लोगों के बीच इतिहास के समान बोध, भविष्य की समान दृष्टि से पैदा होती है राष्ट्रीयता: डोभाल

नयी दिल्ली. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने कहा कि अपने इतिहास का समान बोध तथा अपने भविष्य की समान दृष्टि रखने वाले लोग राष्ट्रीयता का निर्माण करते हैं. डोभाल ने प्राचीन भारत और उसकी उपलब्धियों के इतिहास के विभिन्न चरणों को समाहित करने वाली 11 खंडों की एक पुस्तक श्रृंखला का विमोचन किया.
विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए डोभाल ने कहा, ”जिन लोगों के इतिहास का बोध अलग है यानि कि ‘मेरा नायक आपका खलनायक है’ तो मैं और आप एक राष्ट्र नहीं बना सकते.” उन्होंने भारत को हजारों वर्ष पुरानी ”प्राचीन सभ्यता” और ”सतत सभ्यता” के रूप में र्विणत किया और कहा कि यह विरोधाभास है कि ऐसा विमर्श लाया जा रहा है कि ” पश्चिम में भारत के इतिहास पर पहला अध्याय अलेक्जैंडर से शुरू होता है.. .”
विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (वीआईएफ) और आर्यन बुक्स द्वारा प्रकाशित पुस्तक श्रृंखला ‘प्राचीन भारत का इतिहास’ का विमोचन करने के बाद उन्होंने कहा कि इसमें ‘विद्वानों के एक बड़े समूह’ के अध्ययन पत्र शामिल हैं. इस श्रृंखला की पहली पुस्तक में विभिन्न विषयों पर बातचीत की गई है और इसका शीर्षक है”प्रीहिस्टॉरिक रूट्स” वहीं इस श्रृंखला की नौंवी पुस्तक ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, दवा’ पर है.
डोभाल ने कहा कि जब इस पुस्तक श्रृंखला के शुरू होने से पहले कई वर्ष पूर्व वीआईएफ के अध्यक्ष एस गुरूमूर्ति से चर्चा हो रही थी तब उन्होंने ऐसे ”नए विचार और नई सोच” साझा की जो न केवल देशवासियों को बल्कि आने वाली पीढि.यों को ” नयी पहचान का बोध कराने और उनमें गर्व की भावना भरने” में भी मदद करेगी. एनएसए ने कहा,” हमारी छवि,हमारी पहचान इतिहास को लेकर आपकी अपनी सोच….आप क्या हैं इस सोच से गहराई से जुड़ी है.”
उन्होंने कहा कि शोधपत्र ” गुणवत्तापरक हैं और इसमें संदर्भों का जिक्र है.” उन्होंने कहा कि इसमें भारतीय इतिहास के कुछ ऐसे पहलू भी हैं जिस पर कोई प्रश्न नहीं उठाता, यहां तक कि हमारे आलोचक भी नहीं.” सिकंदर के भारत से संबंध पर डोभाल ने विलियम जोन्स का जिक्र किया और कहा कि वह संस्कृत का प्रकांड़ विद्धान था जिसने कहा था,” संस्कृत,पाली,साहित्य अथवा स्थानीय भाषाओं में कहीं भी हमें सिकंदर का जिक्र नहीं मिलता.” राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा,” यह न के बराबर घटना है. यह इतिहास की बहुत छोटी सी घटना है. लेकिन आप इसे इतना बढ़ा-चढ़ा कर पेश करते हैं कि मानो सिकंदर के साथ दुनिया का इतिहास ही बदल गया.” उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयता की भावना नहीं विकसित हो पाने के पीछे विदेशी प्रभुत्व ”काफी हद तक जिम्मेदार है.”