुलपतियों की 99वीं वार्षिक बैठक और राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए अपने विचार साझा किए.

उपराष्ट्रपति ने कहा, ” मैं आपसे यह जरूर कहना चाहता हूं कि तीन दशक से भी अधिक समय के बाद, कुछ ऐसा हुआ है जिसने वास्तव में हमारी शिक्षा की तस्वीर बदल दी है. मैं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की बात कर रहा हूं.ह्व पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल के रूप में अपने अनुभव याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह इस नीति को बनाने में निकटता से जुड़े थे.

धनखड़ ने कहा, “तीन दशक से अधिक समय के बाद इस नीति को आकार देने में लाखों लोगों के सुझावों पर विचार किया गया.” उन्होंने कहा, “यह नीति हमारी सभ्यतागत भावना, समझ और लोकाचार के अनुरूप है तथा इसके क्रियान्वयन से हमारी शिक्षा प्रणाली में बदलाव आएगा.” उपराष्ट्रपति ने जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके ‘बलिदान दिवस’ पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए इसे ऐतिहासिक दिन बताया. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का पूर्ववर्ती संगठन जनसंघ था.

धनखड़ ने कहा, “यह हमारे देश के इतिहास में एक महान दिन है. आज इस धरती के सबसे बेहतरीन सपूतों में से एक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ‘बलिदान दिवस’ है. यह नाम अपने आप में पवित्र है.” जम्मू-कश्मीर के एकीकरण में मुखर्जी के योगदान को याद करते हुए, धनखड़ ने 1952 में अभियान के दौरान उठाए गए शक्तिशाली नारे पर प्रकाश डाला: “एक विधान, एक निशान और एक प्रधान होगा देश में, दो नहीं होंगे.” उन्होंने कहा, “लंबे समय तक हमने अनुच्छेद 370 की वजह से कष्ट झेले, जिससे हमें और जम्मू-कश्मीर राज्य को कई तरह से नुकसान हुआ.”

बुरी ताकतें भाषाई आधार पर भारत को बांटना चाहती हैं : धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को आगाह किया कि भारत के विकास के लिए सावधानी से कदम उठाने की जरूरत होगी क्योंकि कुछ ताकतें मुश्किल खड़ी करने पर अमादा हैं और देश को भाषा सहित विभिन्न मुद्दों पर विभाजित करना चाहती है. उन्होंने राजनीतिक दलों के बीच अधिक संवाद की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि राजनीतिक तापमान को कम करने की आवश्यकता है.

उपराष्ट्रपति ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राम माधव की पुस्तक ‘द न्यू वर्ल्ड 21 सेंचुरी ग्लोबल ऑर्डर एंड इंडिया’ के विमोचन के अवसर पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय बलों ने नागरिकों को नहीं छुआ और केवल आतंकवादी ढांचे पर हमला किया.

धनखड़ ने भारत के खिलाफ काम कर रही शक्तियों का जिक्र करते हुए कहा, ”भारत के उत्थान के लिए सावधानीपूर्वक कदम उठाने की आवश्यकता होगी, क्योंकि ऐसी ताकतें हैं जो हमारे लिए मुश्किल खड़ी करने पर तुली हुई हैं. देश के भीतर और बाहर ऐसी ताकतें हैं. ये बुरी ताकतें हमें भाषा जैसे मुद्दों पर भी बांटकर हमला करना चाहती हैं.” उन्होंने कहा कि दुनिया का कोई भी देश भारत जैसी भाषाई समृद्धि का दावा नहीं कर सकता.

धनखड़ ने कहा कि उनका दृढ़ विश्वास है कि भारत के अंदर कोई दुश्मन नहीं है, बल्कि बाहर दुश्मन हैं. उन्होंने दावा किया कि भारत के अंदर दुश्मनों की संख्या कम है, जो भारत के हितों के खिलाफ काम करने वाली बाहरी ताकतों से जुड़े हैं. इस कार्यक्रम में पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु और मनीष तिवारी भी मौजूद रहे.

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