एनबीएफसी कर्ज देने में सतर्कता बरतें, अतिउत्साह से बचें : सीतारमण

'अकाउंट एग्रीगेटर' के पास ग्राहकों का वित्तीय डेटा पूरी तरह सुरक्षित

नयी दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और लघु वित्त बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक के सुझाव के अनुरूप कर्ज देते समय सतर्क रहने की जरूरत है. उन्होंने यहां ‘डेट विद टेक’ कार्यक्रम में आगाह किया कि एनबीएफसी और छोटे वित्त बैंकों को सीमा रेखा का सम्मान करना चाहिए और अतिउत्साहित नहीं दिखाना चाहिए.

सीतारमण ने कहा, ”उत्साह अच्छा है, लेकिन कभी-कभी लोगों के लिए इसे पचाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. इसलिए सावधानी के तौर पर आरबीआई ने छोटे वित्त बैंकों, एनबीएफसी को सचेत किया है कि वे इस बात को लेकर सावधान रहें कि इतनी तेजी से आगे न बढ़ें कि उन्हें बाद में किसी नकारात्मक पहलू का सामना करना पड़े.”

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा था कि वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए इस महीने की शुरुआत में असुरक्षित ऋणों पर केंद्रीय बैंक ने सख्त रुख अपनाया है. रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिये व्यक्तिगत और क्रेडिट कार्ड कर्ज जैसे असुरक्षित माने जाने वाले ऋण के नियमों को कड़ा किये जाने की घोषणा की. संशोधित मानदंड में जोखिम भार में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई है.

आरबीआई ने एक परिपत्र में कहा, ”समीक्षा के आधार पर व्यक्तिगत कर्ज सहित वाणिज्यिक बैंकों (बकाया और नये) के उपभोक्ता कर्ज के मामले में जोखिम के संबंध में जोखिम भार बढ़ाने का फैसला किया गया है. इसके तहत जोखिम भार को 25 प्रतिशत बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया गया है. हालांकि, इसमें आवास ऋण, शिक्षा कर्ज, वाहन कर्ज और सोना तथा स्वर्ण आभूषण के आधार पर लिये गये कर्ज को शामिल नहीं किया गया है.” केंद्रीय बैंक ने बैंकों और एनबीएफसी के लिये कर्ज प्राप्तियों पर जोखिम भार को भी 25 प्रतिशत बढ़ाकर क्रमश: 150 प्रतिशत और 125 प्रतिशत कर दिया है.

‘अकाउंट एग्रीगेटर’ के पास ग्राहकों का वित्तीय डेटा पूरी तरह सुरक्षित

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘अकाउंट एग्रीगेटर’ (एए) के साथ साझा किया गया ग्राहकों का डेटा भारत में पूरी तरह सुरक्षित है. अकाउंट एग्रीगेटर ऐसी वित्तीय इकाइयां हैं जो ग्राहकों की सहमति होने पर उनका डेटा वित्तीय सूचना प्रदाताओं (एफआईपी) से लेकर वित्तीय सूचना उपयोगकर्ताओं (एफआईयू) के साथ साझा करती हैं.

सीतारमण ने अकाउंट एग्रीगेटर योजना की धीमी प्रगति पर चिंता जताते हुए कहा, ”यह उतना नहीं है जितना मैं चाहती हूं. यह बेहतर हो सकता है. इसका मतलब है कि या तो इस बारे में समुचित जागरूकता नहीं पैदा हो पाई है या फिर इस प्रौद्योगिकी को अधिक सरल बनाने की जरूरत है.” उन्होंने यहां आयोजित ‘डेट विद टेक’ कार्यक्रम में कहा, ”सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के बैंकों ने एक बार मेरे साथ इसकी समीक्षा की है. बैंक इस योजना के सदस्य या हिस्सा बन गए हैं और वास्तव में इससे मदद मिली है.” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बैंकों का उत्साह बढ़ाने पर ही यह योजना हर ग्राहक तक पहुंच सकेगी.

वित्त मंत्री ने ग्राहकों के डेटा या ब्योरे की सुरक्षा को लेकर व्याप्त चिंताओं को दूर करते हुए कहा, ”शुरुआत में ऐसी आशंकाएं थीं कि अकाउंट एग्रीगेटर डेटा बैंक पर कब्जा कर लेंगे. लेकिन वे इस डेटा को अपने पास नहीं रख सकते हैं. वे सिर्फ इसे आगे बढ़ाने का जरिया हैं. न तो लाभार्थी ग्राहक और न ही बैंक ऐसा कर सकते हैं.” सीतारमण ने कहा कि बैंकिंग सुविधाओं के लिए सार्वजनिक मंच बनाने के पीछे सरकार की सोच ग्राहक डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करने की है.

उन्होंने कहा, ”जिस क्षण आप अपना डेटा देने के लिए तैयार होंगे उसे किसी गतिरोध के बगैर साझा किया जाएगा. डेटा सुरक्षा के संदर्भ में मैं भारतीय नागरिकों को यह भरोसा दिला सकती हूं कि आपका डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहेगा.” भारत में बीमा उत्पादों की सीमित जनसंख्या तक पहुंच होने के मुद्दे पर सीतारमण ने कहा कि बीमा की पहुंच बढ़ाने के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने कई तरह की पहल की हैं.

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