महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में कमजोर पड़ रहा नक्सलवाद

नागपुर. महाराष्ट्र के वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित दो जिलों में से एक गढ़चिरौली में बीते पांच साल के दौरान नक्सली गतिविधियों में भारी गिरावट देखी गई है, जिससे संकेत मिल रहे हैं कि वहां नक्सलवाद कमजोर पड़ रहा है. पुलिस के अधिकारियों ने यह बात कही.
पुलिस ने यह दावा भी किया कि छत्तीसगढ़ से सटे गढ़चिरौली जिले में पिछले कुछ वर्षों में वस्तुत: नक्सलवाद में कोई भर्ती नहीं हुई है और उनकी संख्या में काफी कमी आई है.

वरिष्ठ अधिकारी नक्सली गतिविधियों में गिरावट का श्रेय कई कारकों को देते हैं, जिनमें पुलिस से हुई मुठभेड़ में जिले में नक्सलियों के शीर्ष नेतृत्व का खात्मा, उग्रवादियों की गिरफ्तारी, बड़ी संख्या में नक्सलियों के हथियार डालने और पुनर्वास कार्यक्रम का प्रभावी कार्यान्वयन शामिल हैं.

गढ़चिरौली के पुलिस अधीक्षक ने अंकित गोयल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कहा, ‘‘पिछले पांच-छह वर्षों में जिले में नक्सली गतिविधियों और पिछले दो से तीन वर्षों में उनकी उपस्थिति में काफी गिरावट देखी गई है. विभिन्न मुठभेड़, गिरफ्तारी और आत्मसमर्पण के कारण नक्सलियों की संख्या में काफी गिरावट आई है.’’ गोयल ने कहा कि खासकर उत्तरी गढ़चिरौली क्षेत्र में कई नक्सली दल भंग कर दिए गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘दल सदस्यों की संख्या 180 से गिरकर 120 रह गई है.’’ गोयल ने कहा कि पुलिस ने पिछले दो वर्षों में 54 नक्सलियों को मार गिराया, जबकि कई अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया. गढ़चिरौली पुलिस के सूत्रों के अनुसार, 2017 से 31 अगस्त, 2022 तक पुलिस से हुई मुठभेड़ में 137 नक्सली मारे गए. 2018 में ये संख्या 50 और 2021 में 49 रही. इसी तरह, 2017 से इस साल 31 अगस्त तक 196 कथित नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि इसी अवधि के दौरान 91 अन्य ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया.

पुलिस को एक बड़ी सफलता तब मिली जब 13 नवंबर, 2021 को र्मिदनटोला जंगल में पुलिस से हुई मुठभेड़ में शीर्ष नक्सली नेता मिंिलद तेलतुम्बडे और उत्तरी गढ़चिरौली के कई नेताओं समेत 26 अन्य लोगों को मार गिराया गया. गोयल ने कहा कि जिले में खासकर उत्तरी गढ़चिरौली क्षेत्र में नक्सलियों को मध्य से लेकर शीर्ष स्तर तक नेतृत्व की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है.

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